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रविवार, 12 अप्रैल 2020

देशबन्दी और फेसबुक


                                                                               


देशबन्दी के कारण स्वाभाविक रूप से मित्रों की सक्रियता सोशल नेट्वर्किंग साइट्स पर बढ़ गयी और और फेसबुक का तो कहना ही क्या। मैं इस ब्लॉग पर अपने मित्रों द्वारा साझा किये गए स्टेटस को सहेज कर यहाँ ब्लॉगजगत के पाठकों के लिए ले आता हूँ। इस बहाने से फेसबुक और ब्लॉगिंग के बीच एक सेतु भी बन जाता है और मेरे मित्रों के साझा किये हुए स्टेटस हमेशा के लिए मेरे पास सुरक्षित भी हो जाते हैं। आइये देखते  पढ़ते हैं कि वे इन दिनों क्या लिख कह रहे हैं ;



काश घर का काम भी इश्क़ की तरह होता;
करना ना पड़ता, बस हो जाता!
- एक लॉकडाउन पीड़ित

पत्नी क्यों ,
ना जाने क्यों ,
पतियों सी नहीं होती ।
जानती है ज्यादा,
ज्यादा ही समझती है।
मैं कुछ कहता हूँ ,
कुछ और वो कहती है।
पत्नी क्यों ,
ना जाने क्यों ,
पतियों सी नही होती।

सब्जी सँवारते समय उपजा ख़याल ...
हम हरी सब्ज़ियाँ खाते / पकाते हैं या हरे रंग की सब्ज़ियाँ 🤔 ... निवी

प्यारी सी दोस्त के लिये वर की तलाश है.. सुंदर सुशील सिंगल लड़के, जो विवाह के लिये उत्सुक हों, कमेंट में उपस्थिति दर्ज कर सकते हैं।

आज की फेसबुक मेमोरी बता रही है कि 2 साल पहले मैंने आज ही के दिन एक साथ 50 पोस्ट की थी और कोई कॉपी पेस्ट नहीं थी कितनों को याद होगी ये बात ???
जिन्हें नहीं याद उनके लिए सारी पोस्ट फिर से #रिपोस्ट कर दूँ


दिल्ली मेट्रो और उसमें होने वाली “आध्यात्मिक” गतिविधिया शिद्दत से याद आ रही है !

लॉकडाउन के दसवें दिन एक वकील से पूछा
आप कैसे समय गुजारते हैं?
वकील- रामायण महाभारत देख कर...
फिर पूछा कि आपने इनसे क्या सीखा?
वकील- महाभारत जमीन का केस है
और रामायण अपहरण का केस हैं...


केजरीवाल द्वारा गुप्त सहायता देने में अभूतपूर्व वृद्धि.
पहले 4 लाख लोगों को खाना खिलाते थे, अब 6 लाख को.
सबूत मांगने वालों... स्वयं जाकर इस्कॉन, सेवाभारती, झंडेवालान मंदिर में देख लो.

जितने दिन बीत गये उसे छोड़ देते हैं क्यों गिनें .. और सोचते हैं नये सिरे से ..कि आज से लौकडाउन है

पूरे शरीर का जितना प्रतिशत हिस्‍सा मस्तिष्‍क का होता है, समाज में उतना ही प्रतिशत बुद्धिजीवीयों का होता है ! बुद्धि के हिसाब से हमारे शरीर के अंग काम न करे तो अंजाम आप जानते ही हैं ! मस्तिष्‍क पूरे शरीर की चिंता न करे तो भी अंजाम की कल्‍पना कर सकते हैं ! पुराने युग मे राजा-महाराजा गुरुओं के चरण पखारा करते थे, आप आज धन को महत्व देते हैं, आज भी बुद्धिजीवियों को महत्व देना शुरू कीजिए ! बुद्धिजीवियों , आप भी अपनी बुद्धि का सार्थक प्रयोग करना सीखिए, चाहे आप जिस परिवार, जाति और धर्म के हों, अपने लोगों को विकसित बनाने के यत्न कीजिए ! मेरी इस बात से परिवार , समाज , देश और राष्‍ट्र के टूटने की वजह समझ जाइए, जिसके टूटने के बाद कोई सुखी नहीं होता !

रावण: आज खाने के साथ मीठे में क्या है??
मंदोदरी: श्री खण्ड
रावण: श्री मत कहो उसे 


इन दिनों वे लोग संभवतः त्रिगुट पर्वत पर धूनी रमाए हुए बैठे होंगे, जो आए दिन रावण के चरित्र को हिमालय पर्वत से भी ऊँचा सिद्ध करते हुए कुलटा सूर्पणखा के आदर्श भाई की पदवी से सुशोभित करते हुए उसकी चरण वंदना करते रहते थे।

खड़ीबोली के मसखरे
एक स्टैंडअप कॉमेडियन है। इन्दौर से नाता, मुम्बई मुकाम। हास्य के नाम पर अश्लील ज़बान। शायद इसी लिए रेख़्ता में भी बुलाया जाता हो। प्रशंसक भी उसी सिनेमाप्रेमी सम्प्रदाय से हैं जिसे न तवाफ़ का अर्थ पता न तवायफ़ का। जो आवारागर्दी तक ढंग से नहीं कर सकते। जी हाँ, ढंग हर चीज़ का होता है। तथाकथित उदारवादियों के चहेते। 'ट' वर्ण के प्रयोग से 'फूहा' पैदा करते हैं। बोले तो फूहड़ हास्य।

भारत में अब जाति सिर्फ़ तीन जगह काम आती है । एक आरक्षण , दूसरे वोट , तीसरे दहेज सहित शादी-विवाह में । सब से ज़्यादा आरक्षण में । बाकी सब व्यर्थ का प्रलाप है । यह मनुवाद , फनुवाद , ब्राहमण-व्राह्मण आदि की लफ्फाजी , सदियों से सताए जाने की पीर , जातीय जहर आदि सिर्फ़ और सिर्फ़ आरक्षण की भीख का कटोरा पकड़ने का चार सौ बीसी भरा फार्मूला है । आरक्षण की खीर खाने का बहाना है । आरक्षण की बैसाखी पकड़ने की विधि है । कुछ और नहीं । सो लोगों की आंख में धूल झोंकते रहिए , आरक्षण का लुत्फ़ लेते रहिए । तीस नंबर पा कर , नब्बे नंबर पाने वाले को पीटते रहिए । देश को प्रतिभाहीन बनाते रहिए । सदियों-सदियों तक देश को ब्लैकमेल करते रहिए । जाति है तो जहान है ।
-दयानंद पांडेय

*Work From Home*
सुबह 7:30 बजे : चाय देना
9:00 बजे : पहले वाली ठीक नहीं थी,चाय देना
10:30 बजे : नाश्ता में बढ़िया पकोड़े बना दो, साथ में मस्त चाय
11:30 बजे : चाय देना ऑफिस में इस टाइम पीते थे
1:00 बजे : यार चाय बना दो लंच तो एक घंटे बाद होगा
3:00 बजे : चाय बना दो खाना हजम नहीं हुआ
5:00 बजे : यार इस टाइम ऑफिस में मिलती थी
7:00 बजे : अब तो दो घंटे हो गए चाय पिला दो यार
8:00 बजे : टेंशन हो रही है एक कप चाय बना दो डिनर में तो देर लगेगी
बीवी 11:00 बजे : सुनो , चाय बना दूं क्या ?
अरे.. मुझे तो नहीं पीनी पर अगर बना रही हो तो दे देना।
*ये है वर्क फ्रॉम होम ।

#आवश्यक_सूचना : सभी सिंगल मित्र / मित्राणी ध्यान दें! लॉक डाउन के दौरान अत्यधिक बकैती और ख़लीहरपन में घुस्सू होने के कारण ढेरों ब्रेकअप होने का अनुमान है.
विशेषज्ञों का मानना है कि लॉकडाउन ख़त्म होते ही #प्रचुर_मात्रा में नए ऑप्शन उप्लब्ध होंगे। अतः धैर्य के साथ, अच्छे दिन आने की प्रतीक्षा में लॉकडाउन का पालन करें।
लगता है कि फेसबुक पर पोस्ट लिखने के बाद अब मुझे अंतिम पंक्ति में डिस्क्लेमर देना होगा, कि "ये पोस्ट व्यंग्य के रूप में है"... अथवा "ये पोस्ट मोदी के विरोध में है/या नहीं है..."... अथवा "ये पोस्ट इस सन्दर्भ में है..." -- इत्यादि
क्योंकि यहाँ पर गालीबाजों के गिरोह ने अनपढ़ जाहिलों की ऐसी ज़ोम्बी फ़ौज बना रखी है जिन्हें मेरी पोस्ट समझ ही नहीं आती... केवल मुँह उठाकर विरोध करने चले आते हैं... और व्यंग्य समझने लायक बुद्धि प्राप्त करने के लिए तो खैर उन्हें अगला जन्म लेना पड़ेगा

YUKTI यह नाम हैं उस वेब पोर्टल का जो आज केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी ने लांच किया है। इसका पूरा नाम ही इसकी कार्ययोजना जता रहा है। 'YUKTI' (Young India Combating #COVID with Knowledge, Technology and Innovation) इसके द्वारा COVID19 के सम्बन्ध में किए जा रहे सारे नवाचार और प्रयासो की मॉनिटरिंग करने के साथ रिकार्ड रखा जाएगा।


इतना काम करने के बाद गाना गाने का दम और हौसला नहीं बचता..

Epidemic
Isolation
Quarantine
Hydroxy Chloroquine
अब अपने दिल पर हाथ रख कर बताइए कि आप अब भी सचमुच ही जमातियों को दोषी मानते हैं ।
वल्लाह 🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣
आज के लिए इतना ही अब अपने इस दोस्त को विदा दें अगली पोस्ट तक