tag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post5525139520235840581..comments2023-10-19T06:13:25.012-07:00Comments on फ़ेसबुक .....चेहरों के अफ़साने: हिंदी तो उनका कुत्ता भी लिख लेता है .,अजय कुमार झाhttp://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comBlogger90125tag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-80396680807875774782012-11-23T04:36:36.155-08:002012-11-23T04:36:36.155-08:00मुझे तो ये समझ में नहीं आता है कि कुछ लोगों को ये ...मुझे तो ये समझ में नहीं आता है कि कुछ लोगों को ये भी पता नहीं है कि 14 सितम्बर 1950 को हिंदी को अधिकारिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा एवं राष्ट्रभाषा घिषित किया गया है ( हिंदी को सरकार अभी तक प्रयाप्त एवं वांछित अधिकार नहीं दे पाई है वो अलग बात है और निंदनीय भी है ) ।<br />पता नहीं ये लोग जानते नहीं हैं या जान कर भी अन्जान बनके अंग्रेजी का ही गुणगान करते रहना चाहते हैं । मुझे तो स्वयं को विद्वान् समझने वाले ऐसे लोगों की विद्वता पे तरस भी आता है और रोष भी ।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12634209491911135236noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-18961180213218936312012-11-23T04:26:03.803-08:002012-11-23T04:26:03.803-08:00हिंदी मेरी जान है,
भारत की पहचान है ;
भारत भाल की ...हिंदी मेरी जान है,<br />भारत की पहचान है ;<br />भारत भाल की बिंदी है,<br />निज भाषा अभिमान है |<br /><br />खत्री से बच्चन तक ने,<br />सींचा जिसे वो प्राण है;<br />संस्कृत के वृक्ष से निकली,<br />अद्भुत भाषा महान है |<br /><br />देश को जोड़े एक सूत्र में,<br />मधुर-सी एक तान है;<br />है इसका समृद्ध-साहित्य,<br />हिन्द की ये शान है |<br /><br />हिंदी ही पूजा है सबकी,<br />हिंदी ही अजान है;<br />होली, दीवाली हिंदी है,<br />हिंदी ही रमजान है |<br /><br />देश को विकसित कर सकती,<br />हिंदी गुणों की खान है;<br />हिंदी अहित है देश अहित,<br />हिंदी हिन्दुस्तान है |<br />हिंदी हिन्दुस्तान है |<br /><br /><br />हिंदी के प्रति मेरे यही भाव हैं जो मैंने कविता के रूप में उकेरा है ।<br />हिंदी को किसी के एहसान की जरुरत नहीं है । हिंदी में वो सामर्थ्य है और इसके साथ इतने लोग हैं कि ये विश्व में अपना जगह बना लेगी ।<br />पूरा देश देखेगा और ये दुनिया देखेगी, हिंदी का उत्थान तो होकर ही रहेगा । जितने भी मानसिक रूप से अंग्रेजों के गुलाम अभी भारत में रह रहे हैं उन सबका दंभ चूर होना ही है ।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12634209491911135236noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-87992971747217646052012-07-27T22:28:51.309-07:002012-07-27T22:28:51.309-07:00meri tippani kahaan gayab ho gai??meri tippani kahaan gayab ho gai??Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-30543696722762147942012-07-27T06:04:33.841-07:002012-07-27T06:04:33.841-07:00अजय जी ये जो स्टेटस अभी पढ़े इन्हें पढ़कर लगा लोग ...अजय जी ये जो स्टेटस अभी पढ़े इन्हें पढ़कर लगा लोग अगर नहीं लिखना चाहते ना लिखे पर ये सब लिखकर क्या चाहते है? भाषा अभिव्यक्ति का साधन है और जरुरी नहीं की अगर कोई भी लिख रहा है तो पैसे के लिए ही लिखे.इस तरह ही सोच नहीं होनी चाहिए.हिंदी के साथ सच में समस्याएं होने लगी है पर इसमें हिंदी की गलती नहीं प्रयोग करने वालो की गलतियाँ है .मैं आपकी बात से सहमत हू ये गलत है की अंग्रेजी को इतना सर चढ़ाया जाए.......और एसे क्या सच में क्लास मेंटेन कर लेंगे? मुझे गर्व है हिंदी पर हमेशा रहेगा...kanu.....https://www.blogger.com/profile/16556686104218337506noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-20732327208707267212012-07-27T04:53:57.788-07:002012-07-27T04:53:57.788-07:00लाजवाब !!!
इस कविता से बेहतरीन जवाब भला क्या हो सक...लाजवाब !!!<br />इस कविता से बेहतरीन जवाब भला क्या हो सकता है ! <br /><br />साधुवाद !!!प्रकाश गोविंदhttps://www.blogger.com/profile/15747919479775057929noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-35125050975689995562012-07-26T23:23:09.337-07:002012-07-26T23:23:09.337-07:00आपकी पोस्ट भी पढ़ी टिप्पणियों पर बहस भी पढ़ी बस यह...आपकी पोस्ट भी पढ़ी टिप्पणियों पर बहस भी पढ़ी बस यही कहूँगी आसमान की तरफ थूकोगे तो वापस तुम्हारे मुख पर पड़ेगा हिंदी हमारा आसमान है हमारी मात्र भाषा जो हमे माँ की तरह प्यारी है आप अपने बहुमुखी विकास के लिए हजारों भाषाएँ सीखो पर अपनी मात्र भाषा का अपमान नहीं सहन करना हिन्दुस्तान में रहकर अपनी मात्र भाषा हिंदी राष्ट्र भाषा का सम्मान नहीं कर सकते तो हिन्दुस्तान में क्यूँ रहते हैं किसी भी विषय पर अपनी बात अपना तर्क सभ्य शिष्ट भाषा में भी रख सकते हैं उसके लिए इतने गंदे उद्धरण रखने की क्या जरूरत या फ़िल्मी दुनिया या राजनीतिज्ञों की चाल की तरह लाइम लाईट में आने के हथकंडे हैं ??Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-66865292227320492432012-07-26T23:21:04.933-07:002012-07-26T23:21:04.933-07:00आपकी पोस्ट भी पढ़ी टिप्पणियों पर बहस भी पढ़ी बस यह...आपकी पोस्ट भी पढ़ी टिप्पणियों पर बहस भी पढ़ी बस यही कहूँगी आसमान की तरफ थूकोगे तो वापस तुम्हारे मुख पर पड़ेगा हिंदी हमारा आसमान है हमारी मात्र भाषा जो हमे माँ की तरह प्यारी है आप अपने बहुमुखी विकास के लिए हजारों भाषाएँ सीखो पर अपनी मात्र भाषा का अपमान नहीं सहन करना हिन्दुस्तान में रहकर अपनी मात्र भाषा हिंदी राष्ट्र भाषा का सम्मान नहीं कर सकते तो हिन्दुस्तान में क्यूँ रहते हैं किसी भी विषय पर अपनी बात अपना तर्क सभ्य शिष्ट भाषा में भी रख सकते हैं उसके लिए इतने गंदे उद्धरण रखने की क्या जरूरत या फ़िल्मी दुनिया या राजनीतिज्ञों की चाल की तरह लाइम लाईट में आने के हथकंडे हैं ??Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-47246423715127016442012-07-26T19:42:13.335-07:002012-07-26T19:42:13.335-07:00चलिए हिंदी तो अंग्रेजों का कुत्ता भी लिख लेता है इ...चलिए हिंदी तो अंग्रेजों का कुत्ता भी लिख लेता है इससे हिंदी की बोध क्षमता सारल्य का ही बोध होता है .सबकी अपनी अपनी समझ है थरूर साहब ने भी केटिल क्लास इकोनोमी क्लास में सफर करने वालों के लिए कहा था .सबका अपना अपना कोम्प्लेक्स है आप क्या करिएगा ?<br />महफूज़ अली साहब बस इतना जान लीजे हिंदी की सहोदरी उर्दू और उसका साहित्य अपनी रूमानियत में अंग्रेजी साहित्य से कहीं आगे है .भाषा को लेकर कैसा कोम्प्लेक्स ये तो अनुराग का विषय है जितनी भाषाएँ आप सीख लें ,उतनी ही कम आपकी सोच का दायरा सूचना का मुहावरों का दायरा विकसित ही होगा -<br />चलिए दो हलके फुलके शैर सुन लीजिए -<br />इतने शहरी हो गए लोगों के ज़ज्बात ,<br /> हिंदी भी करने लगी अंग्रेजी में बात .<br /><br />और बस एक और -<br />एक गज़ल कुछ ऐसी हो ,बिलकुल तेरे जैसी हो ,<br /><br />मेरा चाहे जो भी हो ,तेरी ऐसी तैसी हो .<br />रही बात पारिश्रमिक की तो ज़नाब हमने तो रेडिओ से बतौर वार्ताकार २५ रूपये लेकर भी बोला है (१९७० -७१ )में २५० और ५०० भी १९९० के दशक में .ये संस्थान हमारा प्रशिक्षण स्थल थे पारिश्रमिक मानद ही रहा है हमारे लिए लक्ष्य नहीं ,(हाँ हिंदी पत्रकारिता दारिद्र्य लिए हुए है ,हिंदी गुलामों की भाषा है ऐसा आज भी कुछ लोग सोचते हैं .)चाहे वह अखबार में छपे लेख रहें हों या रेडिओ से वार्ताएं .लक्ष्य निज भाषा में खुद को अभिव्यक्त करना रहा है जन -जन, जन मन तक पहुंचना रहा है न की पैसा .हिन्दुस्तान के हर हिंदी रिसाले के लिए लोकप्रिय विज्ञान लेख लिखें हैं .पैसे के लिए नहीं एक सनक को एक मिशन को पूरा करने को .अली साहब का पाना ख्याल है .ख्याल अपना अपना पसंद अपनी अपनी .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-62827900968835223622012-07-26T07:13:28.446-07:002012-07-26T07:13:28.446-07:00फेसबुक बड़ा सही नाम है। सभी के फेस को बुक बनाकर खो...फेसबुक बड़ा सही नाम है। सभी के फेस को बुक बनाकर खोल देता है। खोपड़ी की नंगई बाहर आ जाती है।:(देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-27867284905807028002012-07-26T06:21:50.781-07:002012-07-26T06:21:50.781-07:00छि ...छि ..छि ....आप लोग डिस्कस भी क्यों कर रहे है...छि ...छि ..छि ....आप लोग डिस्कस भी क्यों कर रहे हैं उन्हें ...अपना कीमती वक़्त जाया न कीजिये ...Sarashttps://www.blogger.com/profile/04867240453217171166noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-43598847642246985292012-07-26T01:53:30.520-07:002012-07-26T01:53:30.520-07:00रविकर जी !!
टिप्पणी करते समय थोडा होश रखें-
लगता ह...रविकर जी !!<br />टिप्पणी करते समय थोडा होश रखें-<br />लगता है काफिया और वजन के चक्कर में-<br />आप कुछ भी लिख डालते हैं-<br />बताइये तो तन-मन का मैल से आपका क्या मतलब है.<br /><br />दूसरी बात आप उर्दू की बात यहाँ कहाँ घुसेड बैठे -<br />वो तो उनकी पवित्र भाषा है ||<br />केवल मुंह से अंग्रेज है यह-<br />अन्दर से तो आज भी फतवे का डर लेकर महफूज है-<br />अपनी माँ सभी को अच्छी लगती है-<br />केवल बीबियाँ दूसरों की- <br />चलो बीबियाँ नहीं आंटियां कह लेता हूँ -सच्चित-सचिनhttps://www.blogger.com/profile/13094139602456526835noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-24225231624856987832012-07-26T00:13:03.869-07:002012-07-26T00:13:03.869-07:00सारे फ़साने में जिसका जिक्र तक न था
बस वो ही बात ...सारे फ़साने में जिसका जिक्र तक न था <br />बस वो ही बात उन्हें बहुत नागवार गुजरी है. (फैज़ साहब) <br /><br />अजय जी, आपका गुस्सा भी बस ऐसा ही लग रहा है. महफूज़ अली साहब ने कहीं भी हिन्दी को गाली दी हो ऐसा तो नहीं लगा मुझे. दुःख है उनका जो निकला है, और निकलना चाहिए. वो कहते हैं न कि रेत में सर घुसा लेने से जान जाती है, तूफ़ान नहीं. <br />मसला यह है कि हिन्दी की ये हालत है और बिलकुल है. मसला ये है कि हिन्दी के कितने बड़े लेखक अपने बच्चों को 'हिन्दी माध्यम' के स्कूलों में भेजते हैं? मसला यह है कि ११०० प्रतियां बिक जाने पर हिन्दी में 'बेस्ट सेलर' हो जाती हैं. सो दिक्कत तो है, और उस दिक्कत को सामने लाना कोई गलत काम नहीं है. <br />बाकी ये राष्ट्र कहाँ है जिसकी भाषा 'हिन्दी' है? याद करिये कि सपाई अबू आज़मी के हिन्दी में शपथ लेने पर राज ठाकरे के गुंडों ने वहीं विधानसभा में उन्हें पीटा था. और फिर काश्मीर से लेकर असम तक बिहारियों पर होने वाले हमले भी रोज की ही बात हैं. मसला यह है कि हिद्नी खुद में आधिपत्य की भाषा है, सामंतों की भाषा है. (मैं भी लिख रहा हूँ इससे कुछ नहीं बिगडता). इसने अवधी/ब्रज/भोजपुरी आदि को क़त्ल कर के ये मुकाम पाया है. (देहाती/गंवार जैसे शब्द हम जैसे 'विद्वत जन'किन लोगों के लिए इस्तेमाल करते हैं जानते हैं न आप? <br />और फिर व्यवहार तो खुद के साथ वही होता है जो आप दूसरों के साथ करते हैं. <br />सो कुल जमा ये.. कि गलती आईने में नहीं, चेहरे में साहब.Samarhttps://www.blogger.com/profile/02202610726259736704noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-77949451999039759972012-07-25T23:41:39.111-07:002012-07-25T23:41:39.111-07:00हर भाषा के अपने संस्कार,सुंदरता और उसूल होते हैं औ...हर भाषा के अपने संस्कार,सुंदरता और उसूल होते हैं और हिंदी भाषा भी बहुत सुदृढ़ संस्कारों और उसूलों का भंडार है,इसका सौंदर्य किसी भी दूसरी भाषा से ज़रा भी कम नहीं है बल्कि यदि मेरा दृष्टिकोण पूछा जाए तो बीस ही होगी उन्नीस नहीं, इसका ये कदापि अर्थ नहीं कि दूसरी भाषाओं में कोई कमी है परंतु यहाँ बात हिंदी की हो रही है ,,अजय जी मैं आप से सहमत हूँ कि अकूत शब्द भंडार वाली इस भाषा का न तो ’सत्यानाश’ हुआ है और न होगा <br />ये हमारी मातृ भाषा हो या न हो राष्ट्र भाषा है और हमेशा लोगों के दिलों पर राज करती रहेगी <br />हर भाषा का अपना अस्तित्व होता है भाषाएं आपस में प्रतियोगिता करने के लिये नहीं होतीं ,,,,, सो कृपया आपसी मतभेदों में भाषाओं को न घसीटें ,उन की पवित्रता बनी रहने देंइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-52858391450313441352012-07-25T23:41:36.642-07:002012-07-25T23:41:36.642-07:00हिंदी को दी गालियाँ, उर्दू पर क्या ख्याल ।
लिपि क...हिंदी को दी गालियाँ, उर्दू पर क्या ख्याल ।<br /><br />लिपि का अंतर है मियाँ, करते अगर बवाल ।<br /><br />करते अगर बवाल, भूल जाते मक्कारी ।<br /><br />रहते ना महफूज, डूब जाती मुख्तारी ?<br /><br />अंग्रेजी में छपो, हमेशा फेरो माला ।<br /><br />तन-मन का ये मैल, निगल खुद बना निवाला ।।रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-50369634371483909822012-07-25T23:01:22.669-07:002012-07-25T23:01:22.669-07:00..महफूज अली जी ने अगर अपना सच्चा निजी अनुभव फेसबुक.....महफूज अली जी ने अगर अपना सच्चा निजी अनुभव फेसबुक पर बांटा है...तो भी साफ़ नजर आता है कि वे निराशावादी है!...उनके विचारों से प्रेरणा किसी को नहीं मिल सकती!Aruna Kapoorhttps://www.blogger.com/profile/02372110186827074269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-31044965880450166822012-07-25T22:07:41.606-07:002012-07-25T22:07:41.606-07:00अभी अभी मैने चर्चामंच पर एक पोस्ट पर टिप्प्णी की थ...अभी अभी मैने चर्चामंच पर एक पोस्ट पर टिप्प्णी की थी वो यहाँ भी सार्थक लग रही है !!<br /><br />फेसबुक हो या कोई और बुक<br />सबका होगा एक ही सा लुक<br />बाबा जी समझा करते नहीं आप<br />ये सब भी तो आ रहे हैं वहीं से<br />जहाँ रहते है हम ये और आप<br />कंप्यूटर कोई पारस पत्थर है क्या<br />जो ये यहाँ आ कर सोना बन जायेगे<br />जो जैसा होता है वहाँ भी होता है<br />यहाँ आता है तो वैसा ही यहाँ भी होता है<br />वहाँ मुह खोलता है बोलता है कौन है बताता है<br />यहाँ कुछ नहीं लिखता इसलिये ज्यादा पता<br />कुछ नहीं चल पाता है पर कहीं गलती से भी<br />चूक कर एक शब्द भी कहीं लिख जाता है<br />तो अपनी पोल अपने आप खोल ही जाता है !सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-88485494652346019942012-07-25T21:47:17.789-07:002012-07-25T21:47:17.789-07:00हिन्दी तो मेरे माथे की बिन्दी है।
"हिंदी हैं ...हिन्दी तो मेरे माथे की बिन्दी है।<br />"हिंदी हैं हम वतन है हिन्दुस्तां हमारा। जय हिन्द।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-16897755556268337012012-07-25T21:44:19.831-07:002012-07-25T21:44:19.831-07:00कुछ बातें ऐसी होती हैं , जिन्हें आप कितनी भी हिकार...कुछ बातें ऐसी होती हैं , जिन्हें आप कितनी भी हिकारत से देखें उसके अस्तित्व पर आँच नहीं आती , बल्कि उन पर आती है - जो उसका मखौल उड़ाते हैं . जैसे , ईश्वर , प्रकृति, गंगा, पहाड़ , हिंदी , माँ , प्यार , मित्रता , रिश्ते ..............रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-46929446488156445232012-07-25T21:26:49.465-07:002012-07-25T21:26:49.465-07:00कुत्ते हो तो लिखकर दिखाइए।
हम इंसान हैं इसीलिए लिख...कुत्ते हो तो लिखकर दिखाइए।<br />हम इंसान हैं इसीलिए लिख लेते हैं।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-53879799269229013302012-07-24T22:17:34.165-07:002012-07-24T22:17:34.165-07:00दोस्तों , मैं वैसे तो तेलुगुभाषी हूँ , लेकिन हिंदी...दोस्तों , मैं वैसे तो तेलुगुभाषी हूँ , लेकिन हिंदी में मेरे प्राण बसते है . मैं हिंदी बोलता हूँ, हिंदी पढता हूँ , और हिंदी लिखता हूँ. और मैं ये सोचता हूँ कि आज हिंदी साहित्य में मेरी और मेरी नज्मो की कोई पहचान है तो वो सिर्फ हिंदी की वजह से ही है .. और हिंदी का ये अहसान मैं ताउम्र नहीं भूलूंगा . हिंदी को नमन. हिन्दिवासियो को नमन. भारत देश को नमन.vijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-63533061441371056312012-07-24T19:57:31.173-07:002012-07-24T19:57:31.173-07:00सिद्धार्थ जी ,
मुझे किसी भी ब्लॉगर के निजि जीवन से...सिद्धार्थ जी ,<br />मुझे किसी भी ब्लॉगर के निजि जीवन से कोई सरोकार नहीं है । सफ़लता विफ़लता उनकी अपनी है , मैं्ने सिर्फ़ उनके द्वारा हिंदी के लिए कही जा रही बातों का , विचारों को यहां रख दिया क्योंकि मुझे लगा ये जरूरी था , इस शर्त के साथ भी नहीं कि उन्हें ये नहीं करना कहना चाहिए क्योंकि ये तो सर्वथा उनकी सोच और उनका अधिकार है । हां हिन्दी के प्रति कटिबद्धता जरूर रहती है मन में , आगे भी रहेगी मित्रों /दोस्तों से कैसा खतरा ????अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-83945770039941292332012-07-24T13:37:00.941-07:002012-07-24T13:37:00.941-07:00महफूज क्या प्रयास कर रहा है, यह भी समझ में नहीं आ...महफूज क्या प्रयास कर रहा है, यह भी समझ में नहीं आ रहा है। अगर वह पेड जोकर (पैसा लेकर इंटरनेट पर विशेष विचारधारा के लिए लिखने वाला) है तो यह बहुत खतरनाक बात है। और अगर वह बेवकूफी में ऐसा कर रहा है तो समय आने पर उसे समझ आ जाएगी। <br /><br />पैसा लेकर लिखने वाले लोगों में उसे शामिल करने का ख्याल इसलिए आता है कि जिस तरह की प्रोफाइल वह अपनी बताता है वैसी व्यवहारिक रूप से दुरूह है। असंभव तो नहीं, लेकिन असंभव के करीब है। दूसरी तरफ अपने विरोध के बावजूद जिस अडिगता से वह खड़ा रहता है, उसके लिए "पीछे की शक्ति" होने की आशंका बढ़ती है। यह मेरा अनुमान ही है कि समय के साथ उनकी हर्बल फार्मा कंपनी घाटे में आ चुकी हो या संगठन विशेष का दबाव हो तो वह इस प्रकार लिखना शुरू कर सकता है। <br /><br />इंटरनेट पर हिन्दी का वर्चस्व तेजी से बढ़ रहा है। ब्लॉगिंग के बाद अब फेसबुक पर भी। यह कई संगठनों के लिए चिंता का सबब हो सकता है। <br /><br />इतने सालों में उसने जो इमेज बनाई है, उसे सावधानी से कैश कराने का समय है। जैसा विरोध आपने किया है, उसकी उसे उम्मीद नहीं थी। यहां तक कि अपने कमेंट को दो बार रिपीट कर उसने दीपक मशाल को भी गरियाने का प्रयास किया है।<br /><br />अजीब है... ।<br /><br />हिन्दी के प्रति कटिबद्धता देखकर मन प्रसन्न होता है, लेकिन आसन्न खतरों के बारे में सोचकर एक डर बैठता है।Astrologer Sidharthhttps://www.blogger.com/profile/04635473785714312107noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-45322121581807240032012-07-24T11:32:00.258-07:002012-07-24T11:32:00.258-07:00शुक्रिया संजय भाई , मेरा प्रयास भी सिर्फ़ यही बताना...शुक्रिया संजय भाई , मेरा प्रयास भी सिर्फ़ यही बताना भर था कि हिंदी के प्रति ये मानसिकता कम से कम हिंदी भाषी , हिंदी लेखक के मन में तो कतई नहीं आनी चाहिए फ़िर हमें दूसरों को दोष देने का कोई हक नहीं रहता कि अमुक भाषा वाले ने हिंदी का ऐसा वैसा अपमान किया । शुक्रिया आपकाअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-75000496667079372632012-07-24T11:30:08.546-07:002012-07-24T11:30:08.546-07:00आपसे पूरी तरह सहमत हूं पल्लवी जीआपसे पूरी तरह सहमत हूं पल्लवी जीअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-70826839320905359282012-07-24T11:29:33.650-07:002012-07-24T11:29:33.650-07:00सच कहा आपने आज हिंदी हिंद की धडकन हैसच कहा आपने आज हिंदी हिंद की धडकन हैअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.com