tag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post5915546857202445949..comments2023-10-19T06:13:25.012-07:00Comments on फ़ेसबुक .....चेहरों के अफ़साने: जब दर्द अल्फ़ाज़ बन जाते हैंअजय कुमार झाhttp://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-52076187290501753252013-06-24T05:21:34.296-07:002013-06-24T05:21:34.296-07:00अजी आप वहां नहीं जाएंगे तो हम इसे कैसे लाएंगे ????...अजी आप वहां नहीं जाएंगे तो हम इसे कैसे लाएंगे ???? जाते रहिए प्रभु और आते रहिए प्रभु :) अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-46754725924727323212013-06-23T20:03:44.130-07:002013-06-23T20:03:44.130-07:00आप यदि फेसबुक के उद्गार ऐसे ही लाते रहें तो संभवतः...आप यदि फेसबुक के उद्गार ऐसे ही लाते रहें तो संभवतः फेसबुक में जाने की आवश्यकता समाप्त हो जायेगी।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-219156632607679632013-06-23T08:46:00.610-07:002013-06-23T08:46:00.610-07:00हां आपसे पूरी तरह सहमत हूं दर्शन जी , सह यही है हां आपसे पूरी तरह सहमत हूं दर्शन जी , सह यही है अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1748409451633959103.post-59692749655518748742013-06-23T08:06:22.836-07:002013-06-23T08:06:22.836-07:00इस आपदा के लिए हम ही जुम्मेदार है ....
इतने लोग सि...इस आपदा के लिए हम ही जुम्मेदार है ....<br />इतने लोग सिर्फ सेर -सपाटे के लिए ही गर्मियों में पहाड़ो पर जाते है ..तीर्थयात्रा तो एक बहाना है ...यदि इन्हें तीर्थ यात्रा पर ही जाना है तो बुजुर्ग लोग जाए ,क्यों हर आदमी अपने साथ अपने बच्चो को भी ले जाता है ,जवान लोग घुमने के इरादे से ही यहाँ जाते है उनमे धार्मिक भावनाए नगण्य होती है ...<br />पहले के जमाने में लोग दुर्गम पहाड़ी रास्ते पार करके तीर्थाटन को जाते थे, उन्हें वापसी का कोई मोह नहीं होता था ,अगर मर गए तो ईश्वर का स्नेह समझा जाता था ,पर जबसे पर्यटन का चस्का लोगो को लगा है तबसे हर आदमी पहाड़ों पर जाना चाह रहा है ...और इसीकारण वहां अवेध होटल बन रहे है ,पेड़ों की कटाई हो रही है ,वैसे तो गवर्मेन्ट की तरफ से पेड़ काटने की सजा मौत है? पर इसे कितने लोग मानते हैं ?और कितनो को सजा होती है ? यह सब जानते है ..<br />मैं खुद जब इन धार्मिक स्थलों पर गई तो अपने बच्चो को नहीं ले गई ..क्योकि मेरा मानना है की बच्चे जब बड़े होगे तो खुद ही इन धार्मिक स्थलों की यात्रा कर लेगे ..आज यदि बुजुर्ग लोग ही तीर्थ करने आये होते तो यहाँ का आकंडा बहुत ही कम होता ... दर्शन कौर धनोयhttps://www.blogger.com/profile/06042751859429906396noreply@blogger.com