Followers

शुक्रवार, 3 मार्च 2023

"सौगंध को पीढ़ियों तक निभाना गाड़िया लुहारों से सीखे" :रतन बागवान

 



फेसबुक पर मित्रों द्वारा साझा कुछ अनमोल , कुछ अलहदा मैं ब्लॉग जगत के लिए सहेज लेता हूँ इस कड़ी में आज पढ़िए रतन बागवान जी द्वारा ट्रेवल लवर्स , समूह पर साझा की गई ये सुन्दर अद्भुत पोस्ट।  



रतन बागवान जी 


गढ़ छोड्यो पर हठ नही, ईमान बांध लियो लार,
चाकर हाँ प्रण वीर रा, सब गाड़ी लोहार।
"सौगंध को पीढ़ियों तक निभाना गाड़िया लुहारों से सीखे"
मेवाड़ या राजस्थान के बारे में अनेकों किवदंतियां है, बहुत से साथियों को लगता होगा कि ये सब केवल कपोल कल्पित बातें हैं जिनका वास्तव में कहीं कोई अस्तित्व नही। लेकिन ऐसा नही है, मेवाड़ या राजस्थान की धरा पर असत्य और मिथ के लिए कोई स्थान नही है इसकी एक बानगी गाडोलिया लुहारों को देख कर समझी जा सकती है।
मेवाड़ के महान योद्धा महाराणा प्रताप की सेना और अकबर की सेना के बीच युद्ध जब अनिर्णीत रहा और महाराणा प्रताप ने प्रण लिया कि जब तक मेवाड़ आज़ाद नही हो जाता तब तक वे महलों में न रह कर जंगलों में रहेंगे, मखमली सेज पर न सो कर धरती माता के आंचल तले सोएंगे और घास फूस का भोजन करेंगे।
तब मेवाड़ी सेना को हथियार बना कर देने वाले गाडोलिया लुहारों ने अपने राणा के प्रण से सहमति दिखाई और स्वयं के लिए भी ये मापदंड तय कर दिए कि हम मेवाड़ की सम्पूर्ण आज़ादी होने तक:-
1. मेवाड़ वापस नही जाएंगे।
2.पक्के भवन में निवास नही करेंगे।
3. रात्रि में दीपक नही जलाएंगे।
4. गाड़ी में जीवन बसर करेंगे।
5. कुँए से पानी निकालने का रस्सा नही रखेंगे।
अपने इन 5 कठिन वचनों पर वे आज तक कायम हैं, महाराणा प्रताप ने अपने जीते जी लगभग 80% मेवाड़ को मुगलों से स्वतंत्र करवा लिया था, लेकिन फिर पूर्ण स्वतंत्रता मिलने से पूर्व ही उनका देहावसान हो जाने से ये मुहिम अधूरी ही रह गई थी, इस वजह से ये गाडोलिया लुहार आज तक अपने वचन पर अटल हैं।
भौतिक साधनो से लबरेज इस दुनिया के ऐशो आराम के
साधन इनको अब तक विचलित नहीं कर पाये है। आज भी कड़ी तपस्या व मेहनत करते हुए लोहे को कूट कर खेती व घर का सामान बनाकर अपना जीवन यापन कर रहे है।
हालांकि 6 अप्रैल 1955 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ने विजय स्तम्भ पर भारतीय ध्वजा फहरा कर इनकी प्रतिज्ञा पूरी करवाई थी लेकिन फिर भी इनमें से अधिकतर आज भी अपनी उसी शैली में जीवन बसर कर रहे हैं। इनके इस समर्पण को कोटि कोटि नमन है।
🙏🙏🙏🙏🙏
All reacti

शनिवार, 23 मई 2020

ठिठका लम्हा सदियों तक के लिये क़ैद



फेसबुक पर दोस्तों की बतकही को मैं अक्सर सहेज कर यहाँ ब्लॉग तक इसलिए ले आता हूँ ताकि फेसबुक और ब्लॉग के बीच का ये सेतु भी जीवंत रहे और यहां की बात वहां और वहां के लोग यहाँ आते जाते रहें।  कुछ चुनिंदा स्टेटस इस पोस्ट पर फिर सहेज लिए आज , देखिये आप भी 


लम्हा जैसे देर तक ठिठका रह गया...भौतिकी के समस्त रस्मो-रिवाज को परे सरकाते हुए। रात के तीसरे पहर आया था उसका पीटर वापस और वो कानों में घड़ी की टिक-टिक की थकन से बेपरवाह जाने क्या तो सुन रही थी। रफ़ी...लता...आह काश!
ना! टेलर स्विफ्ट या शेर लॉयड ही होगी हमेशा की तरह...निस्संदेह!!
"शेक इट ऑफ या नन ऑव माय बिजनेस?"
जाने कितने ही तो गाने दोनों के। गूगल की फ़ेहरिश्त दोनों की टॉप-हिट्स में पीटर ने छुटकी को अक्सर यही गुनगुनाते सुना था।
पोयेट्री अच्छी है तो सुकून है...धुन औसत है, तो सुकून पर इक चिढ़ की परत बिछी रहती है।
मोबाइल का कैमरा क्लिक होता है...ठिठका लम्हा सदियों तक के लिये क़ैद हो जाता है।


*** ऑफ़िस में बैठकर फ़ेसबुक के बारे में सोचने से जिस क़िस्म का पाप लगता है, वो उस कोटि का है कि उसका ज़िक्र हमारे शास्त्रों में करना भी मुनासिब नहीं समझा गया !!!! ***


किसी भले आदमी से फोन पर उसका 16 डिजिट आगे का और 3 डिजिट पीछे का नम्बर पूछो तो गाली क्यों बकने लगता है?

कुछ कवि अंधेरे में बैठकर
उजली उजली पंक्तियां लिखते हैं
कुछ भोर के बाद सो जाते हैं
कुछ शाम को वृक्षों से बात करते हैं
कुछ कवि अंधेरे और उजाले की
सीमाओं पर रेखा खींच देते हैं.
शिवेंद्र मिश्रा


कांग्रेस ने अपनी रायबरेली एमएलए अदिति सिंह को स्वयं ही पार्टी से निष्कासित कर दिया. क्योंकि इस युवा नेत्री ने मजदूरों पर राजनीति को लेकर प्रियंका गांधी पर सवाल उठा दिये थे.
अब अदितिसिंह अपने पांच अन्य विधायकों के साथ बीजेपी ज्वाइन करने जा रही है.
अब देखना परम चमचा सुरजेवाला प्रेसकांफ्रेस करके बीजेपी पर पार्टी में तोड़फोड़, खरीद-फरोख्त करने का आरोप लगाकर बिसूरेगा.
दबे पाँव चढ़ती चेहरे की लकीरें उम्र के उत्तरार्ध पर
छोड़ती हैं खूबसूरती से नादानी औ तजुर्बों के निशां!!



#सुनो
ऐसे इतवार भी बिताने हैं तुम्हारे साथ....
मैं तुम्हारी ऐनक साफ करूँ,तुम मेरे सफेद बाल रंगो...!!
न जाने किसने किस मूड़ में यह सब कहा लिखा होगा अब तो उसका बाल रंगने का भी मन नही करता होगा क्योंकि कहीं बाहर नही जाना है, अलबत्ता चश्मा बार बार साफ करना पड़ता होगा,दिन भर फ़ोन नेटफ्लिक्स जो चलता रहता है ।


कोरोना केसेज क्यों लगातार बढ़ते रहें ?
बहुत गंभीर बातें लिखी जा रही हैं, कृपया राजनीतिक रंग देने की कोशिश न करें। सरकार ने अपने नुकसान की परवाह न करके थोड़े देर से ही सही, पर लॉक डाउन की घोषणा तो की। सरकार ने स्पष्ट बोल था कि ये तीन महीने हमें अपने घर के अंदर रहकर काटने हैं, जो समर्थ हैं अपने खाने पीने की व्यवस्था करें, गरीबों के खाने की व्यवस्था सरकार करेगी। जिनतक सरकार नहीं पहुँच पाए, उनतक समाज के लोग मदद करें। भीषण संकट की घडी है, व्यवसायी अपने एम्प्लाइज के खाने पीने की व्यवस्था करें। मकान मालिक किराया न लें, बैंक EMI न लें। यदि ये सब होता तो कोरोना के केसेज इतने न बढ़ते, गड़बड़ी कहाँ कहाँ आयी, आपलोग ध्यान दें।



तटस्थ दिखना , एक विरले दर्जे की कट्टरता है ।


यूरोप का सूरज डूबने जा रहा !!
मध्य युग में पूरे यूरोप पे राज करने वाला रोम ( इटली ) नष्ट होने के कगार पे आ गया, मध्य पूर्व को अपने कदमो से रौंदने वाला ओस्मानिया साम्राज्य (ईरान,सऊदी, टर्की) अब घुटनो पर हैं, जिनके साम्राज्य का सूर्य कभी अस्त नहीं होता था, उस ब्रिटिश साम्राज्य के वारिस बर्मिंघम पैलेस में कैद हैं !!


लॉक डाउन पहली बार तो मार्च के अंतिम दिनों में टूट गया था जब आनंद विहार में हजारों मजदूर एकत्रित हो गए थे। फिर जहां तहां हजारों मजदूर इकट्ठा हो ही रहे हैं। मजदूर ट्रेन से जा रहे हैं। ट्रकों में लद कर भी जा ही रहे हैं। ऐसे में यदि मस्जिदों में ईद के नमाज़ की अनुमति शर्तों के साथ दे दी जाती तो अच्छा ही होता।
लोग सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान स्वयं रख लेते। सरकार को दुआएं भी मिलती। छवि में भी सुधार होता।


चाचाजी धूम्रपान करते थे, सबको पता है। वे और क्या क्या करते थे ?
प्रामाणिक तौर पर उनके संगी-साथी ही कुछ कहें तो बेहतर अन्यथा धूम्रपान वाली तस्वीरों को फोटोशॉप बताकर छुट्टी पाएँ


जब आप किसी के लिए स्नेहवश हमेशा उपलब्ध रहते हैं तो वह अक्सर आपको हल्के में लेने लगता है... ऐसे में गिनाओ, जताओ, सुनाओ मत... बस अलग हो जाओ शांति से, जो फॉर ग्रांटेड ले उसको दूसरा मौका कभी मत दो।
आगे बढ़ो, वक़्त बचाओ, ज़िन्दगी में बहुत कीमती लोग मौजूद हैं और कई अभी मिलने बाकी हैं।
- इरा टाक