मित्र मंडली में मौजूद मित्र , अपने फेसबुक स्टेटस में इतनी कमाल की बेहतरीन बातें , चित्र , टिप्पणियाँ प्रस्तुत करते हैं कि हठात ही उन्हें सहेजने का और ब्लॉग जगत के दोस्तों तक पहुंचाने का मन हो उठता है , और मैं अपने इस ब्लॉग पर उन्हें हमेशा के लिए सहेज भी लेता हूँ | आज रविवार के दिन ,देखिये कमाल के खूबसूरत स्टेटस कतरे .....आप भी |
" एक लेखक को सेलिब्रिटी होने से बचना चाहिए अन्यथा वह केवल अपने प्रशंसकों की आशा आकांक्षा का गुलाम होकर रह जाएगा। "
(लो भई इसीलिऐ अच्छे बच्चे Unfriend हो गये आज)
रेल,गैस,बिजली पानी सारी सब्सिडी ख़त्म कर दीजिए,सारे चीज़ों पर भरपूर मुनाफ़ा लीजिये,सारे टैक्स लगाइए बस एक छोटी सी बात की गर कल को कोई बीमारी या दुर्घटना के चलते किसी की आमदनी न हो या कमाई न हो तो सामाजिक सुरक्षा के नाम पर क्या है आपके पास !बच्चों की पढ़ाई राशन पानी आदि की क्या व्यवस्था होगी ! तीस पर्सेंट आप आमदनी का हिस्सा ले लेते है और उसके बाद भी तमाम तरह के टैक्स देने के बाद क्या बचता है ? और ये आजकल पब्लिक प्राइवट पार्ट्नर्शिप के नाम पर जो लूट है उसका हिसाब कौन देगा ! इंकम टैक्स दिया फिर सड़क पर मेने टोल टैक्स दिया ,शिक्षा और चिकित्सा पर GST दिया ,बदले में क्या सुरक्षा??
गुरुपूर्णिमा पर इतना ही लिखना है......
#(गुरु+पूर्ण+माँ )
#(गुरु+पूर्ण+माँ )
अर्थात सर्वप्रथम: माँ ही पूर्ण गुरु है तत्पश्चात गुरु ही पूर्ण माँ है।
भगवान कसम कभी कभी इश्क में खुशी से मर जाने को जी करता है।
दो गज़ सही, ये मेरी मिल्कियत तो है,
ऐ मौत तूने मुझे ज़मींदार कर दिया ।।
ऐ मौत तूने मुझे ज़मींदार कर दिया ।।
(राहत साहब द्वारा आज की बात)
स्वप्न
सोनमछली है
आँखों के पोखर की
सूखेगा जल तो मछली मरेगी
सोनमछली है
आँखों के पोखर की
सूखेगा जल तो मछली मरेगी
जल की कमी
प्रेम का सबसे बड़ा संकट है
प्रेम का सबसे बड़ा संकट है
[ बा बु षा ]
जो लोग जुल्म के खिलाफ आवाज नहीं उठाते, वे सिर्फ लाशें उठाते हैं..!
जागते थे हम ही हम उनके साज़ में तरानों में
सोये तो ज़िक्र भी नहीं हक़ीक़त न फ़सानों में
सोये तो ज़िक्र भी नहीं हक़ीक़त न फ़सानों में
मेहनत इतनी खामोशी से करो कि सफलता शोर मचा दे !
चयन का अधिकार अयोग्य और महत्वकांक्षी के हाथ में होगा तो कभी उत्तम चयन हो ही नहीं सकता और योग्य और जरूरतमंद का अधिकार सदैव मारा जायेगा..
- महाराणा प्रताप ने घास की रोटी खाई, महान हो गए.
- लालू जी ने चारा खाया, घोटाला हो गया.
(बीजेपी-संघ की साज़िश)
- लालू जी ने चारा खाया, घोटाला हो गया.
(बीजेपी-संघ की साज़िश)
- विनोबा भावे ने अमीरों से भूदान कराया, यज्ञ हो गया.
- लालू जी को ग़रीबों ने भूदान किया, घूस हो गया.
(बीजेपी-संघ की साज़िश)
- लालू जी को ग़रीबों ने भूदान किया, घूस हो गया.
(बीजेपी-संघ की साज़िश)
क्या आप जानते हैं , हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या क्या है ?
बस एक सवाल -- कि पहले मुर्गी आई या अंडा ?
लेकिन इसका जवाब अभी तक न कोई ढूंढ पाया है , न कोई ढूंढना चाहता है !
बस एक सवाल -- कि पहले मुर्गी आई या अंडा ?
लेकिन इसका जवाब अभी तक न कोई ढूंढ पाया है , न कोई ढूंढना चाहता है !
ललुआ को देश की धरोहर बताने वाले बाबा को भी दो चार घुसंड तो बनते ही हैं...
पतिदेव से कहा एक जोक सुनाइये आज छुट्टी का दिन है तो
बोले " एक शांत पत्नी थी"
जोक खत्म
बोले " एक शांत पत्नी थी"
जोक खत्म
एक व्यक्ति एक बार आरक्षण
यह उस पर छोड़ दे वह शिक्षा या नौकरी में से चुन लें।
कर सुधार की तरह आरक्षण नीति में भी सुधार हो जिससे आरक्षित वर्ग के उन लोगों का संरक्षण होगा जिन्हें सत्तर साल में भी आरक्षण का लाभ न मिल सका।
७० साल में भी आरक्षित वर्गो का उत्थान नही हुआ इसके लिए कही न कही वर्तमान आरक्षण नीति दोष युक्त है।
यह उस पर छोड़ दे वह शिक्षा या नौकरी में से चुन लें।
कर सुधार की तरह आरक्षण नीति में भी सुधार हो जिससे आरक्षित वर्ग के उन लोगों का संरक्षण होगा जिन्हें सत्तर साल में भी आरक्षण का लाभ न मिल सका।
७० साल में भी आरक्षित वर्गो का उत्थान नही हुआ इसके लिए कही न कही वर्तमान आरक्षण नीति दोष युक्त है।
*गौर कीजिएगा..*
"चील की ऊँची उड़ान देखकर चिड़िया कभी डिप्रेशन में नहीं आती,
"चील की ऊँची उड़ान देखकर चिड़िया कभी डिप्रेशन में नहीं आती,
वो अपने आस्तित्व में मस्त रहती है ,
मगर इंसान, इंसान की ऊँची उड़ान देखकर बहुत जल्दी डिप्रेशन में आ जाते हैं "
तुलना से बचें, और आनंदित रहें.
उनकी समस्या ये नहीं कि असहिष्णुता बढ़ी है, बल्कि समस्या ये है कि गाली के बदले गाली, कविता के बदले कविता, शायरी के बदले शायरी, राजनीति के बदले राजनीति और फिल्मों के बदले फिल्मों से पेला जा रहा है....
ये नेता-अभिनेता, ये ब्यूरोक्रेट्स, ये शायर, कवि जो आम पब्लिक को झाड़ी का तिनका नहीं समझते थे उन्हें सामान्य फेसबुकियों ने ही उनकी जगह बता दी है कि जनाब क़ायदे में रहेंगे तो फ़ायदे में रहेंगे नहीं तो यहाँ पूर्व रेल मंत्रियों की भी रेल बन जाती है तो आप किस खेत की मूली हैं, आपके बुजुर्गों ने आपको बहुत बिगाड़ रखा था अब वक्त है सुधर जाने का नहीं तो सिधर जाएंगे।
"पेरेंट्स एक उम्र के बाद जिंदा नहीं रहते , उन्हें जिंदा रखना पड़ता है और ये ज़िम्मेदारी संतानों की ही होती है" ..
.फिल्म पीकू का एक संवाद और एक तीखा सच