मेरा नाम लेकर झूठ बोले, तो मुझे बता
झूठ के बाद झूठ क्या बोलूं,पता तो रहे येयह सत्ता का नशा होता ही ऐसा है । जिसे एकबार इसकी लत लग गयी फिर छूटती ही नहीं । सत्ता का स्वाद चख चुखा व्यक्ति इसके लिए रिश्ते नाते उसूल रसूल सबको अंगूठा दिखा देता है । गद्दाफी के लिए 42 साल भी कम पड़ गए । सामने मौत देखते हुए भी सत्ता का मोह नहीं छूटा ।
भारत को गद्दाफियों को सँभल जाना चाहिए ।फेसबुक में सच और सर्च की सुविधा कम क्यों है, या है ही नहीं
गाँव का बदनाम दादा मर गया.
चौपाल पर शोक सभा बुलाई गई.
दस्तूर सबको मालूम था कि मरने वाले के बारे में भली बाँतें कही जानी है लेकिन इस दादा के बारे में किसी के पास कोई भली बात थी ही नहीं.
अंत में गाँव के स्कूल के मास्टरजी को कहा गया वे किसी तरह रस्म कि पूर्ति करे.
मास्टरजी खड़े हुए और बोले --' जागीर सिंह आज हमारे बीच नहीं है . हमें उसकी मौत का अफ़सोस है. जागीर सिंह एक नंबर का गुंडा, बदमाश, उठाईगिरा ,गिरहकट,ठग था लेकिन अपने छः भाइयों के मुकाबले में वह देवता था.प्रधानमंत्री मन की बात बताकर स्थिति साफ करने लगे हैं, किन्तु अगर सीबीआई की भ्रस्टाचार विंग को लोकपाल से अलग रखा गया तो इससे दोनों के कामों में सामंजस्य नहीं रहेगा और सीबीआई का अभी की भांति दुरूपयोग भी होता रहेगा. ..क्या pm भ्रस्टाचार पर सुनवाई करने वाली लोकपाल जैसी एकमात्र और स्वतंत्र संस्था को मजबूती देंगे, वरना उनकी नीयत पर शक किया जायेगा.
ओम जय जगदीश की आरती के रचयिता....
ओम जय जगदीश की आरती के रचयिता....इतना मलाई चाभने वाले पूछते हैं कि किरन बेदी के सपरेटा दूध पर फांफी (पपड़ी) क्यों जमी!
अविनाशा बनाम @Dilip Mandal अगर किनारे बैठकर देखा जाए तो रोचक द्वंद्व है। न्यू मीडिया के लिहाज से कह रहा हूँ, कंटेट पर नहीं। अविनाश इस दुनिया के पुराने ट्राल हैं तथा दिलीप हाल में Troll बनने की ओर झुक रहे हैं... इसलिए तमाशा देखते रहिए...इसमें अभी कुछ और गिरावट आएगी।
- कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव तथा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की बयानबाजी से नाराज कांग्रेस की प्रदेश इकाई के सचिव हरीश अरोरा ने पद से इस्तीफा दे दिया है।
हरीश का आरोप है कि दिग्विजय लगातार ऐसे बयान दे रहे हैं जो जन भावनाओं के खिलाफ है। इससे पार्टी की छवि प्रभावित हो रही है। हरीश ने कहा, 'पहले वह आतंकवादी ओसामा बिन लादेन के लिए सम्मानजनक भाषा का इस्तेमाल करते हैं, फिर मुंबई में शहीद हुए पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे की शहादत पर सवाल खड़े करते हैं। इतना ही नहीं उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे पर भी गैरजिम्मेदाराना टिप्पणी की है।'
हरीश ने आरोप लगाया, 'दिग्विजय ने प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए पूरे राज्य को बर्बाद किया है। इसका खमियाजा कांग्रेस आज तक भुगत रही है। इसके अलावा भी कई अन्य कारण है जिनके चलते पद से मैं इस्तीफा दे रहा हूं, जिनका बाद में खुलासा करुंगा।'देश की पहली महिला आई पी एस अधिकारी , तेज़ तर्रार पुलिस अधिकारी , देश ही नहीं विश्व भर में , भारत का , भारत की महिलाओं का , और उस दिल्ली पुलिस का मान सम्मान बढाने वाली , जिस दिल्ली पुलिस ने उन्हें जबरन अवकाश प्राप्ति की ओर धकेले जाते हुए चुपचाप देखा , और पूरे देश भर की शक्तिशाली महिलाओं ने भी , उस किरन बेदी ने हवाई यात्रा के खर्च में बेइमानी करके पैसे बनाए ....इस रिपोर्ट को एक आम पाठक के रूप में, मैं एक घटिया रिपोर्ट मानता हूं ..
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शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2011
कभी तुम ,कभी तुम्हारा चेहरा कहता है ....
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सोमवार, 10 अक्टूबर 2011
आंसू नमकीन ,चेहरे गमगीन ..
Very Sad news
सुना है बन्द कर ली उसने आँखे,
कई रातों से वो सोया नहीं था
न बात पूरी हुयी थी कि रात टूट गयी
अधूरे ख्वाब की आधी सज़ा में जीते हैं..... :-(
Danda Lakhnavi
ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह को शब्दाजंलि....
=====================
जब - बल - खाएंगी हवा, झूंमेगे कचनार।
तब मृदु स्वर जगजीत के, छूलेंगे मन-तार॥
बिरली उसकी -गायकी, अद्भुत उसकी प्रीत।
गायन से जगजीत ने, स्वयं लिया जगजीत॥
RIP
Jagjit
Singh or Jaggu dada as I used to refer to you, R.I.P. Your singing
evoked tears of emotion in a young lad of 13 years. Your singing was the
school which helped him to understand beauty of poetry and soul
touching music. You will be missed, terribly missed !!!
सुना है पहले भी ऐसे में बुझ गये हैं चिराग,
दिलों की खैर मनाओ, बडी उदास है रात । :(
किसको आती है मसीहाई किसे आवाज दूँ / बोल ए खुँखार तन्हाई किसे आवाज दूँ / चुप रहुँ तो हर नफ़स डसता है नागन की तरह / आह भरने में है रुसवाई किसे आवाज दूँ / उफ़ खामोशी की ये आहें दिल को भरमाती हुई / उफ़ ये सन्नाटे की शहनाई किसे आवाज दूँ ॥ ( जोश मलीहाबादी )
एक श्रद्धांजली
धरती का कण कण डोल उठा , चट्टानें हिली हिमालय की ।
सागर की लहरें सुप्त हुई , रोई गंगा जमुना बिलखी ।।
हे राम तुझे यह क्या सूझी , यह तुमने क्या कर डाला ।
कहाँ मिलेगा जगजीत जैसा , मीठी धुनों का मतवाला ।।
म्रत्यु-लोक को ख्याति उसकी , शायद रास नहीं आई ।
म्रत्यु वरण कर साथ ले गई , क्षणिक नहीं देरी लाई ।।
दो हफ्ते और दो परिवर्तनकारियों की मौत...एक जिसने तकनीकी दुनिया की दिशा बदल दी और दूसरा जिसने ग़ज़लों को उर्दू जानकारों की ज़द से छुड़ाकर आम लोगों के दिल में उतार दी. दोनों को सादर नमन और श्रद्धांजलि
अपनी आवाज़ से तूने मेरा जग जीत लिया,
तेरी आवाज़ को सीने से लगा रक्खा है ।
मेरे सुनने तलक तू मुझमेँ रहेगा ज़िँदा,
अपना जीना तेरे मरने को बचा रक्खा है ।
ये गज़ल, गीत तेरे और थोड़ा तू ख़ुद भी,
हमने इस दिल को तेरी बज़्म बना रक्खा है ।
तुझे जो मौत मिली उसका ग़म तो है लेकिन,
हमको जीने मेँ भी रखा है तो क्या रक्खा है ।
-RIP Jagjit Singh.
सुबह खबर मिली जगजीत साहब के जग जीत कर दुनिया छोड़ जाने की, लेकिन पेशे की ऐसी मज़बूरी कि सुबह से लेकर शाम और रात के बाद अब देर रात फेसबुक पर श्रद्धांजलि देने का मौका मिला. जगजीत साहब के लिए जो कहा जाए कम है, उनकी जिस भी ग़ज़ल को सुना जाये वो एहसास दिला जाती है कि दिल कि आवाज़ क्या होती है और सकून क्या होता है, उपरवाला उन्हें जन्नत नसीब करे....
आह!!!
एक ख्वाहिश थी - इस नाचीज़ की ग़ज़ल को जगजीत सा'ब अपनी आवाज़ बख्श दें. जो
अब हमेशा- हमेशा के लिए अधूरी रह गयी. पिछले 8 साल पहले उनके नाम एक ख़त
लिखा था, जो मैं पोस्ट भी न कर सका.. आज भी वो ख़त ज्यों का त्यों मेरे पास
मौजूद है. मगर अफ़सोस अब उस ख़त को पढने वाला ही नहीं रहा.. एक टीस रह गयी
दिल में. काश वो ख़त पोस्ट किया होता. खुद ग़म में रहकर हमें अपनी
ग़ज़लों से जिंदा रखा आज वही नहीं है. अब और नहीं लिखा जा रहा है. आँखों
में नमी आ गयी. वो मखमली आवाज़ और वो हमेशा यूँ ही जिंदा रहेंगे जैसे पहले
थे..
वो कौन है दुनिया में जिसे ग़म नहीं होता..
किस घर में ख़ुशी होती है मातम नहीं होता..
जगजीत सिंह, एक ऐसा नाम जो गज़ल का पर्यायवाची है ! हम कैसे कह सकते है की गज़ल की मृत्यु हो गई ?
तमन्ना थी आवाज के जादूगर से बड़ी हसरत थी दिल में कुछ कहने की कुछ
सुनने की बड़ी तमन्ना थी दिल में आवाज के जादूगर से मिलने की जो हर पल एक
कली सा जीवन के आँगन में गजलों के खुशबू फैलता था मन...
Tribute to Jagjit Singh by Lata Mangeshkar
mohallalive.com
नमस्कार।
आज एक बहुत ही दुख भरा दिन है क्योंकि महान गजल गायक जगजीत सिंह जी आज
हमारे बीच नहीं रहे। मेरी उनके साथ पहचान काफी पुरानी थी और हमने एक गजल
अलबम भी एक साथ किया, जिसका नाम था सजदा, जिसे लोगों ने बहुत पसंद किया। वो
हमें बहुत याद आएंगे, और मैं उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पण करती
हूं।
जिनको दुनिया की निगाहों से छुपाए रखा,
जिनको एक उम्र कलेजे से लगाए रखा,
दीन जिनको, जिन्हें इमान बनाए रखा।
तूने दुनिया की निगाहों से जो बचकर लिखे
साल-हा-साल मेरे नाम बराबर लिखे,
कभी दिन में तो, कभी रात को उठकर लिखे।
तेरी खुशबू में बसे खत, मैं जलाता कैसे?
प्यार में डूबे हुए खत,मैं जलाता कैसे?
तेरे हाथों के लिखे खत,मैं जलाता कैसे?
तेरे खत आज, मैं गंगा में बहा आया हूं...
आग बहते हुए पानी में लगा आया हूं।
(बहुत याद आओगे आप....)
दिवस की शुरुआत कैसी उदास यह...
जगजीत के बिना यह पहली सुबह...
गुरुवार, 6 अक्टूबर 2011
चेहरों का फ़साना ...
मोहब्बत जडाऊ नहीं होती .........
चाहती थी प्रीत बंजारन
के पांव में बिछुए पहनाना
मोहब्बत के नगों से जड़कर
... बनाना चाहती थी
एक नयी इबारत
एक नयी उम्मीद
एक नया अहसास
मोहब्बत के लिबास का
पर मोहब्बत ने कब
लिबास पहना है
कब नग बन
किसी अहसास में उतरी है
मोहब्बत न तो कभी
बेपर्दा हुयी है
और न ही कभी
लिबास में ढकी है
मोहब्बत ने तो
हर युग में
हर काल में
एक नयी इबारत गढ़ी है
और हर रूह को छूती
हवा सी बही है
और बंजारे कब कहीं
ठहरे हैं
फिर प्रीत बंजारन को
कैसे कोई छाँव मिलती
जो किसी नगीने सी
किसी जेवर में जड़ी जाती
शायद तभी
मोहब्बत जडाऊ नहीं होती ......
चाहती थी प्रीत बंजारन
के पांव में बिछुए पहनाना
मोहब्बत के नगों से जड़कर
... बनाना चाहती थी
एक नयी इबारत
एक नयी उम्मीद
एक नया अहसास
मोहब्बत के लिबास का
पर मोहब्बत ने कब
लिबास पहना है
कब नग बन
किसी अहसास में उतरी है
मोहब्बत न तो कभी
बेपर्दा हुयी है
और न ही कभी
लिबास में ढकी है
मोहब्बत ने तो
हर युग में
हर काल में
एक नयी इबारत गढ़ी है
और हर रूह को छूती
हवा सी बही है
और बंजारे कब कहीं
ठहरे हैं
फिर प्रीत बंजारन को
कैसे कोई छाँव मिलती
जो किसी नगीने सी
किसी जेवर में जड़ी जाती
शायद तभी
मोहब्बत जडाऊ नहीं होती ......
तुमको आया नहीं तब्दीली ऐ मौसम का ख्याल
वरना हालात तो होते हैं बदलने के लिए !!
तुम भला क्या नई मंजिल की बशारत दोगे !
तुम तो रस्ता नहीं देते हमें चलने के लिए !!
- सलीम कौसर साहब
स्वीडन के कवि टॉमस ट्रांसट्रोमर को नोबल पुरस्कार घोषित कर दिया गया है।
बेहद मुश्किल दुष्कर्मों ( जो कभी मुझे बहुत प्रिय हुआ करते थे ) को शनै : शनै : छोड़ चुका हूँ ...
सबसे पहले ... नान वेज ... फिर ... वाइन ... उसके बाद ... स्मोकिंग ... अब महसूस कर रहा हूँ
बेहद सुकूं ...
अब आगे १-२ और नित्य कर्मों की ओर ध्यान है, देखें ... कब से छोड़ पाता हूँ ...
.
सभी मित्रों को दशहरा पर्व की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं ...
एक शेर के सांथ ...
.
रावण मिलते कदम कदम पे, ये कलयुग की माया है
राम खड़े चुप-चाप देखते, रावण ने रावण जलाया है !
पैलाग
क़र्ज़ में डूबे लोगों के लिए आत्महत्या एक ऐसा इंश्योरेन्स है जिसका प्रीमियम भरने की भी ज़रूरत नहीं पड़ती.
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जब तारे रक्स करते हैं और चंदा गीत गाता है
किसी की याद में अश्कों से दामन भीग जाता है
फ़क़त वो एक ही गुल तो इधर का रुख नहीं करता
गुलों का शोख़ मौसम तो चमन में आता जाता है
तुम्हे कैसे बताएं हम यही दस्तूरे दुनियां है
जो कुछ ज्यादा चमकता है वो मोती टूट जाता है
एक इन्सां को मनाने का हुनर हमको भी है हासिल
उसे कैसे मनाएँ हम, अगर रब रूठ जाता है
mcs
Pankaj Prasun
आज मेरा मन भर आया है .
नवमी वाले दिन 9 शक्तिवों की प्रतीक 9 कन्याओं की पूजा की जाती है.पर
अफ़सोस इस बार मोहल्ले में बहुत खोजने पर 5 कन्याएं ही मिल पाई. कैसी
विडम्बना है एक और हम उन्हें शक्ति का प्रतीक मानकर पूजते हैं तो दूसरी और
इस शक्ति को संसार में आने ही नहीं देना चाहते.हमारे देश में कन्याएं
ENDANGERED SPECIES हैं.और अगर यह विलुप्त हो गयीं तो संस्कृति का धनी देश
कंगाल हो जायेगा.आज ही मैंने अखबार में पढ़ा कि एक नवजात बच्ची नाले के
किनारे पडी मिली.कितना दुर्भाग्यपूर्ण है मिट्टी की दुर्गा का विसर्जन गंगा
में किया जाता है और जिन्दा दुर्गा को नाले में फेंक दिया जाता है.. पंकज
प्रसून
पिछले नौ दिनों से माता की पूजा करने वालो, कन्याओं को भोज कराने और पूजने वालो...आज से ये औपचारिकता समाप्त हुई...
आइये अब कल से (आज से भी) कन्या भ्रूण हत्या करें...अपनी ही बेटी के साथ
विभेद करें.....अपनी ही माँ के साथ दुर्व्यवहार करें....आखिर अब लगभग छः
माह बाद ही फिरसे नव-दुर्गा का पर्व आएगा तब तक महिलाओं के साथ करें
भेदभाव, दुर्व्यवहार और समय आने पर करेंगे उनकी पूजा....
जय माता दी
गांव के जिन स्कूलों में बिजली कभी नहीं गई वहां के विद्यार्थियों से भी सरकार बिजली-शुल्क वसूल रही है. कैसा अंधेर है !
ब्रेकिंग न्यूज इस वक्त सभी चैनलों पर चल रही है :-
रामलीला मैदान में दहन किए जाने वाले पुतलों में से रावण का पुतला फरार। सुनने में आया है कि वो कुछ नेताओं की तलाश कर रहा है। कोई उसे बतलाए कि कुछ तो तिहाड़ में सुरक्षित हैं, कुछ अस्पताल में और बाकी संसद में। आपको क्या लगता है कि वो उन तक पहुंच सकेगा, क्या आप उनमें से कुछ महत्वपूर्ण नेताओं के नाम बतला सकते हैं, जिनकी तलाश रावण नहीं, रावण का पुतला कर रहा है ? घबरा गए, यही संशय प्रकट किया था पुतले ने कि फेसबुक के वीर पसंद करेंगे और खिसक जायेंगे।
जय श्री कृष्ण !!!
विजया-दशमी (दशहरा) के पावन पर्व अवसर पर सभी मित्रो, बन्धु-बांधवों को ढेरों- बधाई और हार्दिक शुभकामनाये.
Sanyog Shrivastava shared Mohit Kumar's photo.
laxmibai nagar (sarojani nagar) ka ravan...jalane waalaa hai....
दम है तो मचाओ हल्ला
" नरेन्द्र मोदी ने एक ऑफिसर को जेल में डाल दिया जिसका इतिहास भी गुनाह
से भरा हुवा है तो हल्ला मचा दिया था और उस पुलिशवाले की असलियत जनता से
छुपा रहे हो ...तो चलो अब जिसके हाथ खून से रंगे हुवे है ऐसे इस
मुख्यमंत्री "उमर अब्दुल्ला" के बारे में क्या ख्याल है ...दम है तो मचाओ
अब हल्ला ? इस उमर अब्दुल्ला के सामने तो चस्मदीद गवाह भी है ...कहा गए
मानव अधिकारवाले .. ..अन्ना हजारे जी अब इस पर भी अपना स्टेटमेंट तो दो ,या
फिर आपके साथी कहते है वही सही है ,कश्मीर में जनमत ? "
बडे गंदे लगते हैं ...ये मंत्री , ये नेता , ये पोलटिस और ......और ये गोरमिंट ...सुर में गाइए , तो जरा
बहिन जी अपना दू ठो मंतरी जी को बर्खास्त कर दीहिन हैं , लेकिन सुने हैं कि ऊपी के सबसे मालदार नेताइन में बहिन जी का ही खुद का लंबर वन पोजीसन डिक्लियर हुआ है
पिछले दिनों सुना कि टेलिविजन सेंसर बोर्ड , अश्लील , फ़ूहड , बेतुके और वाहियात प्रोग्राम पर लगाम कसेगा , लेकिन अब big boss देख के समझ गए ....अबे कौन उडाता है ई सब अफ़वाह रे
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