Followers

शनिवार, 11 मई 2013

तुम लिखो फ़ेसबुक , हम ब्लॉग लिखेंगे ..

रविवार की सुबह सुबह जब इतनी बेहतरीन बातों को पढने , उस पर कुछ कहने का अवसर मिले तो समझ जाना चाहिए कि सचमुच इतवार  ! तेरा कहना ही क्या ……। उनमें से कुछ के शब्दों को हमेशा की तरह सहेज़ कर रख लिया है मैंने , देखिए आप भी

 

  • सनातन कालयात्री

    नेता साले हरामखोर तो हर जगह हैं लेकिन क़्वालिटी और विजन का अंतर है। हैदराबाद और लखनऊ के विकास के अंतर प्रमाण हैं।

  • Gunjan Shrivastava

    मदर्स डे पर सारी दुनिया में कुछ लोग ग्रीटिंग्स खरीदते रहे ...और कुछ उसकी आलोचना करते रहे ....वहीँ एक दिल वाले ने बच्चों की मम्मा को प्यार से एक मोगरे का गजरा देकर निहाल कर दिया .. :)

  • Amrendra Nath Tripathi

    फेसबुक पर ब्लॊकी-करण के अपने झाम, झटके और रोमांच हैं।

    अक्सर आपके स्टेटस पर दो आदमी संवाद कर रहे होते हैं, जो एक दूसरे को ब्लॊक किये होते हैं। ब्लॊक-संवाद टाइप का। आप पर जिम्मेदारी होती है कि आप दोनों लोगों की ब्लॊक-मानसिकता की कद्र करते हुए उन्हें एक दूसरे की बात संप्रेषित करें। ऐसा करते हुए आपका रवैया निहायत ‘गैरजानिबदाराना’ होना चाहिए नहीं तो आप उनमें से किसी की भी ब्लॊक-मानसिकता के शिकार हो सकते हैं।

    ब्लॊकी-करण को एक उपयोगी और पसंदीदा कार्यवाही समझने वाले लोग अनिवार्यतः एक और प्रोफाइल रखते हैं। यानी दो प्रोफाइल, एक जिससे ब्लॊक करना है और दूसरी जिससे ब्लॊक किए लोगों को देखते रहना है। और काम की बात दिख जाने पर ‘मित्रों से सूचना मिली/जानकारी पहुँची/ऐसी चर्चा है’ - ऐसा लिखते हुए आपको यथोचित जवाब भी देना है। यह आपका ब्लॊक-धर्म है। इस तरह आप जिसे ब्लॊक किए होते हैं, उसके और नजदीक चले जाते हैं। यह ब्लॊक-मित्रता भी कम प्रगाढ़ नहीं होती।

  • Kumud Singh

    तिरहुत से दिल्‍ली तक के लोगों को न्‍योता दिया गया। करीब 5 लाख लोगों के लिए खाना तैयार हुआ। करीब 200 रसोइए ने खाना तैयार किया। करीब 10 एकड में पंडाल लगाये गये::::::इन वाक्‍यों को पढ कर ऐसा नहीं लग रहा है जैसे हम किसी राजा महाराजा के घर में हो रहे किसी समारोह का ब्‍योरा पढ रहे हैं। कल जब इस प्रकार की जानकारी मिली तो हमें भी यही लगा, लेकिन----।

  • Dinesh Aggarwal

    अभी तक रहा, खास लोगों का ही देश यह,

    आओ आम आदमी का, देश ये बनायें हम।

    सोते हैं अभी भी आम आदमी अनेकों यहाँ,

    मित्रों आओ मिलकर, उनको जगायें हम,

    लूटा देश को हमारे, भ्रष्ट राजनेताओं ने,

    सत्ता से हटाके इन्हें, जेल पहुँचायें हम।

    अब तक नहीं आम आदमी की कदर जो,

    उसी आम आदमी की, सत्ता यहाँ लायें हम।।.

  • DrAmit Varshney

    खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है

      • Mukesh Tiwari

        रात है रात बहुत रात बड़ी दूर तलक

        सुबह होने में अभी देर है माना काफ़ी

        पर न ये नींद रहे नींद फ़क़त नींद नहीं

        ये बने ख़्वाब की तफ़सील अंधेरों की शिकस्त ....(साभार पहल ९२ से)

      • विपिन राठौर

        काश! आज के दिन की तरह हरदिन मां को प्यार और सम्मान मिलता।

      • Krishnanand Choudhary

        खतरा ऐसे लोगोँ केँ सिर पर सदैव मंडराता रहता है , जो उससे डरते हैँ ।

      • Manoj Kumar Jha

        माँ तुझे प्रणाम....... मैं जो कुछ भी हूँ और जो कुछ बनना चाहता हूँ, उसके लिए अपनी देवी स्वरूपा (गोलोकवासिनी ) माँ का ऋणी हूँ,

      • Dev Kumar Jha

        भुने हुए आलू और धनिया की चटनी... वाह... कोई जवाब नहीं भाई..... खुद की बनाई हो तो फ़िर तो कहना ही क्या..

        • Aradhana Chaturvedi

          (प्यार, मोह और असमंजस)

          मैं प्यार करती हूँ तुमसे

          जब छोड़कर जाना चाहोगे, जाने दूँगी,

          पर प्यार करती रहूँगी

          किसी और को चाहूँगी, तब भी चाहूँगी तुम्हें,

          तुम्हारे बगैर भी जिऊंगी, तुम्हें याद करते हुए।

          पर तुम्हें...मुझसे मोह है,

          इसलिए तुम मुझे कभी छोड़ न पाओगे,

          तुम जुड़े रहोगे मेरे साथ यूँ ही

          जब हमारे बीच प्यार नहीं रह जाएगा तब भी,

          और मैं न रहूँ..., तो जाने क्या होगा?

          कभी सोचती हूँ मेरा प्यार बेहतर है

          कभी मन कहता है तुम्हारा मोह भला।

        • Shekhar Suman

          एक बार बहुत पहले इक्जाम देने बोकारो गया था... दिन भर कुछ खास खाया नहीं था, स्टेशन पर एक जगह जलेबी बिकती दिखी... हमने उससे पूछा ताज़ी है, उसने बोल ताज़ी के चक्कर में कहाँ पड़े हैं भैया गरम खोजिये गर्म मिलेगी...

        • दिनेशराय द्विवेदी

          पिछले दो मिनट में कोयल की पाँच कुहुक सुनाई दे चुकी हैं। मतलब? अख्तर खान अकेला के स्टेटस नाजिल हो रहे हैं।

        • Kajal Kumar

          बेचारे इमरान खान को सिर फुड़वा के भी कोई फ़ायदा नहीं हुआ ,

          नवाज़ शरीफ़ के भागों छीका फूटने की ख़बरे आने लगी हैं (मुशर्रफ़ का भगवान मालिक)

        • Neeraj Badhwar

          पाकिस्तान से मिले रहे ताज़ा रूझानों के मुताबिक पाक तालिबान, लश्कर ए तैयब्बा से सात के मुकाबले तीन बम धमाकों से आगे चल रहा है।

        • Suman Pathak

          ख़ुशी में हूँ या ग़म में हूँ ... नहीं पड़ता फरक कोई ...

          मगर भर आती हैं आँखें ... जो माँ कहती है "कैसी हो" ...

          --

        • Awesh Tiwari

          फेसबुक से अच्छे दोस्त फूलपुर इलाहाबाद के है ,मिलने पर पान भी खिलाते हैं दूर होने पर फोन भी करते हैं |

        • Brajrani Mishra

          माँ तो बस माँ होती है

          बच्चों की जहाँ (जहान) होती है..

        • Rekha Srivastava

          आज सभी माँओं को मेरा बहुत बहुत नमन ! जो अपनों के साथ है उन्हें भी जो अपनों से दूर कहीं वृद्धाश्रम में , किसी अस्पताल में या फिर किसी और के पास है उन सभी को .

          माँ सिर्फ एक होती है और वह हर हाल में वन्दनीय ही होती है . उसके दोषों को खोजने का हक हमें नहीं है क्योंकि वह हमारे तन , मन की निर्मात्री होती है और अपने खून से सींच कर हमें जन्म देती है. उसके दूध के कर्ज से तो उऋण होना संभव ही नहीं है. आज का दिन माँ के पास न भी रहें , मजबूरी होती है लेकिन कम से कम उसको जैसे संभव हो बात जरूर करें .

        • Saroj Singh

          ट्राफिक सिग्नल पर...

          फूल,खिलौने बेचते बच्चे

          कार के शीशे पोछते बच्चे

          अपने बच्चों की मानिंद

          अपने क्यूँ नजर नहीं आते

          शायद ,एक "माँ" होके भी

          मुझे "माँ" के मायने नहीं आते !

          s-roz

        • Piyush Pandey

          कमाल करती है उसकी बातों की लज़्ज़त

          नमक खिला देती है चीनी का नाम लेकर :-)

        • Mani Yagyesh Tripathi

          पाकिस्तान से चुनावी रुझान में इमरान खान और नवाज शरीफ कुछ यूँ आगे पीछे चल रहे हैं जैसे विवाह में चार फेरे में वर आगे और बाकी के तीन फेरे में कन्या आगे... ;)

        • Kavita Vachaknavee

          यदि आप एक रंग होते तो कौन-सा रंग होना चाहते ?

        • चलत मुसाफ़िर

          ई लो भैया, संडे का पेसल चुटकुला … आजम की तलाशी में अमेरिका का नुकसान। अगर अमेरिका को पता होता तो इन्हें नहीं करता कच्छा उतार हलकान। मिल गया मिल गया नया फ़ार्मुला, जब जब अमेरिका का करना हो नुकसान, तब तब नेता जी की तलाशी कराओ श्रीमान ………

        • Manish Seth

          कैसे ये कहे तुम से ह्मे प्यार है कितना ...

          आँखों की तलब बढती देखे तुम्हे जितना ....:)))

        • Mayank Priyadarshi

          फेसबुक वैचारिक अखाडा है...लोगोँ के विचारोँ की उठा-पटक चलती रहती है !!

        • Bimal Raturi

          तुम ने तो सोचा होगा, मिल जाएँगे बहुतेरे चाहने वाले................

          ये भी ना सोचा कभी कि, फर्क होता है चाहतों में भी !!

        • कवि शैलेश शुक्ला

          अगर देश के सभी वर्तमान और भूतपूर्व मुख्य मंत्रियों, मंत्रियों, सांसदों, विधायकों, सचिवों,संयुक्त सचिवों और अन्य वरिष्ठ अधिकारीयों की समप्त्तियों को निष्पक्ष जाँच की जाए तो......?????

        • विशाल तिवारी

          देश के प्रधानमंत्री की कथित ईमानदारी दूसरों के बईमान कंधों की मोहताज बन कर रह गई है .

        • Rajani Morwal

          बेजान से इस शहर में

          लंबीं घुमावधार सड़कों पर

          सासाें का भ्रम तोड़ती

          तेज रफ़्तार कारें अगर न होतीं ?

          सहरा की रेत में दफ़्न

          होने का गुमां लगता़़़ ़ ...........दुबई के नाम......रजनी मोरवाल ११ मई

        • 15 टिप्‍पणियां:

          1. जय हो, फ़ेसबुकिया टिरेन दौड़ रही है।

            जवाब देंहटाएं
          2. जे बात, ये हुयी ना अजय भईया की चेहरा-पुस्तक पोस्ट :)

            जवाब देंहटाएं
          3. आपकी कोशिश काबिले तारीफ है
            मेरे तो मन में था यही आपने असली झामा पहना दिया
            बहुत खूब

            जवाब देंहटाएं
            उत्तर
            1. चलिए ये इत्तेफ़ाक भी खूब रहा जो आप जैसी दोस्त से मुलाकात हो गई

              हटाएं
          4. नमस्कार !
            आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (13-05-2013) के माँ के लिए गुज़ारिश :चर्चा मंच 1243 पर ,अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें
            सूचनार्थ |

            जवाब देंहटाएं
          5. कम से कम इस ब्लॉग के सहारे फेसबुक पर दृष्टि बनी रहेगी।

            जवाब देंहटाएं
            उत्तर
            1. अमां आपकी दृष्टि के तो हम भी कायल है भाई मियां

              हटाएं
          6. फेस बुक के बहुत सारे यादगार और दिल छू लेने वाली अभिव्यक्ति हमेशा कोई न कोई छूट जाती है . एक अलग सा प्रयोग बहुत अच्छा लगा . आभार !

            जवाब देंहटाएं

          पोस्ट में फ़ेसबुक मित्रों की ताज़ा बतकही को टिप्पणियों के खूबसूरत टुकडों के रूप में सहेज कर रख दिया है , ...अब आप बताइए कि आपको कैसी लगे ..इन चेहरों के ये अफ़साने