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रविवार, 14 अप्रैल 2013

तो देखें , कि चेहरे क्या बयां करते हैं



हो सकता है आने वाले पांच सौ सालों के बाद हिस्ट्री की क्लास मे हम जैसे लोगों की बात हो..और हमे "इंटरनेट एडिक्टेड" जेनेरेशन के नाम से जाना जाये..



बहुत सिसकी थी
रोई
तडफी थी

और
ले आयी थी

सुई धागा
बड़े इत्मीनान से..

उस मासूम को
बोलो

फूट चुके गुब्बारे सिले नहीं जाते!!

 

JDU को लेकर कांग्रेस के अरमान उस छिछोरे लड़के की तरह है जो एक शादीशुदा महिला को चाहता है और मन ही मन दुआ कर रहा है कि उसका तलाक हो जाए।

 


अंत समय जब आएगा,
साथ नहीं कुछ जायेगा।
दौड़-दौडकर माया जोड़ी
हाथ रिक्त रह जायेगा :-(

 


अभी तो आग़ाज-ए-इश्क़ है जानां, अंजाम अभी बाकी है,
गुजारने हैं कई सारे दिन अभी, कई सुहानी शाम अभी बाकी है ।।

 

 


फिर तेरी ज़ुल्फ़ों की छाँव में हर शाम होती
गर ज़िन्दगी सिर्फ़ चिनारों का साया होती

 

देखते ही देखते दुनिया ना जाने ,
कहाँ से कहाँ निकल जाती है |
यहाँ कौन है __
जो किसी के बोझ को अपना समझ कर उठती है ?

हम आज अजनबियों के उड़ानों से ही भ्रमित है |
सभी यहाँ अपनी खुशी को ले कर परेशान है |

वही तुम वही हम फिर भी सब बदला सा है |
ना जाने कहाँ खो गया वो अपनापन और
ना जाने कहाँ खो गयी वो हमारी पहचान !
शायद येही तरक्की का आयाम है | - लिली कर्मकार

 

परिंदे को शिकारी ने ये कह कर कैद में डाला
चहकने की इजाजत तो है, पर आवाज मत करना.....
.
शुभ रविवार मित्रों....

 

मैंने सब कुछ दे दिया अब हो गया अनाम
एक शाम लिख दो कभी तुम मेरे भी नाम.

 

पूछ लीजिये बेशक किसी से भी बेचैन
इन्सान मात खाता है सदा एतबार में

 

 


हिंदी फ़िल्मों में, ढलती उम्र के हीरो की फ़िल्मेंं जब फ़लाॅप हाने/कम मिलने लगती हैं तो वो मूर्ख अपने बचेखुचे पैसों से फ़िल्मों बनाने लगता है

 



छोटे पहलवान ने घंटो दिमाग दौडाया
सोचा आज सुधार दूंगा माँ बेटे को ...
कई घंटे मुगदर घुमाया
सोच सोच कर दिमाग का दही कर दिया '
फिर प्लास उठाया,
सोचा बिजली ही उड़ा देता हो उसके घर की
अकड़ता हुआ पहुचा
वो जो दिख गए सी बी आई को बगल में दबाये '
पैर छूकर नवाजिश की चला और चुपचाप चला आया

 


दिल के छाले
न कोई मरहम
सहते दर्द.

...(हाइकु)

 


दिल के किसी कोने में, वो प्यार आज भी है,
सावन की बूंदों में, वही खुमार आज भी है,
'बेशक' जिंदगी तेरे साथ की मुहताज नहीं,
'पर दिल' तेरे एहसासों का तलबगार आज भी है ... !!अनु!!

 

 आज के लिए इतना ही , फ़िल मिलेंगे कुछ चेहरों और उनकी गुफ़्तगू से ...........

14 टिप्‍पणियां:

  1. ..आज की पंक्तियाँ श्मशान-स्थल पर बैठकर लिखी गईं.
    .
    .
    .आपका आभार !

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    उत्तर
    1. उहां कौन तंतर साथ रहे थे माट साब

      हटाएं
    2. ...दोस्त की बुजुर्ग माँ नहीं रहीं !

      हटाएं
    3. ओह ! ऊं शांति शांति शांति । ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे ।

      हटाएं
  2. उत्तर
    1. हां सच कहा आपने सब के सब बेहतरीन और लाजवाब मित्र हैं

      हटाएं
  3. बेहद शानदार अजय जी आभार।

    जवाब देंहटाएं
  4. उत्तर
    1. अमां ये वो दास्ता हैं है जो कुछ चेहरों ने बयां की है ,
      मैंने तो बस इक पैगाम , इस गांव भी , भिजवाया है ।

      हटाएं
  5. बहुत सुन्दर भाई | लाजवाब | एक एक लिंक अपने आप में कहानी बयां कर रहा है | सुभानाल्लाह |

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  6. क्या बात है …………क्या खूब अंदाज़ है :)

    जवाब देंहटाएं

पोस्ट में फ़ेसबुक मित्रों की ताज़ा बतकही को टिप्पणियों के खूबसूरत टुकडों के रूप में सहेज कर रख दिया है , ...अब आप बताइए कि आपको कैसी लगे ..इन चेहरों के ये अफ़साने