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रविवार, 8 सितंबर 2013

चेहरे छुट्टी कहां करते हैं …….

हां सच ही तो कहा है मैंने , ये चेहरे कहां छुट्टी करते हैं , दिन रात , सुबह शाम कुछ न कुछ बयां करते ही रहते हैं , जो लब बोलें तो कहानी खामोश रह जाएं तो अफ़साना । फ़ेसबुक इन चेहरो के कहने ;सुनने का अनोखा मिलन स्थल है । अलग अलग मूड में अलग अलग शैली में , अलग अलग तेवर और अंदाज़ में दोस्त जो भी कहते हैं मैं उन्हें सेह्ज़ लेता हूं इन पन्ने के लिए , कल होकर जब कोई दीवाना इस डायरी के पन्ने पलटेगा तो जाने कितने ही दोस्तों के कहे अनकहे , समझे अनबूझे किस्से और अफ़साने देख पाएगा , देखिए आप भी ………….


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  • Rahul Singh
    तस्‍वीर (गूगल से नहीं) खुद क्लिक की हुई.
    तस्‍वीर (गूगल से नहीं) खुद क्लिक की हुई.


    • Reeta Vijay
      गलती किसी की नही होती गलत वक्त मे किए गये गलत फैसले इन्सान को गलत बनाके गलत राह पर छोड़ देते हैं !!!


    • Manoj Kumar Jha
      पलकों को जिद है बिजलियाँ गिराने की
      मुझे भी जिद है वही आशियाँ बनाने की
      अगर तुमको जिद है मुझको भुलाने की
      तो मुझे भी जिद है तुमको अपना बनाने की


    • आचार्य रामपलट दास
      रोशनी के लिए घर जलाने पड़े
      रूठकर यों इधर से उजाला गया



    • Pushkar Anand
      उत्तर प्रदेश के दंगो पर राजनीति नहीं होनी चाहिए..! राजनीति करने के लिए गुजरात के दंगे हैँ..!



    • Ashvani Sharma
      वो सवाल थी
      जवाब गायब थे
      वो जवाब थी
      सवाल गायब थे


    • Raghvendra Awasthi
      जितना सरल रहने की कोशिश करो
      इम्तिहान उतने ही कठिन होते जाते हैं
      राघवेन्द्र ,
      अभी-अभी

    • Rajeev Kumar Jha
      हम उस खिलौने की तरह थे और वो उस बच्चे की तरह,
      .......जिन्हें प्यार तो था हमसे, मगर सिर्फ खेलने की हद तक..!!


    • Danda Lakhnavi
      दोहों के आगे दोहे.............
      ====================
      अंट-संट लफ़्फ़ाजियाँ, हलचल...ऊंटपटाँग।
      राजनीति में देखिए, लाल किले के स्वाँग॥
      ====================
      सद्भावी- डॉ० डंडा लखनवी


    • प्रफुल्ल कोलख्यान
      ....
      फुत्कार उठती है जगत-व्यापी लपट
      खंडित महाकाल के अग्नि-गर्भ से
      जिसके भीतर
      कभी मंदिर बनता है
      कभी मस्जिद
      कभी गुरुद्वारा
      तो कभी गिरजा
      अजीब चक्कर है
      जैसे जाल में
      फँसे परिंदे
      फरफराते हैं पंख
      पुतलियों में थरथराते हैं प्राण
      सोचता है दिमाग
      पर स्वार्थ के अवगुंठनों को तोड़
      उठता नहीं है हाथ
      न्याय-अन्याय
      उचित-अनुचित
      ज्ञान-अज्ञान
      सारे द्वंद्व जल रहे हैं एक साथ
      .....


    • Kajal Kumar
      आडवाणीश्री और सचि‍न को समझना चाहि‍ए,
      ज़ि‍द की भी एक उम्र होती है, गांगुली न बनें


    • Sonali Bose
      "ठहरा है दिल में वो एक हसरत सा बन के.......कि नज़रोँ में है वो एक अश्क़ सा बन के?
      लिखती हूँ जिसे तनहाईयोँ में... है कौन ये मेरे जैसा, मिलता है क्यूँ वो अजनबी बन के?''
      ...........सोनाली......


    • Ashok Kumar Pandey
      अपनी ही किसी रचना का यह हिस्सा यों ही
      प्लीज़ अनीता...ताने मत दो यार.’ मैं जैसे उठने लगा तो उसने हाथ पकड़कर बिठा लिया. ‘अब अकड़ मुझ पर ही दिखाओगे पंडित जी. लड़कियों के साथ रिक्शे से घूमोगे और पकडे जाने पर थोड़ा टार्चर की इज़ाज़त भी नहीं दोगे तो यह तो ज़ुल्म है जहाँपनाह.’ उसकी आँखें इस क़दर शरारत से भरी हुईं थीं कि मुझे हंसी आ गयी और मैंने उसका हाथ अपने हाथों में लेना चाहा तो उसने सीधे मेरी आँखों में देखते हुए कहा, ‘यह अफसर नहीं मजूर की बेटी का हाथ है साहब. हर किसी के हाथ में यों ही नहीं जाता रहता. और जहां जाता है किसी और के लिए जगह नहीं छोड़ता. आज के बाद उस चुड़ैल के साथ घूमते-फिरते देखा न तो वहीँ चौराहे पर ऐसा तमाशा करुँगी कि एस डी एम साहब ट्रांसफर करा के झाँसी चले जायेंगे.’
      कितनी धोखादेह होती हैं आँखें!


    • सुनील कुमार प्रेमी
      कोई पागल हुआ जाता है किसी की चाह में..और वो दुआ माँगती है कि कब इसे पागलखाने में जगह मिलेगी..

    • Mayank Saxena
      आप राजेश को भी मार देते हैं और इसरार को भी...आप का गुस्सा इस बात का है कि आप के किसी अपने की जान ले ली गई...और इसीलिए आप किसी और के अपने की जान ले लेते हैं...आप का गुस्सा इसलिए ज़्यादा है कि जिस पर आप गुस्सा हैं उस का मज़हब आप से अलग है...इसलिए आप इंसानियत की हदें पार कर किसी की जान ले लेते हैं...इसके बाद आपको अपने मज़हब पर गर्व होता है...कोई हर हर महादेव का नारा लगाता आता है...तो कोई नारा ए तक़बीर लगाता है...सभी के हाथ खून से रंगे होते हैं और उन में बंदूकें और खंज़र होते हैं...लानत है आपके ऐसे मज़हब पर जो आपको इंसान तक बनना न सिखा पाया...चले हैं आप हिंदू और मुसलमां होने...मुजफ्फरनगर में जो कुछ हो रहा है, उसके पीछे सियासत है...2014 के चुनाव हैं...आप सब ये जानते-समझते हैं....लेकिन फिर भी आप के दिलों में इतनी हैवानियत है कि आप इंसान का ख़ून बहाने का लालच छोड़ नहीं पाते हैं...आप बाद में कह देंगे कि आप को बहकाया गया था...ज़रा सोचिए रोज़मर्रा की ज़िंदगी में तो आप बड़े चालाक हैं...आखिर कैसे कोई आपको किसी खास मौके पर बहका सकता है...जी हां, आप दरअसल अंदर से ऐसे ही हैं...कोई नेता आपका फ़ायदा नहीं उठाता है...आप ऐसे मौकों पर धर्म की आड़ लेते हैं...एक नागरिक के तौर पर दरअसल आप सियासतदानों से अलग नहीं हैं...सियासतदान आप से ही सीखते हैं...और आपको ही संतुष्ट करने के लिए मज़हब की सियासत करते हैं...दिक्कत तो आपके साथ ही है...बाद में सियासत को मत कोसिएगा...क्योंकि हाथ तो आप सभी के रंगे हुए हैं...इंसानियत के ख़ून से...


    • Vijay Krishna Mishra
      मनमोहन सिंह जी अपनी 'खुली किताब' कृपया कर बंद कर लें, आपकी सरकार की काली करतुते हर कोई पढ़ रहा है ,,,,,,...


    • Ajit Singh
      बचपन में एक चुटकुला सुना था। एक बड़ा होनहार लड़का था ....... उसने एक ही essay याद किया था .......my favourite teacher .........पर exam में essay आ गया .......बगीचे की सैर ...........पर लड़का बड़ा होनहार था सो उसने essay कुछ यूँ लिखा ....एक दिन मैं सुबह बगीचे में सैर करने गया . वहाँ देखा की जित्तू मास्साब भी सैर करने आये हुए थे ......और जित्तू मास्साब मेरे फेवरिट टीचर है ........और फिर हो गया शुरू और उसने पूरा फेवरिट टीचर वाला इससे चेप दिया ........... hahhhaaaa ....बढ़िया चुटकुला है .....पर चुटकुला है ........पर आज NDTV ने इस से भी ज़्यादा मजेदार चुटकुला सुनाया ............आज एक कार्यक्रम आ रहा था ....महिला सशक्तिकरण पे .......लाडली बिटिया पे ......हमारी बेटियाँ वगैरा वगैरा .............सो हमारे होनहार बच्चे के तरह NDTV ने कार्य क्रम कुछ यूँ दिखाया की 2002 में गुजरात में दंगा हुआ .......और इस इस तरह मुसलामानों को मारा गया .......और फिर इस तरह उन बेचारों को शरणार्थी बन के राहत शिविर में रहना पडा ........इस से होनहार बेटियों की पढाई छूट गयी .....फिर फलानी संस्था ने NGO बना के लड़कियों को पढ़ाना शुरू किया ...एक कोई मास्टर है ....कालिदास .......उसने केंद्र सरका की किसी योजना के तहत ट्रेनिंग ले के लड़कियों को पढ़ाना शुरू किया .......फलानी संस्था मदरसा चलाने लगी .......राज्य सरकार ने कुछ नहीं किया ........जुहा पूरा की गलिया टूटी हुई है .....सडकें गंदी हैं ......मोदी के राज्य में मुसलामानों का शोषण हो रहा है ....बेचारे मुसलामानों पे अत्याचार हो रहा है ........... मुसलामानों का सामाजिक बहिष्कार हो रहा है ......दबा के रखते हैं मुसलामानों को .......

    6 टिप्‍पणियां:

    पोस्ट में फ़ेसबुक मित्रों की ताज़ा बतकही को टिप्पणियों के खूबसूरत टुकडों के रूप में सहेज कर रख दिया है , ...अब आप बताइए कि आपको कैसी लगे ..इन चेहरों के ये अफ़साने