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मंगलवार, 24 मार्च 2020

ये चेहरे बात करते हैं











- अमूमन कोलाहल और एक अजीब सी जल्दबाज़ी से भरा रहने वाला ऑफ़िस का अहाता मध्य रात्रि के बाद के इस पहर में लीन समाधिस्थ योगी सा दिख रहा है।
- पहर की बेचैनी है कि चीख़ना चाहती है ज़ोरों से।
- चीख़ असमंजस में है कि आवाज़ पहुँच पायेगी या नहीं वहाँ तक।
- आवाज़ फुसफुसाहट का लबादा ओढ़ लेती है।
- आने वाली विपदा की क़रीबतर आती आहट में तमाम सूचनाओं और निर्देशों और आँकड़ों की बनती फ़ेहरिश्त को थोड़ी देर के लिये परे रख कुछ मिसरे अपना सर उठाते हैं।
...तुम्हारी शीत लहरी ने
रगों में मेरे अक्सर ही
भरा है एक अपराजित ग्रीष्म...
- फ़ेहरिश्त मुकम्मल होते ही योगी से विदा लेने के पश्चात चौराहे पर अभी भी मुस्तैद उस पुलिस कॉउंस्टेबल को अबके सैनिटाइजर के साथ कविता की किताब भी दी गई।
- लॉकडाउन हो गया है साब...कल भी आइयेगा क्या? जिप्सी की खिड़की से ख़याल-रखिये-अपना-और-अपनों-का-मिलते-हैं-फिर का जुमला उछलता है।
- पहर पर फिर से सन्नाटे की बेचैनी आ पसरती है।



क्या आप सभी रोज़ सुबह उठ कर प्रार्थना कर रहे हैं या सिर्फ चिंता कर रहे हैं......
दुआएं बहुत जरूरी हैं अभी एक दूसरे के लिए 🙏


मेरा क्या है
मैंने तो बचपन से अभ्यास किया है
मै तो कोलगेट से भी रोटी खा सकती हूं
आप क्या जुगाड करेंगे??

जब मैं सेन हॉजे आई तो बच्चों से भेंट शनिवार-रविवार होता था.. चूँकि मेरा सोना रात के 2-3 बजे होता है और सुबह फेसबुक-व्हाट्सएप्प देखकर ही होती है तो मैं जब तक सोने के कमरे से बाहर आती बच्चें कार्यालय जा चुके होते थे और मैं चूक जाती उनसे भेंट करने में कार्य-दिवस में... 1 मार्च 2020 से घर में पूरी शांति... पापा व पापा की बिटिया ऊपर के अलग-अलग कमरे में पापा की बिटिया को वर्क एट होम और सुबह से रात कॉल पर ... मैं और मेरा बेटा 18 फिट की दूरी पर.. वर्क एट होम और कॉल.. पर मस्ती बहुत है.. अनेक वर्षों के बाद साथ हैं.. कैरम है चेस है चलचित्र है.. गुस्सा है नाराजगी है रूठना भी है... वो कॉल पर होता है और मुझे उसे कुछ कहना तो होता ही है.... उसके सामने मुन्नी बने रहना अच्छा लगता है... राहुल नामक बच्चे बहुत प्यारे होते हैं..


जब से प्रधानमंत्री जी समझा के गए हैं बीबी समझा रही है, टी वी समझा रहा है, फेसबुक में आए तो मित्र समझा रहे हैं। हम पढ़ाई में इतने कमजोर तो नहीं थे!😢


"थाली वाली लेकर कहाँ चले। कामवाली आ नही रही है,जनता कर्फ्यू में। "
"बजाना हो तो जूठी थाली बजाइयेगा। साफ थाली रखिये वापस। बड़े आज्ञाकारी बने हैं। "
"यह नही कि जूठी थाली मांज ले और वही बजाये।"
: रहने दो हम ताली ही बजा लेंगे।


जब सब खाने को मिल रहा था तो भाई साब को परहेज़ था , बिना घी , बिना शक्कर , कम नमक का खाते थे , अब समान इकट्ठा करने दौड़ रहे !


बीड़ी सिगरेट तंबाकू गुटका खैनी आदि न खाये..पोटी उतारु लोगो जरुरी बात सुनोः खाने वालों से निवेदन है कि वो
आपस मे शेयर कर न खाये पीये...पीना है तो अकेले पूरी सिगरेट बीड़ी फूंके...करोना बचाव...के लिये ज्यादा जरुरी है कि आप ये नशा उत्पाद न पीये और न ही थूके...


21 दिन घर मे रहना बहुत टैस्टिंग तो होगा। लेकिन स्वस्थ रहने के लिए ये आज खाने पीने से भी ज्यादा जरूरी है।
को ई
रो ड़ पर
ना निकले ।
यही संदेश दिया है पी एम जी ने जिसका सभी को पालन करना है।


साथियों संकट बहुत बड़ा है
हम सबकी सतर्कता ही इससे हम सब का बचाव कर सकती है
कृपया अपने घरों में ही रहे और सुरक्षित रहें


यह बहुत जरूरी कदम था।
यूँ ही यहाँ गपियाते, बर्तन-झाड़ू-पोंछा करते,व्यंजन बनाते,फिल्में देखते, किताबें पढ़ते,संगीत सुनते गुजर जायेंगे ये 21 दिन।
इस महामारी को रोकने का इस से बेहतर कोई उपाय नहीं....अब सबको पालन करना ही पड़ेगा।
बस रोज कमा कर अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करने वालों के लिए भी कुछ किया गया हो। जैसे हमारे दिमाग मे ये बात हलचल मचा रही है, नेता-मंत्री लोग भी कुछ सोच ही रहें होंगे।



दिल की आवाज़
उसकी बेबफाई का आलम बस इतना है
मेरी वॉल पर हैं, अश्क़, आहें,तन्हाइयाँ,और
उसकी वॉल पर हैं, झील,झरने और पहाड़ों की तरुनाइयाँ
कांची सिंघल "ओस"



पा माता रानी जिनके मंदिर भी बंद है उन्हें कोई कैसे याद करेगा।
माफ़ी चाहूँगी मग़र आस्था भी शायद याद दिलाने की चीज़ है हमारे समाज में। आज अगर उसके द्वारा बंद है हमारी सुरक्षा के लिए तो हमारे दिलों में भी कोरोना का खौफ़ ,नवरात्रि से कहीं ऊपर हो गया है। अभी राम नाम की गूँज कोरोना की आवाज़ में दब गई है। जो देश जय गणेश से पूर्व कुछ नहीं करता वो आज घर पर इतना समय होते हुए भी बस यहीं एक काम परे रख बैठा है।
यह सिर्फ़ वो है जो मैंने महसूस किया, बाक़ी अपना सच सब जानते है।
मंदिर बंद है ,आस्था आज़ाद है

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