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शनिवार, 13 अगस्त 2011

फ़ेसबुकिया ब्लॉगिरी ...चालू आहे जी ...






आज बनारस में होना था लेकिन हूँ नहीं। मेरा घुमंतू मन बिकल है। कितनी बार ऐसा हुआ कि अपनी योजनाएँ बदलनी पड़ीं। रोटी क्या न कराए। किस दरवाजे न खड़ा कराए। यह संसार रोटीनामा है, बस रोटीनामा। क्या-क्या नाच नचाती हैं रोटियाँ।
 

ये बारिश में भीगे गाँव सी खुशबू है
मेरे पौर की माटी लीपी खुशबू है
ये नानी-दादी के गाँव की
आँगन के नीम की छाँव सी
जो अब यादों में मिश्री सी लगती
वो कौवे की कर्कश काँव सी
नहीं जानता कैसे जाने
ये आज अचानक चहक उठी
जाने जिहन से उपजी है
या दिल से यूँ ही महक उठी
बचपन जिस संग खेला है
ये बिलकुल वैसी खुशबू है
दीपक मशाल
 

 

पहले चुप्पियों में ही बातें हो ही जाती थीं
अब कितनी बात करो, चुप्पी नहीं जाती
 
 

‎"पापा ली है लाडली माँ की है वो जान
दिल है नादाँ पर करती सब पर अपनी जान कुर्बान
भाइयो की मुस्कान और परिवार की शान ....
ये है बेटी की पहचान ........."
 
  • फूल के अधरों पे पत्थर रख दिया
    गंध को काँटों के अंदर रख दिया
    यों नए उपचार अज़माए गए
    ज़ख़्म को मरहम के ऊपर रख दिया
    धार के तेवर परखने के लिए
    अपने ही सीने पे खंजर रख दिया
 

आजादी कैसी ???? खादी पहनकर लूट खसोट करने की ? लालकिले से हर साल झूठ बोलने की ? संसद में जनता की कमाई हंगामें में उड़ाने की ? हर घोटाले पर लीपापोती की ? देश का प्रधानमंत्री होकर भी हर गंभीर मसले पर चुप रह जाने की ? या फिर हर दिन महंगाई बढ़ाने की ? नहीं चाहिए ऐसे आजादी आदरणीय मनमोहन सिंह जी।
 

पटना पुलिस के वहशियाना चेहरे को आज पटना से निकलने वाले सभी अख़बारों ने नजरंदाज किया| नाले की सफ़ाई की मांग को लेकर शान्तिपूर्ण तरीके से अपनी बात रख रहे स्थानीय लोगों पर कल बेवजह लाठी चार्ज किया गया था|जिसमे महिलाऐं भी शामिल थी| आज अख़बारों ने एक सुर से भीड़ को जिम्मेदार ठहराया, डंडे का खौफ़ दिखाकर लोगों का मुंह बंद करवाना पुलिस के लिए नया नहीं है लेकिन क्या पत्रकार आँख-कान बंद कर रिपोर्टिंग करते हैं?
 

रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं ....
 
 


एक रिश्ता है रेशम का धागा भाई बहन पावन के प्यार का
सबसें खूबसूरत रिश्ता है यह मेरी निगाह में इस संसार का
रक्षा बंधन के इस प्यारे से त्योंहार की हार्दिक मंगल कामनाएं आप सबको
 

  • मैंने तनहाइयों का एक महल बनाया है
    उसे तुम्हारी याद से सजाया है
    दरवाजे पे टांगा है इंतज़ार
    और पूरे घर में बिखरा है प्यार...
 

मुझे सिर्फ एक बात समझनी है...आज केंद्र में भाजपा की सरकार होती और अन्ना अपने लोकपाल बनवाने पे अड़े होते तो विपक्छी कांग्रेस का क्या करती अन्ना का बिरोध या अन्ना का समर्थन ???
 

भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरा व्यंग में इतना ही कहना था ....कि हमारी कथनी और करनी में फर्क है
 

एक भारतीय बल्लेबाज को उसकी बहन ने ये कहते हुए राखी बांधने से मना कर दिया कि तुम्हारा खुद का डिफेंस इतना कमजोर है, तुम मेरी क्या रक्षा करोगे!
 

  • अरे भैया ... ALL IS WELL !!!
     

    जितनी भी राखियां कल मिली थी, सबको आज सुबह मेरे हाथ पे मेरे मित्र रवि जी ने बाँधा..लेकिन अब वो राखी बाँधने के पैसे की माग कर रहे हैं :P(हालांकि उन्होंने ये शर्त पहले रख दी थी की पैसे दीजियेगा आप तो मैं राखी बांधूंगा ).हर राखी के १०१ रुपये नकद.कुल आठ राखियां थी..तो अब उनकी मांग 801 रुपये की है :P मैं शाम की एक कप चाय पे उन्हें कोम्प्रमाइज़ करने को कह रहा हूँ..:P
     

    उफ्फ ये राखी का दिन भी न ... ((
     
    और अब हमरी दीवार से 

    हालात बदल गए , तो दिन रात बदल गए ,
    कोई बात होती तो बात थी , उफ़्फ़ कि , बेबात बदल गए ....
     
     
    रात चांद, कतरा कतरा पिघलता रहा ,
    तभी बूंदे , कुछ ज्यादा ही चमकीलीं थीं .
     

    जानते हैं , ई अपना टीम इंग्लैंड में एतना हार हार के काहे भर दिया , ई सरबे लोग ," मुंह में रजनीगंधा " ले के नहीं गए होंगे ...ले के गए होते तो अबकि फ़िर से इंग्लैंड का टीम चित्त था ..अरे टीवी में देखाता है रजनीगंधा का पावर जी ...आप देखें हैआं कि नय हो .
     
     
    तो आज के ताजा तरीन बुलेटिन समाप्त समझे जाएं जी ..रक्षाबंधन की , आने वाली स्वतंत्रता जयंती की और एक साथ तीन छुट्टियों की मुबारकबाद जी ..आप सबको ..

रविवार, 17 जुलाई 2011

कुछ चेहरों की गुफ़्तगू तुम तक मैं लाया हूं ..




चलिए देखा जाए कि आज चेहरों सी पुस्तकों पर क्या किसने , कितना लिखा पढा है 



सो कर उठा तो मन के भीतर से किलकारियाँ फूटने लगीं। मुझे लगा कि जैसे अभी ही मेरा जन्म हुआ हो। सुबह से अब तक जन्म की वह खुशी मन में भरी है। हालाकि सांसारिकता मेरी किलकारियों पर बहुत भारी है।
 

किसी ने कुछ कहा हम खुश हो गए , किसी ने कुछ कहा हमें गुस्सा आ गया । ये भी कोई ढ़ंग है जीने का , कोई और हो गया हमारा नियंत्रण कर्त्ता । हमें स्वयं पर नियंत्रण स्वयं करना है और यही है जीवन जीने की कला ..
 
 

दिखायी देते हैं दूर तक अब भी साए कोई
मगर बुलाने से वक़्त लौटे न आये कोई
चलो न फिर से बिछाये दरियाँ, बजाये ढोलक
लगा के मेहँदी, सुरीले टप्पे सुनाये कोई
पतंग उड़ायें, छतों पे चढ़के मोहल्ले वाले
फलक तो साँझा है, उस में पेंचें लड़ाए कोई
उठो कबड्डी-कबड्डी खेलेंगे सरहदों पर
जो आये अब के तो लौट कर फिर न जाए कोई
नज़र में रहते हो, जब तुम नज़र नहीं आते
ये सुर मिलाते हैं, जब तुम इधर नहीं आते

-Gulzaar
 
 
 

कैसे जीते हैं फ़िक्र को बिस्तर पर सुलाकर
उड जाते हैं फिर इक आशियाना बनाकर
 

जिस देश को विदेशियों ने 1100 साल तक तलवार की नोक पर लूटा हो, उसके एक मंदिर में यदि एक लाख करोड रुपये की संपत्ति बची हो, तो जरा सोचिये कि भारत कितना संपन्न रहा होगा. लोग इसे सोने की चिडिया कहते थे तो वह सही कहते थे. अभी भी हिन्दुस्तान संपन्न है -- लेकिन अब इसे देशी लुटेरे लूट रहे हैं. जब यह बंद हो जायगा तो हम एक आर्थिक महाशक्ति बन जायेंगे.
 

हमने हर बार उनकी राह तकी,
हमने हर बार ख़ुद को समझाया.
उनके आने की उम्मीद फिर भी बाकी है,
इस तरह ज़िन्दगी को हमने बहलाया !
 

एक और मुक्तक

जो भेद खुल गया तो शर्मसार हो गया.
हर आदमी धंदे का तलबग़ार हो गया.
कोई राम बेचता है, कोई नाम बेचता,
संतों के लिये धर्म कारोबार हो गया.
--योगेन्द्र मौदगिल
 

आज एक शिकायत के साथ हाज़िर हूँ.. बहुत सारे दोस्त कहते रहते हैं कि 'बहुत मेल आती है, हम इसीलिए कमेंट्स नहीं करते' बस like करते हैं.. मगर क्या सिर्फ like कर देने से विचारों का आदान-प्रदान संभव है ? क्या like का button आपके मन की बात मुझे बता पाता है ? शब्दों को like button से replace करना कहाँ तक सही है ? वो भी तब जब ये problem सिर्फ १ minut में अपनी privacy setting में जाकर solve की जा सकती है
 
 
 

यू के का यॉर्क शहर - सालों साल धूप और बादलों के बीच चलती ठिठोली. कभी धूप जीत जाती तो कभी बादल जीत कर रिमझिम बरस जाते हैं. एक सिलसिला सा है जो कभी नहीं रुकता. .........
 
 

‎'सबक' बच्चे को पहला सबक ये ही सिखाया जाता है 'प्रेम' खुदा और नेचर की दी गई हमें सबसे बड़ी नेमत है और दूसरे सबक में ही सिखाया जाता है. प्रेम मत करना सबसे बड़ा कुफ्र है ये. या फिर साथ में इतनी सारी कंडीशन अप्लाई कर दी जाती है कि उन्हें ध्यान में रख कर कोई प्यार तो क्या ? ख़ैर नफरत करना भी पसंद ना करे ? फिर भी नेमत के लालच में बच्चे फसते ही हैं. रोकने वाले रोकते रह जाते हैं और करने वाले कर लेते हैं 'प्यार'
-बदचलननामा
 

सफलता के लिए अचूक मंत्र-
हमेशा क्लास में लेट पहुंचो, सारे टीचर तुम्हे याद रखेंगे।

कभी टेस्ट मत दो, बेइज्जती के दो नंबर से इज्जत की जीरो बढिया है।

कभी टाप ना करो, लोग तुमसे जलने लगेंगे।
 

शब्दोँ मेँ जिँदगी छुपी हैःलिखने की जी चाहता है ,बोलने का मन करता है ...ये अद्भुत संसार है ..ये जीवन की ऊँचाईयाँ है तो जीवन का बोझ भी..इसका स्वाद मीठा है या कड़वा भी...!!!आपको चुनना है अपनी जिँदगी!!!
 

पहले ऊगली पकड़ना रह्बर की, फ़िर उसे रास्ता दिखा देना
 

  • विवाह संस्था अपने आप में प्रेम के नाम पर प्रेम का नाश करनेवाली व्यवस्था है क्योंकि यह एक व्यवस्था है, रूटीन है जो प्रेम को खत्म कर डालती है। हमारे यहाँ विवाह बहुत कम आयु में कर दिए जाते हैं। विवाह की उम्र स्त्री के लिए ३०-३५ साल होनी चाहिए ताकि वह अपने कार्य, चयन के प्रति अपने अनुभवों के आधार पर निर्णय ले सके। प्रेमहीन विवाह निश्चित रूप से विवाहहीन प्रेम को जन्म देता है। -लवलीन
 
 

उसे छोड़ने के लिए पैदल ही निकल पड़ा कैंप। मुखर्जीनगर से आगे बढ़कर हम इंदिराविहार में थोड़ी देर के लिए रूक गए। उसने धीरे से कहा-तुम चले जाओ मैं अकेले निकल लूंगी, मैंने पूछा कहा चला जाऊं...ऐसे सवाल अक्सर हमें मोड़ पर खड़े कर देते थे। मैंने मुड़कर देखा तो हमदोनों मुखर्जीनगर मोड़ पर ही तो खड़े थे..(रवीश मैनिया..जारी)
 

हिंदी फिल्मों में अकसर किसी फिल्म के सीक्वेल के नाम के साथ "२" जोड़ा जाता है. जैसे मर्डर २, दबंग-२ लेकिन निर्देशक अभिषेक चौबे ने इश्किया के सीक्वेल का नाम इश्किया २ की बजाय" डेढ़ इश्किया" रखा है. फिलहाल फिल्म के नाम को प्रस्तुत करने का तरीका औरों से अलग है. फिल्म कैसी होगी, आगे पता चलेगा
 

सूरत भी खूबसूरत ,सीरत भी खूबसूरत
कोई नहीं जो आपका, अब सामना करे !!
 

संग कुछ घड़ी खेलना मेरा तब ही कतल करना
ऐ शैयार मैं उम्र भर तनहा यहाँ रहा हूँ
जिस शाख पे खुली आँख लहू गिराना मिरा वहीं
बाकी ज़माने भर में मैं फिरता यहाँ रहा हूँ
मेरी सूरत-ए-हाल पे हँसते हैं जो मुसाफिर
'मंजिल थी हर कदम पे मेरी' उनको जता देना
मेरी उम्र का पड़े गर अंदाज़ तो बताना
मैं खुद तो बेखबर हूँ कि कितना यहाँ रहा हूँ...
दीपक मशाल
 
 

हादसे भी खबर , हमले भी खबर , हैं लाशें खबर , असले भी खबर ,
हमने हैवानों को दी मौत की है सज़ा , काश , कभी ऐसी निकले भी खबर
 
 

गुरुवार, 14 जुलाई 2011

ये बोलते चेहरे ..happy facebooking

देखें कि चेहरे इस बीच क्या कुछ बोलते सुनते रहे हैं , कुछ मित्रों के फ़ेसबुक अपडेट्स






आतंकवादी बम देते हैं, राजनेता बयान. यह दोनों ही समान रूप से मुझे खतरनाक लगते हैं. मुंबई में पहले एक पत्रकार की ह्त्या. अब एक के बाद एक तीन धमाके. हिम्मत देखिए मुंबई बम धमाके के आरोप में जेल में बंद आतंकवादी कसाब के जन्मदिन वाले दिन ये धमाके हुए. क्या कसाब के लिए यह जन्मदिन का उपहार था? मुंबई बम विस्फोट पर नेता जैसे भाषण दे रहे हैं वह भी अपने आप में शर्मनाक है. मसलन राहुल गाँधी कहते हैं ऐसे हमले होते रहते हैं और उन्हें पूरी तरह रोकना मुमकिन नहीं है. और दिग्विजय सिंह कहते हैं -भारत, पाकिस्तान से बेहतर है जहां हर दिन, हर सप्ताह विस्फोट होते हैं. ऐसे बयानों को निकम्मेपन के अलावा और क्या कहा जा सकता है?


मुंहजोर' औरतों से हर मर्द डरता हैं. संभ्रांत मर्द ताकत या कमाई की वजह से अपनी औरतों को दबा देते हैं.मजदूर बस्ती में औरतें मर्दों से ज्यादे कमाती हैं,चूल्हा इन्ही की अंटी से जलता है. मर्दों की कमाई शराब पर खर्च होती है. शराब जब दिमाग पर चढ़ के बोलती है तो ये संभ्रांत मर्दों से सीखे हुनर का खुल के मुजायरा करते हैं. बस्ती के मर्द आज गुस्से से कांप रहे हैं एक शराबी पति को उसकी बीवी ने सिखाया है चिमटे से 'सबक
-बदचलननामा


इस देश को सरकार की जरूरत नहीं ना ही सांसदों व विधायकों की क्योकि ये सब इस देश की जनता का खून चूसने के सिवा कुछ भी नहीं करते हैं ऊपर से इनके लूट व शर्मनाक भ्रष्टाचार को पकरने के लिए जन लोकपाल के नियुक्ति की बात होती है तो ये कहते हैं जनता ने हमें चुना है...लेकिन इन शर्मनाक भ्रष्टाचारियों को ये नहीं पता की वोटिंग के साथ अगर इनको अयोग्य घोषित करने के साथ इनको कभी भी चुनाव नहीं लड़ने देने का विकल्प हो तो 99% को जनता सदा के लिए चुनाव लड़ने से वंचित कर देगी..क्या यही है संसदीय गणतंत्र...?


आज गुरु पूर्णिमा को मेरी छुट्टी नहीं थी,फिर भी ले ली .संयोग से श्री श्री १००८ अनूप शुक्ल जी 'फुरसतिया ' के साथ भाई निशांत मिश्र और भाई अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी'अवधी-भक्त' से जेएनयू कैम्पस में चिरकुटिया-चिंतन हुआ.वास्तव में हम धन्य हो गए.विशेष आभार अमरेन्द्र भाई का जो भारी व्यस्तता के बीच इस बैठक के संयोजक बने !
 
 


काजू भुने पलेट में, विस्की गिलास में
उतरा है रामराज विधायक निवास में

पक्के समाजवादी हैं, तस्कर हों या डकैत
इतना असर है ख़ादी के उजले लिबास में

आजादी का वो जश्न मनायें तो किस तरह
जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में

पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें
संसद बदल गयी है यहाँ की नख़ास में

जनता के पास एक ही चारा है बगावत
यह बात कह रहा हूँ मैं होशो-हवास
- अदम गोंडवी साहब
 



राहुल गांधी ने एक प्रतिशत खतरे के बने रहने और उसे रोक ना पाने की बात की तो लोग टूट पड़े उन पर
तो क्या यह गलत है है, झूठ है?
क्या कोई भी, किसी भी चीज की शत प्रतिशत गारंटी दे सकता है?

मतलब कि आज का समाज किसी से फर्जी और झूठे बयान की उम्मीद करता है और उसी गलतबयानी पर बिल्ली सरीखा आँखें बंद कर खुश हो जाना चाहता है??
 
 


शायद ही किसी को याद हो ... पर एक साल पहले आज के ही दिन ... अपने रुपये को अपनी पहचान मिली थी .
 
 


तुमने
पहले एक खाली आसमान दिया मुझे
फिर धीरे-धीरे
लगाते गए मेघ उस पर
और वे बरस रहे हैं अब
और तुम कुछ करते भी नहीं

तुम्हें शायद भींगना अच्छा लगता होगा
पर इसके लिए कुछ भी करना अच्छा तो नहीं..
.
 
 


आज गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर अपने सभी मित्रों को हार्दिक शुभकामनाये ..! अपेक्षा यही आप सभी अपने - अपने गुरु के आदर्शों का पालन कर ..अपने गुरु , देश और धर्म का सम्मान करेंगे ..और अपना जीवन सोदेश्ये बना कर अपने जीवन में प्रसन्नता का अनुभव करेंगे ....!!
 
 


फटे सूखे सिसकते होठों की, मुस्कान बन जाना
भले टूटा हो, घर के आईने का मान बन जाना
फ़रिश्ता जब भी बनना चाहोगे, बन जाओगे भाई
मगर मौका मिले तो, पल भर को इंसान बन जाना
 


दहकत देंह बुड़ो के जल मा, आगी अपन बुताइस होही.
तात हावय तरिया के पानी, वो हर इंहा नहाईस होही.
(मुकुंद कौशल)
 
 


खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे,
मधुर भंडारकर कभी इतना महत्वपूर्ण नहीं हो सकता है जितना स्टार न्यूज़ उसे बना कर दिखा रहहि तो क्या ये मान लिया जाय कि भंडारकर ने जिस खबरिया चैनल को भाव न देते हुआ भगा दिया उस भाव को पाने के लिए स्टार भंडारकर को स्टार बना रहा है. हद है बेहूदा और बेवकूफी भरी पत्रकारिता की वैसे भी जहाँ दीपक चौरसिया नामक पनवाड़ी हो उस चैनल के तो कहने ही क्या...
 
 


हादसे भी खबर , हमले भी खबर , हैं लाशें खबर , असले भी खबर ,
हमने हैवानों को दी मौत की है सज़ा , काश , कभी ऐसी निकले भी खबर