आतंकवादी
बम देते हैं, राजनेता बयान. यह दोनों ही समान रूप से मुझे खतरनाक लगते
हैं. मुंबई में पहले एक पत्रकार की ह्त्या. अब एक के बाद एक तीन धमाके.
हिम्मत देखिए मुंबई बम धमाके के आरोप में जेल में बंद आतंकवादी कसाब के
जन्मदिन वाले दिन ये धमाके हुए. क्या कसाब के लिए यह जन्मदिन का उपहार था?
मुंबई बम विस्फोट पर नेता जैसे भाषण दे रहे हैं वह भी
अपने आप में शर्मनाक है. मसलन राहुल गाँधी कहते हैं ऐसे हमले होते रहते
हैं और उन्हें पूरी तरह रोकना मुमकिन नहीं है. और दिग्विजय सिंह कहते हैं
-भारत, पाकिस्तान से बेहतर है जहां हर दिन, हर सप्ताह विस्फोट होते हैं.
ऐसे बयानों को निकम्मेपन के अलावा और क्या कहा जा सकता है?
मुंहजोर'
औरतों से हर मर्द डरता हैं. संभ्रांत मर्द ताकत या कमाई की वजह से अपनी
औरतों को दबा देते हैं.मजदूर बस्ती में औरतें मर्दों से ज्यादे कमाती
हैं,चूल्हा इन्ही की अंटी से जलता है. मर्दों की कमाई शराब पर खर्च होती
है. शराब जब दिमाग पर चढ़ के बोलती है तो ये संभ्रांत मर्दों से सीखे हुनर
का खुल के मुजायरा करते हैं. बस्ती के मर्द आज गुस्से से कांप रहे हैं एक
शराबी पति को उसकी बीवी ने सिखाया है चिमटे से 'सबक
-बदचलननामा
इस
देश को सरकार की जरूरत नहीं ना ही सांसदों व विधायकों की क्योकि ये सब इस
देश की जनता का खून चूसने के सिवा कुछ भी नहीं करते हैं ऊपर से इनके लूट व
शर्मनाक भ्रष्टाचार को पकरने के लिए जन लोकपाल के नियुक्ति की बात होती है
तो ये कहते हैं जनता ने हमें चुना है...लेकिन इन शर्मनाक भ्रष्टाचारियों को
ये नहीं पता की वोटिंग के साथ अगर इनको अयोग्य घोषित करने के साथ इनको कभी
भी चुनाव नहीं लड़ने देने का विकल्प हो तो 99% को जनता सदा के लिए चुनाव
लड़ने से वंचित कर देगी..क्या यही है संसदीय गणतंत्र...?
आज
गुरु पूर्णिमा को मेरी छुट्टी नहीं थी,फिर भी ले ली .संयोग से श्री श्री
१००८ अनूप शुक्ल जी 'फुरसतिया ' के साथ भाई निशांत मिश्र और भाई अमरेन्द्र
नाथ त्रिपाठी'अवधी-भक्त' से जेएनयू कैम्पस में चिरकुटिया-चिंतन हुआ.वास्तव
में हम धन्य हो गए.विशेष आभार अमरेन्द्र भाई का जो भारी व्यस्तता के बीच
इस बैठक के संयोजक बने !
काजू भुने पलेट में, विस्की गिलास में
उतरा है रामराज विधायक निवास में
पक्के समाजवादी हैं, तस्कर हों या डकैत
इतना असर है ख़ादी के उजले लिबास में
आजादी का वो जश्न मनायें तो किस तरह
जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में
पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें
संसद बदल गयी है यहाँ की नख़ास में
जनता के पास एक ही चारा है बगावत
यह बात कह रहा हूँ मैं होशो-हवास
- अदम गोंडवी साहब
राहुल गांधी ने एक प्रतिशत खतरे के बने रहने और उसे रोक ना पाने की बात की तो लोग टूट पड़े उन पर
तो क्या यह गलत है है, झूठ है?
क्या कोई भी, किसी भी चीज की शत प्रतिशत गारंटी दे सकता है?
मतलब
कि आज का समाज किसी से फर्जी और झूठे बयान की उम्मीद करता है और उसी
गलतबयानी पर बिल्ली सरीखा आँखें बंद कर खुश हो जाना चाहता है??
शायद ही किसी को याद हो ... पर एक साल पहले आज के ही दिन ... अपने रुपये को अपनी पहचान मिली थी .
तुमने
पहले एक खाली आसमान दिया मुझे
फिर धीरे-धीरे
लगाते गए मेघ उस पर
और वे बरस रहे हैं अब और तुम कुछ करते भी नहीं
तुम्हें शायद भींगना अच्छा लगता होगा
पर इसके लिए कुछ भी करना अच्छा तो नहीं...
आज
गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर अपने सभी मित्रों को हार्दिक शुभकामनाये
..! अपेक्षा यही आप सभी अपने - अपने गुरु के आदर्शों का पालन कर ..अपने
गुरु , देश और धर्म का सम्मान करेंगे ..और अपना जीवन सोदेश्ये बना कर अपने
जीवन में प्रसन्नता का अनुभव करेंगे ....!!
फटे सूखे सिसकते होठों की, मुस्कान बन जाना
भले टूटा हो, घर के आईने का मान बन जाना
फ़रिश्ता जब भी बनना चाहोगे, बन जाओगे भाई
मगर मौका मिले तो, पल भर को इंसान बन जाना
दहकत देंह बुड़ो के जल मा, आगी अपन बुताइस होही.
तात हावय तरिया के पानी, वो हर इंहा नहाईस होही.
(मुकुंद कौशल)
खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे,
मधुर
भंडारकर कभी इतना महत्वपूर्ण नहीं हो सकता है जितना स्टार न्यूज़ उसे बना
कर दिखा रहहि तो क्या ये मान लिया जाय कि भंडारकर ने जिस खबरिया चैनल को
भाव न देते हुआ भगा दिया उस भाव को पाने के लिए स्टार भंडारकर को स्टार बना
रहा है. हद है बेहूदा और बेवकूफी भरी पत्रकारिता की वैसे भी जहाँ दीपक
चौरसिया नामक पनवाड़ी हो उस चैनल के तो कहने ही क्या...
हादसे भी खबर , हमले भी खबर , हैं लाशें खबर , असले भी खबर ,
हमने हैवानों को दी मौत की है सज़ा , काश , कभी ऐसी निकले भी खबर
मुंहजोर'
औरतों से हर मर्द डरता हैं. संभ्रांत मर्द ताकत या कमाई की वजह से अपनी
औरतों को दबा देते हैं.मजदूर बस्ती में औरतें मर्दों से ज्यादे कमाती
हैं,चूल्हा इन्ही की अंटी से जलता है. मर्दों की कमाई शराब पर खर्च होती
है. शराब जब दिमाग पर चढ़ के बोलती है तो ये संभ्रांत मर्दों से सीखे हुनर
का खुल के मुजायरा करते हैं. बस्ती के मर्द आज गुस्से से कांप रहे हैं एक
शराबी पति को उसकी बीवी ने सिखाया है चिमटे से 'सबक
-बदचलननामा
इस देश को सरकार की जरूरत नहीं ना ही सांसदों व विधायकों की क्योकि ये सब इस देश की जनता का खून चूसने के सिवा कुछ भी नहीं करते हैं ऊपर से इनके लूट व शर्मनाक भ्रष्टाचार को पकरने के लिए जन लोकपाल के नियुक्ति की बात होती है तो ये कहते हैं जनता ने हमें चुना है...लेकिन इन शर्मनाक भ्रष्टाचारियों को ये नहीं पता की वोटिंग के साथ अगर इनको अयोग्य घोषित करने के साथ इनको कभी भी चुनाव नहीं लड़ने देने का विकल्प हो तो 99% को जनता सदा के लिए चुनाव लड़ने से वंचित कर देगी..क्या यही है संसदीय गणतंत्र...?
आज गुरु पूर्णिमा को मेरी छुट्टी नहीं थी,फिर भी ले ली .संयोग से श्री श्री १००८ अनूप शुक्ल जी 'फुरसतिया ' के साथ भाई निशांत मिश्र और भाई अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी'अवधी-भक्त' से जेएनयू कैम्पस में चिरकुटिया-चिंतन हुआ.वास्तव में हम धन्य हो गए.विशेष आभार अमरेन्द्र भाई का जो भारी व्यस्तता के बीच इस बैठक के संयोजक बने !
काजू भुने पलेट में, विस्की गिलास में
उतरा है रामराज विधायक निवास में
पक्के समाजवादी हैं, तस्कर हों या डकैत
इतना असर है ख़ादी के उजले लिबास में
आजादी का वो जश्न मनायें तो किस तरह
जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में
पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें
संसद बदल गयी है यहाँ की नख़ास में
जनता के पास एक ही चारा है बगावत
यह बात कह रहा हूँ मैं होशो-हवास
- अदम गोंडवी साहब
उतरा है रामराज विधायक निवास में
पक्के समाजवादी हैं, तस्कर हों या डकैत
इतना असर है ख़ादी के उजले लिबास में
आजादी का वो जश्न मनायें तो किस तरह
जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में
पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें
संसद बदल गयी है यहाँ की नख़ास में
जनता के पास एक ही चारा है बगावत
यह बात कह रहा हूँ मैं होशो-हवास
- अदम गोंडवी साहब
राहुल गांधी ने एक प्रतिशत खतरे के बने रहने और उसे रोक ना पाने की बात की तो लोग टूट पड़े उन पर
तो क्या यह गलत है है, झूठ है?
क्या कोई भी, किसी भी चीज की शत प्रतिशत गारंटी दे सकता है?
मतलब
कि आज का समाज किसी से फर्जी और झूठे बयान की उम्मीद करता है और उसी
गलतबयानी पर बिल्ली सरीखा आँखें बंद कर खुश हो जाना चाहता है??
शायद ही किसी को याद हो ... पर एक साल पहले आज के ही दिन ... अपने रुपये को अपनी पहचान मिली थी .
तुमने
पहले एक खाली आसमान दिया मुझे
फिर धीरे-धीरे
लगाते गए मेघ उस पर
और वे बरस रहे हैं अब और तुम कुछ करते भी नहीं
तुम्हें शायद भींगना अच्छा लगता होगा
पर इसके लिए कुछ भी करना अच्छा तो नहीं...
पहले एक खाली आसमान दिया मुझे
फिर धीरे-धीरे
लगाते गए मेघ उस पर
और वे बरस रहे हैं अब और तुम कुछ करते भी नहीं
तुम्हें शायद भींगना अच्छा लगता होगा
पर इसके लिए कुछ भी करना अच्छा तो नहीं...
आभार अजय भाई ... अब तो आपके इस ब्लॉग की हर नयी पोस्ट का भी इंतज़ार रहने लगा है लोगो को ...
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