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रविवार, 29 जुलाई 2012
आज चेहरों ने फ़िर कुछ कहा है
सोमवार, 23 जुलाई 2012
हिंदी तो उनका कुत्ता भी लिख लेता है .,
"
इस देश में हिंदी को गरियाने , धकियाने , धमकाने वाले लोगों को तलाशने के लिए आपको ज्यादा मेहनत नहीं करनी पडती है । न ही ऐसा है कि वे किसी अहिन्दी भाषी प्रदेश या देश से आते हैं , न न न न वे अंग्रेज , ब्रिटिश , फ़्रांसीसी आदि भी नहीं हैं , वे आपके हमारे बीच के अपने हमारे मित्र/सखा /दोस्त और परिचित ही हैं । भाषा साहित्य कोई भी बुरी खराब या छोटी बडी नहीं होती । हर भाषा का अपना महत्व , स्थान और मान है , सबको बोलने पढने लिखने और समझने वाले लोग हैं इसलिए हर भाषा का सम्मान किया जाना चाहिए । सबसे जरूरी बात ये कि यदि आपको सम्मान करने से कोफ़्त है तो भी कोई बात नहीं किंतु किसी भाषा का अपमान नहीं किया जाना चाहिए । किंतु यहां ये प्रवृत्ति बहुत तेज़ी से पनप रही है कि किसी एक भाषा की दुम पकड के उसका गुणगान करते हुए दूसरी भाषा को तुच्छ ,घटिया, निम्न साबित किया जाए और सोचिए कि यदि वो भाषा खुद राष्ट्रभाषा हिंदी हो तो । जी हां , ठीक समझ रहे हैं आप , ऐसा लगता है मानो किसी ने खींच के एक चाटा मुंह पर लगा दिया हो । अफ़सोस और खीज़ तब ज्यादा होती है जब वो आपके अपने ही दायरे के हों , फ़ेसबुकिए , ब्लॉगर हों ......देखिए कैसे ,"
अभी जब प्लेन में था तो लैपटॉप पर अपना ही हिंदी का ब्लॉग खोल लिया.. आस पास के लोग बड़ी हिकारत भरी नज़र से देखने लगे... तब पता चला कि हिंदी सिर्फ गरीबों और क्लासलेस की ही भाषा है... क्लास तो इंग्लिश में ही है.. सबसे बड़ी बात हिन्दुस्तानी ही हिकारत से देख रहे थे.. और कुछ तो सरप्राइज़ कर रहे थे कि कंप्यूटर हिंदी भी जानता है.. अजीब हाल है.. हिंदी का हाल उस प्रौसटीट्युट की तरह है जिसे पाना तो सब चाहते हैं लेकिन अपनाना कोई नहीं.. हुह... !!!
मुझे जब भी हिंदी के लेखक की इमेज ध्यान में आती है तो एक भिखारी की इमेज भी साथ ही साथ बन जाती है. "तेरे बच्चे जियें.. अल्लाह के नाम पे दे दे बावा" चाहे वो कितना भी प्रतिष्ठित क्यूँ न हो ... शायद मैं खुद से कॉम्पिटिशन करने लगता हूँ.. सुपीरियोरिटी कॉम्प्लेक्स भी बहुत खराब होती है.... या फिर मैं पागल हो गया हूँ... हिंदी लेखन में लौबिसटों का ख़ात्मा होना ज़रूरी है.. जब तक के लौबींग नहीं ख़त्म होगी तब तक के ऐसे ही ख़याल आयेंगे.. मेरे यह भी नहीं समझ आता है कि लोग हिंदी लेखन क्यूँ अपनी बेईज्ज़ती कराने के लिए करते हैं? ना कोई नाम.. ना दाम.. जस्ट एन्जॉय योरसेल्फ...ओनली.
जिनकी बीवियां घर में गहनों के लिए तरसतीं हैं... जिनके बीवियों के साड़ी का रंग और पेटीकोट का रंग अलग होता है जिन्हें पैर के अंगूठे से छुपाया जाता है... और जिनकी बीवियां सेक्सुअली मोहल्ले के जवान लड़कों के ऊपर डिपेंडेंट होतीं हैं... और जो दूसरों पर पैरा साईट की तरह ज़िन्दगी गुज़ारते हैं.. वो घर के बाहर हिंदी में साहित्यकार का पुरुस्कार बांटते हैं.... वाह! रे.. हाईट्स ऑफ़ डुअलटी...
जुलाई 2006 में कादम्बिनी में मेरी एक कविता छपी थी जिसका रेम्युनरेशन 200 रुपये का चेक आया था. जिसे मैंने कैश न करा कर संभाल कर रख दिया था. बात दो सौ रुपये की नहीं है बात उस इज्ज़त की है जो कादम्बिनी ने दी. आज कोई कागज़ खोजते हुए यह चेक मिला. मुझे आज तक जितने भी चेक पत्रिकाओं से मिले हैं.. उन्हें मैंने कभी कैश नहीं कराया. ना ही कभी अपने अडोस-पड़ोस में किसी को दिखाया. लोग मज़ाक उड़ाते. पिछले पंद्रह सालों में अब तक जितने भी चेक मुझे मिले हैं सब ऐसे ही संभाल कर रखे हैं... क्यूंकि जो अमाउंट टोटल में बनती है वो ऐसा लगता है कि मेरा ही मज़ाक उड़ा रही है. मुझे क्लास बहुत पसंद है जिस तरह लौरेटो, ला-मार्टिनियर, कार्मल,के.वी., और नैनीताल/शिमला के स्कूलों में पढ़ी लड़कियों का एक क्लास होता है उसी तरह की क्लास पत्रिकाओं में ही छपना पसंद करता हूँ. और जितनी भी क्लास पत्रिकाएं हैं वो पैसा नहीं देतीं. अजीब अजीब पत्रिकाओं और अखबारों में तो मेरा जैंगो (माय लवली डौगी) भी कविता कर के छपता था. कुछ भी कहो अंग्रेज़ी में कम अज़ कम क्लास तो है और पैसा भी डॉलर्स ($) में. अब तो मैं हिंदी में लिख कर हिंदी पर एहसान करता हूँ..
ये हमारे फ़ेसबुक और हिंदी ब्लॉगर मित्र डॉ.महफ़ूज़ अली जी के कुछ हालिया फ़ेसबुक अपडेट्स हैं जिन्हें पढ कर सच में दुख और अफ़सोस हुआ , आपको कैसा लगा ????
बुधवार, 18 जुलाई 2012
मैं शायर बदनाम .... मैं चला ... मैं चला ... राजेश खन्ना को समर्पित
![]() |
राजेश खन्ना (29 December 1942 - 18 July 2012) |
" बाबू मोशाय, हम सब तो रंगमंच की कठपुतलिया हैं ... जिसकी डोर उस ऊपर वाले के हाथों में है जहाँपनाह , कब कौन कहाँ कैसे उठेगा ये कोई नहीं जानता ... हा हा हा ... बाबू मोशाय जिंदगी और मौत उस ऊपरवाले के हाथ में है उसे ना आप बदल सकते हैं ना हम "
अपने बाबू मोशाए को जाते जाते भी यह सीख दे कर जाने वाला 'आनंद' आज सच मे चला गया ... फिर कभी भी लौट कर न आने के लिए ... और कमाल की बात यह कि हम रो भी नहीं सकते ... हमारे रोते ही फिर नाराजगी भरी आवाज़ सुनाई देगी ... "पुष्पा, मुझसे ये आसू नहीं देखे जाते, आई हेट टीयर्स ..." साथ साथ अपना दर्द भी वो बयां कर देगा ... " ये तो मै ही जानता हूं कि जिंदगी के आखिरी मोड़ पर कितना अंधेरा है ... मै मरने से पहले मरना नहीं चाहता ..."
वैसे कितना सही कहता था न वो ... " किसी बड़ी खुशी के इंतजार में हम अपनी ज़िन्दगी मे ये छोटे-छोटे खुशियों के मौके खो देते हैं... "
सुनते है उस खुदा के घर जो देर से जाता है उसको सज़ा मिलती है ... पर यहाँ भी अपना हीरो आराम से बच निकलेगा यह कहते हुये ... " मै देर से आता नहीं हूं लेकिन क्या करूं, देर हो जाती है इसलिए माफी का हकदार हूं, अगर फिर भी किसी ने ना माफ किया हो तो मै यही कहना चाहता हूं हम को माफी देदो साहिब... "
राजेश खन्ना साहब के गुज़र जाने की खबर जैसे जैसे फैलती गयी लोगो की श्रद्धांजलि की जैसे एक बाढ़ सी आ गयी फेसबूक , ब्लॉग , ट्विटर, आदि पर ...
फेसबूक पर हिन्दी ब्लॉग जगत ने कैसे इस महान कलाकार को अपनी श्रद्धांजलि पेश की उस की एक झलक हम आपको यहाँ दिखा रहे है !

Zindagi kaisi hai paheli haai...R.I.P. Rajesh Khanna

नफ़रत की दुनिया को छोड के प्यार की दुनिया में , खुश रहना मेरे यार ......जाने क्यों आज रह रह के यही गाना मेरे ज़ेहन में गूंज़ रहा है जबसे राजेश खन्ना के जाने की खबर सुनी है । ये ज़माना तुम्हें युगों तक याद रखेगा काका
"आनन्द" मरा नही करते
अनन्त "सफ़र" पर चल देते हैं
फिर चाहे "दाग " लगाये कोई
"अमर प्रेम" किया करते हैं
"आराधना " का दीया बन
"रोटी " की ललक मे
"अवतार " लिया करते हैं
एक बेजोड शख्सियत
जो आँख मे आँसू ले आये
वो ही तो अदाकारी का परचम लहराये ……नमन !
Sad to see two stalwarts of Hindi Film Industry (Dara Singh and then Rajesh Khanna) going away one after the other in quick succession ...

बाबू मोशाय..... !!!
मैं फिर आऊंगा रे...
RIP !!! Rajesh khanna.... :-(

अरे ,'आनंद' नहीं रहा :-(

दिवंगत अभिनेता राजेश खन्ना जी को हार्दिक श्रद्धांजलि ।

श्रध्दांजलि............

आज फिर किशोर दा याद आए। उनकी आवाज काका पर जितनी फिट बैठती थी, उतनी शायद किसी और के न बैठी हो।
अकेला गया था मैं हां, मैं न आया अकेलाSSSSSSSS
जिंदगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मुकाम
और ऐसे ही सैकड़ों गीत, मैं किशोर दा के समझ के समझ के सुनता रहा, बाद में वीडियो देखे तो पता चला कि ये तो काका के लबों पर सजे थे...
अब दोनों ही लिजेंड नहीं हैं और दोनों जिंदा है यादों में...
बाबू मोशाय !
ये दुनिया रंगमंच हैं.......... और हम तो रंगमंच की कठपुतलियाँ हैं........जिसकी डोर उपरवाले के हाँथ में है..........कब कौन उठेगा.........ये कोई नहीं जानता !
बॉलीवुड के सुपरस्टार राजेश खन्ना को श्रद्धांजलि !

बस आज तो फेसबुक राजेश खन्ना के नाम कर दो......इस सबक के साथ कि कोई भी हो एक दिन सब ने चले जाना है...कोई पहले कोई बाद में। रूप का,पैसे का,रुतबे का अहंकार मत करो....सब यहीं रह जाएगा।

KAKA is no more.........May his soul rest in peace.

सुबह आती है, रात जाती है
सुबह आती है, रात जाती है यूँही
वक़्त चलता ही रहता है रुकता नहीं
एक पल में ये आगे निकल जाता है
आदमी ठीक से देख पाता नहीं, और परदे पे मंजर बदल जाता है
एक बार चले जाते हैं जो दिन-रात सुबह-शाम
वो..फिर नहीं आते...वो..फिर नहीं आते..

हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना को उन्हीं पर फिल्माए गीत के द्वारा श्रद्धांजलि >>>>
कुछ लोग भले ही भूल जाते हैं..पर वे भुलाये नहीं भूलेंगे>>>>
http://www.youtube.com/watch?v=1v1eNMuu-nk

मुझे नहीं मालूम बेहद छोटी उम्र में आनंद देखकर मैं क्यों सुबक पड़ा था और फिल्म देखते वक्त उसके बच जाने की क्यों दुआएं कर रहा था |राजेश खन्ना को मैंने तभी से दूसरी दुनिया का रहने वाला कोई एक मान लिया था जब आनंद देखी थी |

kAKA NAHI RAHE!

वह राजेश खन्ना की अदाकारी का ही जलवा था कि अभी कुछ दिनों पहले आनंद फिल्म देख रहा था और साथ ही साथ भोजन भी चल रहा था। आनंद के प्राण त्यागने वाले सीन के बाद भोजन गले से नीचे नहीं उतरा, थाली सरका दी और मुंह-हाथ धोने वाश बेसिन की ओर चल पड़ा।
पीछे से बेटी को कहते सुना "पापा लगता है बहुत बड़े फ़ैन हैं राजेश खन्ना के"।

"मौत तू एक कविता है,
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको
डूबती नब्ज़ों में जब दर्द को नींद आने लगे
जर्द सा चेहरा लिये जब चांद उफक तक पहुचे
दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब
ना अंधेरा ना उजाला हो, ना अभी रात ना दिन
जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब साँस आऐ
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको"
अलविदा 'आनंद' - तुम बहुत याद आओगे ... राजेश खन्ना जी को पूरे हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से शत शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि |
अनन्त "सफ़र" पर चल देते हैं
फिर चाहे "दाग " लगाये कोई
"अमर प्रेम" किया करते हैं
"आराधना " का दीया बन
"रोटी " की ललक मे
"अवतार " लिया करते हैं
एक बेजोड शख्सियत
जो आँख मे आँसू ले आये
वो ही तो अदाकारी का परचम लहराये ……नमन !

Sad to see two stalwarts of Hindi Film Industry (Dara Singh and then Rajesh Khanna) going away one after the other in quick succession ...
बाबू मोशाय..... !!!
मैं फिर आऊंगा रे...
RIP !!! Rajesh khanna.... :-(
अरे ,'आनंद' नहीं रहा :-(
दिवंगत अभिनेता राजेश खन्ना जी को हार्दिक श्रद्धांजलि ।
श्रध्दांजलि............
आज फिर किशोर दा याद आए। उनकी आवाज काका पर जितनी फिट बैठती थी, उतनी शायद किसी और के न बैठी हो।
अकेला गया था मैं हां, मैं न आया अकेलाSSSSSSSS
जिंदगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मुकाम
और ऐसे ही सैकड़ों गीत, मैं किशोर दा के समझ के समझ के सुनता रहा, बाद में वीडियो देखे तो पता चला कि ये तो काका के लबों पर सजे थे...
अब दोनों ही लिजेंड नहीं हैं और दोनों जिंदा है यादों में...
बाबू मोशाय !
ये दुनिया रंगमंच हैं.......... और हम तो रंगमंच की कठपुतलियाँ हैं........जिसकी डोर उपरवाले के हाँथ में है..........कब कौन उठेगा.........ये कोई नहीं जानता !
बॉलीवुड के सुपरस्टार राजेश खन्ना को श्रद्धांजलि !

बस आज तो फेसबुक राजेश खन्ना के नाम कर दो......इस सबक के साथ कि कोई भी हो एक दिन सब ने चले जाना है...कोई पहले कोई बाद में। रूप का,पैसे का,रुतबे का अहंकार मत करो....सब यहीं रह जाएगा।

KAKA is no more.........May his soul rest in peace.

सुबह आती है, रात जाती है
सुबह आती है, रात जाती है यूँही
वक़्त चलता ही रहता है रुकता नहीं
एक पल में ये आगे निकल जाता है
आदमी ठीक से देख पाता नहीं, और परदे पे मंजर बदल जाता है
एक बार चले जाते हैं जो दिन-रात सुबह-शाम
वो..फिर नहीं आते...वो..फिर नहीं आते..

हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना को उन्हीं पर फिल्माए गीत के द्वारा श्रद्धांजलि >>>>
कुछ लोग भले ही भूल जाते हैं..पर वे भुलाये नहीं भूलेंगे>>>>
http://www.youtube.com/watch?v=1v1eNMuu-nk

मुझे नहीं मालूम बेहद छोटी उम्र में आनंद देखकर मैं क्यों सुबक पड़ा था और फिल्म देखते वक्त उसके बच जाने की क्यों दुआएं कर रहा था |राजेश खन्ना को मैंने तभी से दूसरी दुनिया का रहने वाला कोई एक मान लिया था जब आनंद देखी थी |

kAKA NAHI RAHE!

वह राजेश खन्ना की अदाकारी का ही जलवा था कि अभी कुछ दिनों पहले आनंद फिल्म देख रहा था और साथ ही साथ भोजन भी चल रहा था। आनंद के प्राण त्यागने वाले सीन के बाद भोजन गले से नीचे नहीं उतरा, थाली सरका दी और मुंह-हाथ धोने वाश बेसिन की ओर चल पड़ा।
पीछे से बेटी को कहते सुना "पापा लगता है बहुत बड़े फ़ैन हैं राजेश खन्ना के"।

"मौत तू एक कविता है,
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको
डूबती नब्ज़ों में जब दर्द को नींद आने लगे
जर्द सा चेहरा लिये जब चांद उफक तक पहुचे
दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब
ना अंधेरा ना उजाला हो, ना अभी रात ना दिन
जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब साँस आऐ
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको"
अलविदा 'आनंद' - तुम बहुत याद आओगे ... राजेश खन्ना जी को पूरे हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से शत शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि |
अकेला गया था मैं हां, मैं न आया अकेलाSSSSSSSS
जिंदगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मुकाम
और ऐसे ही सैकड़ों गीत, मैं किशोर दा के समझ के समझ के सुनता रहा, बाद में वीडियो देखे तो पता चला कि ये तो काका के लबों पर सजे थे...
अब दोनों ही लिजेंड नहीं हैं और दोनों जिंदा है यादों में...

बाबू मोशाय !
ये दुनिया रंगमंच हैं.......... और हम तो रंगमंच की कठपुतलियाँ हैं........जिसकी डोर उपरवाले के हाँथ में है..........कब कौन उठेगा.........ये कोई नहीं जानता !
बॉलीवुड के सुपरस्टार राजेश खन्ना को श्रद्धांजलि !
बस आज तो फेसबुक राजेश खन्ना के नाम कर दो......इस सबक के साथ कि कोई भी हो एक दिन सब ने चले जाना है...कोई पहले कोई बाद में। रूप का,पैसे का,रुतबे का अहंकार मत करो....सब यहीं रह जाएगा।
KAKA is no more.........May his soul rest in peace.
सुबह आती है, रात जाती है
सुबह आती है, रात जाती है यूँही
वक़्त चलता ही रहता है रुकता नहीं
एक पल में ये आगे निकल जाता है
आदमी ठीक से देख पाता नहीं, और परदे पे मंजर बदल जाता है
एक बार चले जाते हैं जो दिन-रात सुबह-शाम
वो..फिर नहीं आते...वो..फिर नहीं आते..
हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना को उन्हीं पर फिल्माए गीत के द्वारा श्रद्धांजलि >>>>
कुछ लोग भले ही भूल जाते हैं..पर वे भुलाये नहीं भूलेंगे>>>>
http://www.youtube.com/watch?v=1v1eNMuu-nk
मुझे नहीं मालूम बेहद छोटी उम्र में आनंद देखकर मैं क्यों सुबक पड़ा था और फिल्म देखते वक्त उसके बच जाने की क्यों दुआएं कर रहा था |राजेश खन्ना को मैंने तभी से दूसरी दुनिया का रहने वाला कोई एक मान लिया था जब आनंद देखी थी |
kAKA NAHI RAHE!
वह राजेश खन्ना की अदाकारी का ही जलवा था कि अभी कुछ दिनों पहले आनंद फिल्म देख रहा था और साथ ही साथ भोजन भी चल रहा था। आनंद के प्राण त्यागने वाले सीन के बाद भोजन गले से नीचे नहीं उतरा, थाली सरका दी और मुंह-हाथ धोने वाश बेसिन की ओर चल पड़ा।
पीछे से बेटी को कहते सुना "पापा लगता है बहुत बड़े फ़ैन हैं राजेश खन्ना के"।

"मौत तू एक कविता है,
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको
डूबती नब्ज़ों में जब दर्द को नींद आने लगे
जर्द सा चेहरा लिये जब चांद उफक तक पहुचे
दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब
ना अंधेरा ना उजाला हो, ना अभी रात ना दिन
जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब साँस आऐ
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको"
अलविदा 'आनंद' - तुम बहुत याद आओगे ... राजेश खन्ना जी को पूरे हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से शत शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि |
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको
डूबती नब्ज़ों में जब दर्द को नींद आने लगे
जर्द सा चेहरा लिये जब चांद उफक तक पहुचे
दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब
ना अंधेरा ना उजाला हो, ना अभी रात ना दिन
जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब साँस आऐ
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको"
अलविदा 'आनंद' - तुम बहुत याद आओगे ...
रविवार, 8 जुलाई 2012
कुछ तुम कहो , कुछ हम सुनें .........
आज का सत्यमेव जयते देखने के बाद स्वदेश फिल्म का एक डायलोग याद आ रहा है..
"जो कभी नहीं जाती उसी को जाति कहते हैं..." काश कभी इस पंक्ति को गलत साबित होते हुए देख सकूं...
आया केसर का मौसम :-
चन्दन को केसर के साथ घिसकर इसका लेप माथे पर लगाने से, सिर, नेत्र और मस्तिष्क को शीतलता, शान्ति और ऊर्जा मिलती है, नाक से रक्त गिरना बन्द हो जाता है और सिर दर्द दूर होता है। शिशु को सर्दी हो तो केसर की 1-2 पखड़ी 2-4 बूंद दूध के साथ अच्छी तरह घोंटें, ताकि केसर दूध में घुल-मिल जाए। इसे एक चम्मच दूध में मिलाकर सुबह-शाम पिलाएँ। माथे, नाक, छाती व पीठ पर लगाने के लिए केसर जायफल व लौंग का लेप (पानी में) बनाएँ और रात को सोते समय लेप करें। कृमि नष्ट करने के लिए केसर व कपूर आधी-आधी रत्ती खरल में डालकर 2-4 बूंद दूध टपकाकर घोंटें और एक चम्मच दूध में मिलाकर बच्चे को 2-3 दिन तक पिलाएं। बच्चों को बार-बार पतले दस्त लगने को अतिसार होना कहते हैं। बच्चों को पतले दस्त लगने पर केसर की 1-2 पँखुड़ी खरल में डालकर 2-3 बूंद पानी टपकाकर घोंटें। अलग पत्थर पर पानी के साथ जायफल, आम की गुठली, सौंठ और बच बराबर बार घिसें और इस लेप को केसर में मिला लें। इसे एक चम्मच पानी में मिलाकर शिशु को पिला दें। यह सुबह शाम दें।
अभी अभी तो सन्नाटा था, और अभी अभी है हो-हुल्लड़
अरे, किसके बाप मर गए, औ किसको मिल गए हैं बाप ?
मध्यप्रदेश में निवास करनेवाले साथियों से एक अपील. आज नई दुनिया जागरण ने मेरी पोस्ट "पापा डरी हुई गर्लफ्रैंड की तरह फोन करते हैं" प्रकाशित की है. अखबार बिना बताए न जाने कब और कहां पोस्ट छापते हैं, पता नहीं चलता है. लेकिन यहां मामला पापा से जुड़े इमोशन का है. मैं इसकी हार्ड कॉपी उन्हें पोस्ट करना चाहता हूं. बशर्ते इससे पहले आप मुझे पोस्ट करते हैं. कुल जमा 25 रुपये का खर्चा आएगा लेकिन वर्सुअल स्पेस की इस दोस्ती के आगे 25 रुपये क्या बड़ी चीज है ? वैसे आज सुबह-सुबह अमिता नीरव,नई दुनिया जागरण ने इसकी सॉफ्ट कॉपी मुहैया करा दी. उनका शुक्रिया.
लालू को बधाई! मौजूदा दलों में अन्ना आन्दोलन को कोई श्रेय दे या न दे, मगर लालू महाशय ने "श्रेय" जरुर दिया!! "टाइम" में छपे आलेख के लिए.
लालू के अनुसार "टाइम" में मनमोहन के खिलाफ छपे आमुख कथा के लिए अन्ना आन्दोलन जिम्मेवार! मनमोहन सरकार को "अंडर-एचीवर" बताया है "टाइम" ने.
सूरज तुम हमेशा तपते क्यूँ हो?
कभी मेरे साथ बैठ चखो
चाँद की शीतलता का प्याला.....
-अर्चना
''हमें लोग भंगी कहते हैं, गन्दा कहते हैं, भंगी समाज तो साफ़-सफाई का काम करता है. फिर यह कैसे हुआ? जो सफाई करने वाले हैं, वे कैसे गंदे हो गए.''
विल्सन
मनुष्य जन्म से शूद्र होता है...
आमिर खान ने इस सप्ताह के सत्यमवे जयते कार्यक्रम में छुआछूत का मसला उठाया. 'रोटी और बेटी' में अब भी दलित वर्ग को छुआछूत का सामना करना पड़ता है. कार्यक्रम में ज़िक्र हुआ कि ये छुआछूत सिर्फ़ हिंदुओं में नहीं बल्कि मुसलमानों, सिखों और ईसाइयों में भी है. क्या आपने ये छुआछूत होते देखा है या अनुभव किया है, यहाँ रखिए अपनी राय. ये एक संवेदनशील मसला है इसलिए सभी पाठकों से अनुरोध है कि राय देते समय भाषा में इस मंच की गरिमा का ख़्याल ज़रूर रखिएगा. इस बहस को आगे बढ़ाइए और साथ में लगे शेयर के बटन को क्लिक करके दोस्तों के बीच भी ये बहस शुरू करिए-
http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2012/07/ 120708_aamir_satyamev_jayate_ms .shtml
जातिवाद के खिलाफ लिखे किसी भी status को मिले कम like भी समाज में जातिवाद के होने का एक प्रमाण है!
![]()
तुम
बन जाओ
एक किताब
कहानी की मेरी
मखमली ज़िल्द
और
अलिखित इबारतों वाली
जिसे पढ़ पाऊँ
मैं
सिर्फ मैं
पन्ना दर पन्ना
कहीं मुस्कराऊँ,
कहीं खो जाऊँ और
कहीं आसूँ बहाऊं मैं..
फिर थक कर
तुम्हें छाती से लगाये
सो जाऊँ मैं...
-एक स्थापित लेखक हो जाऊँ मै!!
-कुछ पहचान पा जाऊँ मैं!!
-समीर लाल ’समीर’
घनाक्षरी छंद
प्रथम प्रयास
. . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
दुनियाँ जिसकी शक्ति का करती गुणगान।
देखो सीना तान खड़ा वो भारत देश है॥
हिन्द महासागर को देखो चरण पखारे।
हिम हिमालय माँ की लट और केश है॥
काले गोरे लम्बे नाटे फूल हैं रंग बिरंगे।
भाँति भाँति लोग यहाँ भाँति भाँति वेष है॥
राज्य कई पर हर दिल में हिन्दुस्तानी है।
भाषा कई कई पर होती मीठी पेश है॥
हप्पी होलिडे पर आप सभी मित्रोजनो को नममस्कार कैसे बिता रहे इस छुट्टी को ?
जौन एलिया तुम मर क्यों नहीं जाते :(
![]()
दोस्तों, आज मेरी बिटिया अपना पहला वेतन लेकर जब घर आई तो उसके चेहरे की चमक में सब खो गए. और जब उसने वो सभी अपनी दादी को सौपा तो मेरी माँ की चमक में मेरी बिटिया भी खो गयी. .......................मेरे परिवार की ख़ुशी में आप सभी को शामिल करता हूँ ........
आज फिर सुबह से ही धूप खिली है. लगता है मानसून भी रविवार को छुट्टी मना रहा है...
फिर सावन रुत की पवन चली, तुम याद आये तुम याद आये
फिर पत्तो की पाजेब बजी तुम याद आये,तुम याद आये...............!
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