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बुधवार, 25 दिसंबर 2013

दीवारों पे कुछ लिख कर छोडा है

 

ABP News

आप सभी को ABP News की तरफ से क्रिसमस की शुभकामनाएं..!!

आप सभी को @[153808061303123:274:ABP News] की तरफ से क्रिसमस की शुभकामनाएं..!!

 

 

बेचैन आत्मा shared चित्रों का आनंद's photo.

पानी में सीप जइसे प्यासल हर आत्मा
प्यास बुझी कउने जल से ? ...केहू जाने ना।
ओहरे...

चित्रों का आनंद's photo.

 

 

Anshu Mali Rastogi

सो जा प्यारे नहीं तो ईमानदार आ जाएंगे।

 

 

Awesh Tiwari

आज मिल गए हौजखास चौराहे से पहले की लालबत्ती पर अजहर और आलिया ,एक के पैर में स्टील के जूते तो एक के पास दो बैसाखियाँ ,दोनों अपने कई पहियों वाले स्कूटर पर |भीड़ में तेजी से नई इनफिल्ड से आगे बढ़ रहे एक लड़के ने पटरी से थोडा आगे खड़े एक बच्चे को जैसे ही धक्का मारा ,अजहर तेजी से चिलाया अब्बे साले रुक तो ..आवाज का जोर देखने लायक था ,खैर बच्चे को चोट नहीं आयी ,अजहर की आवाज ने थोडा काम किया आगे खड़े ट्रेफिक पुलिस वाले ने बाकी बचा काम पूरा कर दिया गया |बड़ा शहर कमजोर और ताकतवर का फासला कम कर देता है |

 

 

 

Darpan Sah

खुद को ताउम्र सहन करना
बने रहना ख़ुद के साथ हमेशा
कभी खुद को भूला न पाए
कभी खुद की याद न आये
अपने को खोजना दरअसल घुप्प अँधेरे में सुई खोजने नहीं
वो है अँधेरा खोजना
अपना होना बाकी सब की अनुपस्थिति मात्र है
इससे अधिक कुछ नहीं
इतना सा भी नहीं
कान बंद करके सुना जा सकता है जिसे
आँख बंद करके देखा जा सकता है उसे
महसूस किया जा सकता है जिसका स्पर्श
सारी सम्वेदनाओं को नकार के
असत्य है ये कथन कि मैं उदास हूँ
मैं खुद को खुद ही उदास करता हूँ,
मेरे पास मेरा कोई विकल्प नहीं
मृत्य भी नहीं
आत्महत्या करना भी खुद की उम्मीद करना ही है
अपने को स्वीकारना.
कुछ लिखने या कहने से अधिक बड़ी अभिव्यक्ति
रोना और चार सौ कविताएँ पढना
अन्यथा कुछ भी तो न पढ़ता
और अगर पढ़ता तो
कोई कविता अधूरी पढ़े बिना नहीं छोड़ता
और जब मैं अपने को जानने के बावज़ूद
प्रेम कर सकता हूँ अपने से
तो कोई कारण नहीं कि फिर मैं किसी और से प्रेम न करूं.
बाकी सब तो फिर भी अपेक्षाकृत कम 'मैं' हैं.

 

 

Parveen Chopra

जहाँ तक मुझे याद है लगभग 30 वर्ष पहले के दिनों में घर में एक अदद कमबख्त टेलीफोन की डायरेक्टरी होना एक अच्छा खासा स्टेटस सिम्बल हुआ करता था चाहे घर में किसी को देखनी आये या न आये.....इतनी हिमाकत की डायरेक्टरी में अपना या अपने बापू का नाम देख कर मेट्रिक की मेरिट लिस्ट वाली सूची भी छोटी दिखती थी......इस विषय पर कल विस्तार से लिखूंगा.....अपने यादों के झरोंखों से कुछ इसमें दराज करवाना हो तो बतायेगा।

 

 

Gyan Dutt Pandey

आज कोहरा कम है। माल गाड़ियां कुछ ठीक चलने की सम्भावना है। गाना गुनगुनाने का मन हो रहा है।
वर्ना आई-बकुली हेराई हुई थी!

 

 

 

Sangita Asthana

खुदा हमको ऐसी खुदाई न दे कि अपने सिवा कुछ दिखाई न दे

 

 

Baabusha Kohli

बीती रात लाल टोपी वाला बाबा मेरे तकिये के पास बड़ा क़ीमती तोहफ़ा रख गया. इस तोहफ़े को 'सबक' कहते हैं.
माँ ने कहा - "ब्रह्म मुहूर्त में मिला सबक तेरे जीवन के युद्ध का ब्रह्मास्त्र बने, बाबुषा ! "
कल मेरी 'बड़ी रात' थी. आज मेरा 'बड़ा दिन' है.
[25 दिसम्बर, 13 की डायरी]

 

 

 

Shailja Pathak

बहुत सर्दी है
मखमल के पुराने शाल में
इया अपने को लपेटती
लिपट जाती कम्बखत बेटे की याद
बुझती बोरसी की आग
फिर से सुलग जाती
इया कोई गीत गुनगुनाती
दूर निर्जन रास्तों पर
दौड़ते पैरों के निशाँ है
फिर भागता शहर भी है आगे
एक दस्तक की आस में इया
बार बार बंद सांकल खोलती
उदासी बंद हो जाती
उनकी चुनौटी की डिबिया में
सफेदी बनकर
दर्द बेजुबान होता है इया
लाल बोरसी के करीब रखी हथेलियाँ
अब नही जलती
फफोले सखत पर्दों में है .....

 

 

 

Reeta Vijay

लोकप्रियता की खातिर अपने सिद्धांत न बेचें वरना आप पूरी तरह से दिवालिया हो जाएंगें !!!

 

 

Rashmi Prabha

कुछ लोगों के रिव्यु से मैं इस निष्कर्ष पर आई हूँ कि कुछेक लोग दिमाग से फ़िल्म या जीवन को नहीं देखते, गन्दगी को वे घृणित भाव से नहीं देखते - अचानक मुझे ऐसे लोगों में दिलचस्पी हुई … दिलचस्पी यानि अच्छा लगा कि ये ज़िन्दगी को कितने समभाव से हाहाहाहाहा करके गुजार लेते हैं - प्रॉब्लम तो तब होगी न जब दिमाग लगाया जाए और उसे सॉल्व करने के लिए अपनी जगह से उठा जाये !!!

 

 

Amitabh Agnihotri

दामन पे न कोई छींटे,न खंजर पे कोई दाग फ़राज़ !!!!
तुम क़त्ल करते हो , या कि करामात करते हो ?????

 

 

अरुन शर्मा अनन्त

मौत के साथ आशिकी होगी,
अब मुकम्मल ये जिंदगी होगी,
उम्र का ये पड़ाव अंतिम है,
सांस कोई भी आखिरी होगी,
आज छोड़ेगा दर्द भी दामन,
आज हासिल मुझे ख़ुशी होगी,
नीर नैनों में मत खुदा देना,
सब्र होगा अगर हँसी होगी,
आखिरी वक्त है अमावस का,
जल्द हर रात चाँदनी होगी.

 

 

Niraj Mishra

भूख ही सबसे बड़ा धर्म है, सबसे बड़ा देवता है
कलीमुद्दीन तो भूख की भट्ठी में
खाक हो गया था
..............................नागार्जुन

 

 

Lalit Joshi

कौन कहता है आसमाँ पर छेद नहीँ होता
ओजोन परत को एक दफा देख तो लो यारोँ
:))

शनिवार, 9 नवंबर 2013

आखिर बात क्या है भाई ???

 

  • Padm Singh

    1-अचानक ओपिनियन पोल पर रोक की वकालत क्यों ...

    2-नेहरू और इंदिरा गांधी के कारनामे दिखाने के कारण (और आडवाणी की तारीफ के कारण) एबीपी न्यूज़ वाला शो 'प्रधानमंत्री' के प्रसारण पर रोक....

    3-पेड न्यूज़ पर रोक लगाने संबंधी अध्यादेश का ड्राफ्ट तैयार है ...

    4-न्यूज़ चैनलों के लिए एड्वाइज़री जारी ...

    5-बार बार सोशल मीडिया पर अंकुश लगाने की भरसक कोशिश...

    .... आखिर बात क्या है भाई ??

  • Ehtesham Akram

    हकीकत खुराफात में खो गई....

    ये उम्मत रवायात में खो गई..... !!!!!

    .........................................................इकबाल

  •  

  • Baabusha Kohli

    रंज इसका नहीं कि हम टूटे, चलो अच्‍छा हुआ भरम टूटे

    आई थी जिस हिसाब से आँधी, उसको देखो तो पेड़ कम टूटे

    [ पता नहीं किसका, पर बब्बर शे'र है. ]

  • Nand Lal

    नेता और डाइफ़र में क्या समानता है ? दोनो को सही समय पर नही बदला गया तो बहुत गन्दगी फ़ैल जाती है ।

  • Gyan Dutt Pandey

    शुद्ध गंवई माहौल! पड़ोस में मेहरारुओं में कजिया हो रही है। जानदार दबंग भाषा का प्रयोग।

      • Tarif Daral

        हम फ़ेसबुकिये भी कितने पागल हैं ,

        जो भी खाते हैं , जो भी करते हैं !

        वो खाने से पहले , करने से पहले ,

        फ़ेसबुक पे स्टेटस अपडेट करते हैं !

      • Manisha Pandey

        अभी 1000 पन्‍ने तो इस भ्रम पर ही लिखे जाने की जरूरत है कि "औरत ही औरत की दुश्‍मन है।"

        पता नहीं लोग मूर्ख हैं या मक्‍कार, जो इतने कॉन्फिडेंस के साथ ऐसा झूठ फैलाया करते हैं। अच्‍छा ही है, औरतें आपस में ही लड़ती रहेंगी तो आपके ऊपर सवाल नहीं उठेगा।

        • Vkboss Katariya

          बात उसकी मुझे कभी रास नहीं आती !

          यही बात सोच वो मेरे पास नहीं आती !!

        • Sanjeev Chandan

          अभी ६ तारीख को पटना आ रहा था तो हाजीपुर से गायघाट तक १२ किलोमीटर की दूरी छः घंटे में तय की थी , इतने से कम समय में पैदल भी आया जा सकता था . मैं उनलोगों से खुशनसीब था , जो पटना से आ रहे थे और बसों में , ट्रकों में , ऊपर नीचे लदे -फदे थे - क्योंकि बस की पहली सीट पर मुझे आरामदायी जगह मिल गई थी .उन लोगों से भी, जो छः घंटे की यात्रा में अपने अपने 'इमरजेंसी काल' को अपने चेहरे पर न आने देने के असफल प्रयास कर रहे थे . इंजीनियरिंग के एक छात्र को तो कंडक्टर से पानी का बोतल लेकर गंगा -ब्रीज के किनारे बैठना ही पड़ गया . इस यात्रा में भांति -भांति के अनुभव हुए . जाम में अपने बस को आगे ले जाने के लिए प्रयास रत अपने उत्साही सहयात्री पर दूसरे बस वाले ने बस चढ़ा देने की असफल कोशिश की , सहयात्री बस का वायपर पकड़कर बचा और वायपर तोड़ डाला . फिर उस बस के दो -तीन स्टाफ उसे देख लेने हमारी बस पर आये . गाली -गलौच और सिफारिशों का धौस शुरू हुआ . बीच में सहयात्री की पत्नी भी दबंगई के साथ आ भीड़ी और उन्होंने ललकारा , ' मैं भी रंगदार खानदान में ही पैदा हुई हूँ .' मामला सुलटा था लेकिन थोड़ी देर के लिए . सहयात्री ने अपने किसी रिश्तेदार एस पी को फोन किया और पटना में पुलिस की सहायता माँगी , चेकपोस्ट पर . उसने कहा कि स्नैचिंग का केस भी ठोक देंगे . यह सब देखते -सुनते पटना पहुंचा . हाजीपुर के गांधी सेतू ( ९ किलो मीटर ) को पार करने में हर दिन ही लोगों को कम से कम चार घंटे लग रहे हैं . बिहार में होना आपको अनेक अनुभवों से संपृक्त कर देता है .. है न ...!


        • Vandana Gupta

          शब्द शब्द झर गया

          कोई अम्बर भर गया

          मेरा ह्रदय गह्वर तो

          बस मौन ही रह गया


        • Mayank Saxena

          मेरे पत्थरों को गुमान है, मेरे हाथ से वो चले नहीं

          मेरे दुश्मनों को ये नाज़ है, कभी वार खाली नहीं गया


        • सुनीता भास्करमहात्मा गाँधी की हत्या के उपरान्त सरदार पटेल ने वह सब किया जो कि आर एस एस के लिए परिस्तिथियों को अनुकूल बनाने के लिए किया जा सकता था.पटेल की ही निगरानी के दौर में मीरबा की छोटी पुरातन मस्जिद जिसे बाबरी मस्जिद भी कहा जाता है, में रहस्यमय ढंग से राम की मूर्तियों को रख दिया गया, जहाँ से ये फिर कभी हटाई नहीं जा सकी..इस तरह कांग्रेस के व्यावहारिक सम्प्रदायवाद ने आर एस एस के सुनियोजित सम्प्रदायवाद का मार्ग प्रशस्त्र किया. .... (बीसवीं सदी की राजनीति में भारत) एक पुराने लेख में एजाज अहमद

        • Rajeev Kumar Pandey

          तुम गिराते रहे हर बार, उठ के चलता रहा हूँ मै ,

          ऐ तूफानों ! अब तो अपनी औकात में रहा करो !!

        • Samvedna Duggal

          सुनो...तुम्हें जवाब नहीं देना तो मत दो ....मेरे प्रश्नों के सिरे ..चूहों की तरह कुतरा मत करो............


          • Shailja Pathak

            जुग जुग जिय तू ललनवा भवनवा क भाग जागल हो ............चलो मान लिया की तुम्हारी जीने से भाग्य जगता है..बाबा पिताजी के बाद तुम मेरे भाई मेरे बेटे ..तुम सबके लिए जीने की दुवायें दिल से ..

            पर हमें मारने के कितने षड्यंत्र ..हमारी इक्छायें बाल्टी के पानी में रेत सी सतह में क्यों ..तुम्हारी पाल वाली नावं ...जो हवा के साथ दिशा बदल दे..तुम जो करो वो सही .हमारे करने के पहले ही तय है की ये गलत ही होगा ...ऐसा क्यों ?तुम्हारे हाथ में ताबिजो में गंडो में बंधी कितनी मनौतियाँ ..हमारे लिए क्रूर योजनायें ..समय ऐसा की लड़की बचाओ का नारा बन गया ..तुम इन्सान बचे रहो तो बचा भी लो बेटी ..

            लड़कियों के लिए बस उस बिचारी चिड़िया वाला गाना ही क्यों जो अपने मन के पंख से उड़ेगी बाबा के आम के पेड़ पर बैठेगी ओर अपने भाई को फलता फूलता देखेगी ....सुपरमैन बना हुवा बैग लड़का ..बार्बी डॉल वाला लड़कियां ऐसा क्यों ?मांगलिक कुंडली वाली लड़कियां ...काले रंग वाली ..कम पढ़ी लिखी ...गरीब ..ये सिर्फ लड़कियां नही हमारी संताने हैं ...

            बड़का जिला के पुराने अस्पताल में जन्मने से पहले मार डालने के बाद जीप में पीछे की सिट पर डाल कर आप अपनी औरत को घर की आग में झोकतें हैं बिना उसके आंसू पोछे की पिछले चार महीने से वो अपने अनदेखे बच्चे से अपना दर्द बाँट कर खुश थी .......पुण्य के इतने त्यौहार ..पाप के कितने कीड़े इन्सान के ही दिमाग में ना..........

            लड़की अपने भैया को धूप से बचाती है ..अपनी इत्ती सी कमर में उसे लाड से उठाती है हाथ का टाफी बाबु खाता है लड़की आँखों से लार गिराती है बाबू की पप्पी लेती है मीठी हो जाती है ..यही लड़की ना ....

              • अनूप शुक्ल

                कोई हमको दस-बीस साल के लिये प्रधानमंत्री बना दे तो हम देश की तस्वीर बदल के धर देंगे । माने बदलने की गारण्टी है सुधारने की नही


              • Anil Saumitra

                मुझे पता नहीं है, किसी मित्र को पता हो तो कृपया जरूर बताएं- क्या मार्क्स की माँ भी छठपूजा करती थी, क्या प्रसाद में अफीम रखा जाता था? अगर नहीं तो कुछ मार्क्सवादी छठपूजा में भी अफीम क्यों ढूंढ लेते हैं? इसे भी मातृसत्तात्मक-पितृसत्तात्मक माइंडसेट से क्यों व्याख्या करते हैं. हमारे लिये छठपूजा माँ और छठी-मैया का आशीर्वाद है, बस!

              • Arun Arora

                कांग्रेस का कहना है सी बी आई समवैधानिक संस्था है .. बस उस रेजोल्यूशन का ड्राफ्ट राहुल जी से गुस्से में फट गया था .


                • Shivam Misra

                  बेचारा 'तोताराम' ... ५० साल की नौकरी के बाद पैंशन का सपना तो टूटा ही मासिक वेतन भी खटाई मे न पड़ जाये ... अब सुप्रीम कोर्ट की शरण मे गए है |


                • Kumud Singh

                  दिल्‍ली मुंबई में नये फैशन की जानकारी चाहे मॉडलों के कैटवाक से हो या कॉलेजों में नये सत्र से, लेकिन मेरे यहां तो आज भी फैशन का नया ट्रंड छठ के घाट पर ही दिखता है। सही में इस जाडे का फैशन दिखाने की परंपरा इस बार भी कायम रही। गुनगुनी ठंड ने सहयोग भी खूब किया।

                • Shirish Chandra Mishra

                  भगवान हो या ना हो सूर्य तो हैं, और वो हैं तो हम हैं, ये जीवन है, ये दुनिया है। छठ पूजा मेरी नजर में बहुत हद तक वैज्ञानिक है, और इस तरह से मेरा सबसे पसंदीदा त्यौहार, और कृतज्ञता एवं महानता बिहार की, देते वक्त सब पूजा करता है लेकिन बिहार जाते समय भी करता है, बांकी बचपन से जो यादें, जो उत्साह जो उल्लास जुडी है इस पर्व से , उसके बारे में क्या कहना उसको तो बस वही समझ सकता है जिसने महसूस किया है!!!:))

                • धीरेन्द्र अस्थाना

                  गेहूँ

                  उगाने में खेत को

                  जरूरत होती है

                  पसीने की बूँदे ,

                  और उस मेहनत को

                  महसूस कराने वाली

                  शब्द वेदना

                  हो सकती है

                  कविता ,

                  जिसे रचा नहीं जा सकता,

                  सिवा महसूस करने के !

                    • Kajal Kumar

                      कि‍सी भी पोस्‍ट में मोदी का नाम लि‍ख भर तो दो

                      वि‍रोधी और समर्थक दोनों ही में जम कर हि‍ट

                        • Shah Nawaz

                          सिर्फ इस तरह के उपदेश देने से काम नहीं चलेगा कि दहेज़ और बारातों का चलन लड़की वालों पर ज़ुल्म है, बल्कि मज़हब के रहनुमाओं को निकाह पढ़ाते समय इस तरह की बातों के होने पर निकाह पढ़ाने से इंकार करने जैसे सख्त़ कदम उठाने पड़ेंगे।

                          तभी जाकर समाज में इनकी हकीक़त रूबरू होगी और जो लोग इसके ख़िलाफ़ हैं वह खुलकर सामने आ पाएंगे। ज़िम्मेदारियों से कब तक बड़ी-बड़ी बातें करके पीछा छुड़ाएंगे???

                            • Ravish Kumar

                              अब पेट फट जायेगा । रिज़र्व बैंक आफ़ लबरा ! लबरा मतलब झूठा । ये क्या होता है । उनके पास एक से एक झूठ है । नया नया । जैसे रिज़र्व बैंक के पास हमेशा नया नोट होता है न वैसे ही रिज़र्व बैंक आफ़ लबरा के पास होता है । उँ जब बोलेगा नया झूठ बोलेगा । नाम ? अब इ तुम मत लिख देना । राजनीति में कौन हो सकता है ।

                              शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2013

                              बतकही ……..

                            • Neeraj Kumar Mishra

                              फेसबुक पर बड़े लोगों की पहचान क्या है पता है आपको , चलिए मैं बताता हूँ आपको:--

                              अपने किसी बेकार पोस्ट पर भी हजारो like और सैकड़ों comments की उम्मीद और दुसरे के अच्छे पोस्ट को भी नज़रअंदाज़ कर देना । फेसबुक पर बड़े लोगो की पहचान है ।

                                • Padm Singh

                                  ये चक्रपाणी महराज कौन हैं .... इनके पास कोई काम धाम नहीं है क्या ?

                                • Shyamal Suman

                                  आँसुओं को पी रहा हूँ

                                  कौन मुझसे पूछता अब किस तरह से जी रहा हूँ

                                  प्यास है पानी के बदले आँसुओं को पी रहा हूँ

                                  जख्म अपनों से मिले फिर दर्द कैसा, क्या कहें

                                  आसमां ही फट गया तो बैठकर के सी रहा हूँ

                                  चाहने वाले हजारों जब तेरे शोहरत के दिन थे

                                  वक्त गर्दिश का पड़ा तो साथ में मैं ही रहा हूँ

                                  बादलों सा नित भटकना अश्क को चुपचाप पीना

                                  याद कर चाहत में तेरी एक दिन मैं भी रहा हूँ

                                  क्या सुमन किस्मत है तेरी आ के मधुकर रूठ जाता

                                  देवता के सिर से गिर के कूप का पानी रहा हूँ

                                  सादर

                                  श्यामल सुमन

                                • निन्दक नियरे राखिये

                                  फैलिन तूफ़ान शाम तक उड़ीसा, आंध्र के तटों तक पहुँचेगा!

                                  तब तक झान्सराम को मीडिया ट्रायल से छुटकारा मिलने के आसार नहीं.


                                • Mani Yagyesh Tripathi

                                  सचिन के सन्यास की खबर से लोग ऐसे दुःखी हो रहे हैं जैसे UPA 3 की सरकार बन गयी हो....

                                • Awesh Tiwari

                                  दिल्ली डायरी -26

                                  अभी थोड़ी देर पहले घर पहुंचा हूँ |दरवाजे पर भीड़ थी ,एक ऑटो उसमे बैठे तीन श्वेतवर्ण विदेशी ,गेट पर दो लड़कियां तीन लड़के ,जिनमे से एक नाइजीरियन और बाकी हिन्दुस्तानी ,सभो मूक और बधिर |मैं अन्दर जाने की जगह न होने की वजह से अपनी गाडी पर बैठा बाहर खड़ा रहा ,इन सबके चेहरे बता रहे थे कि ये विदाई का समय है ,मेरी दरवाजे पर उपस्थिति उन्हें और उनके आंसुओं को परेशान कर रही थी |खैर मैंने इशारे से कहा मुझे घर के भीतर जाने की जल्दी नहीं है |कुछ समय बाद ऑटो बढ़ा और फिर घर में साथियों को छोड़ वापस लौट रहे इन युवाओं ने आंसुओं के साथ मेरे लिए रास्ता छोड़ दिया ,मगर इन सबके बीच वो स्याही के रंग की नाइजीरियन लड़की अभी भी सीढ़ियों पर बैठी है ,न जाने क्यों |दिल्ली में दो तरह के लोग हैं एक वो जिन्हें जाना ही है दूसरे वो जिनकी किस्मत में इन्तजार करना ही लिखा है |

                                  कल गाँव जाने की सोच रहा ,सारी ट्रेने भरी हुई है ,न जाने कैसे जाऊँगा ?समझ नहीं पा रहा |दोस्त नाराज रहते हैं कि फोन नहीं उठाता ,मैं उन्हें कैसे समझाऊं ,फोन से मेरा रिश्ता बहुत खराब है ,अक्सर चार्ज करना ही भूल जाता हूँ |आजकल क्रोध जल्दी आता है सोच रहा हूँ कि सम्यक रहकर हम क्रोध को कम कर सकते हैं ,पर सम्यक रहे क्यों ?


                                • Su Dipti

                                  "कुछ ऐसी भी गुज़री हैं तेरे हिज्र में रातें

                                  दिल दर्द से खाली हो मगर नींद न आए"

                                  फ़िराक़ कुछ ज्यादा ही याद आते हैं। फैज़ और साहिर दोनों से पहले। जब भी भुलाने लगती हूँ खुद को तो फ़िराक़ जैसे आके याद दिला जाते हैं।


                                • श्याम कोरी 'उदय'

                                  वह दिन दूर नहीं, … जब फेसबुक, ब्लॉग, ट्विटर, इत्यादि लोगों की प्रसिद्धि व व्यक्तित्व की पहचान व पैमाने बनें … ???


                                • Harpal Bhatia

                                  अगर आज की युवा पीढ़ि टीवी फिल्मो की गुलाम ना होती तो आज "प्रेम" का सही मतलब "शारीरिक आकर्षण" ना होकर "इंसानियत" होता।feeling शर्मसार


                                • Neeraj Badhwar

                                  जो लोग मनमोहन को शांति का नोबेल मिलने की उम्मीद लगाए बैठें थे, उन्हे पता होना चाहिए नोबेल, शांति के लिए दिया जाना था, सन्नाटे के लिए नहीं।


                                    • Ranjana Singh

                                      महजनेन येन गतः सः पन्था..कु और सु संस्कार ऊपर से नीचे प्रसारित होता है.

                                      क्या लालू या इन जैसों को सजा केवल इस कारण होनी चाहिए कि इन्होंने किसी घोटाले को अंजाम दिया था ?

                                      नहीं...

                                      इन जैसों को कठोरतम दण्ड इसलिए मिलना चाहिए क्योंकि इन्होने पूरी एक संस्कृति को नष्ट भ्रष्ट किया,जिन्होंने यह कल्पना से परे कर दिया कि ईमानदार कभी तरक्की कर सकता है चैन से जी सकता है,बिना घूस दिए कोई सरकारी काम हो सकता है,जघन्यतम अपराध से पहले एक बार ठिठका डरा जा सकता है,हिन्दू मुसलमान ब्राह्मण यादव धोबी दुसाध आदि आदि बन नहीं,एक भारतीय नागरिक बन रहा जिया जा सकता है.

                                      यूँ अपने संविधान में अभी इसकी व्यवस्था नहीं और न ही न्यायलय को यह ज्ञात है कि एक राजा जिसके संरक्षण में अपहरण उद्योग,भ्रष्ट,निरंकुश,अत्याचारी तंत्र फले फूले, अनाचार इतने गहरे पैठ जाए कि वह लोगों का संस्कार बन जाए,उसे कितनी और कैसी सजा देनी चाहिए, इसके लिए जनता को ही आगे बढ़कर यह तय करना होगा कि ऐसे राजाओं/नेताओं का क्या करना है .


                                    • Manoj Abodh

                                      दुर्गाष्‍टमी,महानवमी और विजय दशमी पर सभी मित्रों को ह्रदय से मंगलकामनाएं----

                                      अन्‍तर की शक्तियों को जगाने की रात है ।

                                      श्रद्धा से शीश अपना झुकाने की रात है ।

                                      देकर के अर्घ्‍य अश्रुओं का,हाथ जोड़कर

                                      सच्‍चे ह्रदय से मॉं को मनाने की रात है ।।

                                      -----मनोज अबोध


                                    • Ratan Singh Bhagatpura

                                      दिल्ली में कार चालकों की ड्राइविंग का तरीका देखकर आप आसानी से अनुमान लगा सकते है कि कौन कौन कार चालक बाइक से कार में अपग्रेड हुआ है !!

                                      दरअसल दिल्ली में बाइक सवारी छोड़ कार सवारी में अपग्रेड हुए ज्यादातर लोग बाइक चलाना तो छोड़ देते है पर ट्रेफिक में बाइक इधर उधर कर घुसेड़ने वाली आदत नहीं छोड़ते और कार को ऐसी ऐसी जगह घुसेड़ने लगते है जैसे वे बाइक चलाया करते थे !!


                                    • Amit Kumar Srivastava

                                      'मोबाइल' टॉयलेट में गिर जाए तो निकाल लेना चाहिए या फ्लश कर देना चाहिए !!


                                    • Kamna Tak

                                      तेरी यादों से रोशन हैं ये दुनीयाँ मेरी

                                      हर राह पर उजाला ही नज़र आता हैं

                                    • Options

                                    • Kamna Tak

                                      मन जो चाहे वो हो तो अच्छा ना हो तो बहुत अच्छा क्योकीं मेरा अच्छा भगवान मुझसे बेहतर जानता हैं


                                    • Manisha Pandey

                                      हम इतने मूर्ख भी नहीं कि देश-काल की सीमाओं को न देखें और सिर्फ एक ही बात को आधार बनाकर किसी के पूरे जीवन और काम को रिजेक्‍ट कर दें। जैसेकि मान लीजिए कि अगर उन लेखक की अपनी ही जाति में अरेंज मैरिज हुई थी तो इसे लेकर मैं कोई बिलकुल जजमेंटल नहीं होऊंगी। उस वक्‍त ऐसा ही होता था। वो समय-समाज दूसरा था। आपके विचार जो भी हों, लेकिन आप बहुत कुछ प्रैक्टिस नहीं कर पाते क्‍योंकि वक्‍त उसकी इजाजत नहीं देता। जैसे अभी मेरे ही विचार तो जाने क्‍या-क्‍या हैं, लेकिन मैं सबकुछ प्रैक्टिस कहां करती हूं।

                                      एक उदाहरण तो मेरे घर पर ही है। पापा एकदम भयानक वाले मार्क्‍सवादी थे, लेकिन 1978 में 29 साल की उम्र में शादी उनकी भी अरेंज ही हुई थी और वह भी ब्राम्‍हण लड़की के साथ। मैं कभी-कभी उन्‍हें चिढ़ाती और कभी सीरियसली इस बात पर नाराज होती कि आपने ऐसा किया कैसे। पापा का जवाब सिंपल था - "जिस तरह के सामाजिक-आर्थिक परिवेश से मैं आया था, मेरे आसपास कोई लड़की नहीं थी।" प्रेम तो छोडि़ए, पापा की तो कभी कोई महिला मित्र भी नहीं थी। और ये शादी भी लगभग पकड़कर करवा दी गई थी। उन्‍होंने मां की एक फोटो तक नहीं देखी थी शादी से पहले। हम आज भी पापा को चिढ़ाते हैं, "यू आर सच ए ड्राय मैन। नॉट एट ऑल रोमांटिक। जिंदगी में कभी कोई गर्लफ्रेंड नहीं। धरती पर आपका जीवन व्‍यर्थ है।" साठ साल के बूढ़े अब्‍बा को ये ज्ञान उनकी बेटियां दिया करती हैं।

                                      उनकी अपनी जिंदगी में जो भी हुआ हो, दीगर बात ये है कि अपनी लड़कियों के साथ उन्‍होंने क्‍या किया। आप जरा मेरे घर जाकर कोई दुबेजी, तिवारी जी दूल्‍हा उनकी बेटियों के लिए सजेस्‍ट करके तो आइए और देखिए क्‍या होता है। वो आपको चौराहे तक खदेड़ देंगे। वो कल्‍पना नहीं कर सकते कि हाथ जोड़कर, सिर झुकाकर और माथे पर भगवा साफा बांधकर अपनी बेटियों का कन्‍यादान करें। खुद पंडिताइन से ब्‍याह करने वाले वो ऐसे शख्‍स हैं, जिनसे उनकी बेटियां अपने ब्‍वायफ्रेंड और रिलेशनशिप डिसकस करती हैं। जिन्‍होंने अपनी अस्‍सी साल की बूढ़ी मां के लाख रोने-धोने के बावजूद काम वाली का बर्तन अलग रखने से मना कर दिया, "मेरे घर में ये नहीं चलेगा, आप बेशक इस घर में न रहें।" बुढ़ापे में दादी का धर्म भ्रष्‍ट हुआ सो अलग।

                                      सो इन नट शेल मेरे कहने का अर्थ ये है कि अगर किसी ने सारे प्रगतिशील दावों और लेखन के बावजूद अपनी जिंदगी में कास्‍ट सिस्‍टम को फॉलो किया, बेटे-बेटियों की अपनी जाति में शादी की, दहेज लिया और दहेज दिया, बेटे के चक्‍कर में ढेरों बेटियां पैदा कीं तो ये बात माफी के लायक कतई नहीं है। आप अपनी जिंदगी में नहीं कर पाए, लेकिन अपनी बच्‍चों की जिंदगी में बहुत आसानी से कर सकते थे।

                                      आपने नहीं किया क्‍योंकि दरअसल भीतर से आप बहुत बड़े जातिवादी और मर्दवादी हैं। अंतरजातीय विवाह का समर्थक न होना घोर रिएक्‍शनरी एटीट्यूड है।

                                      नॉट एक्‍सेप्‍टेबल बॉस। ये चलने का नहीं।


                                    • सुनीता भास्कर

                                      खबर है की महारानी एलिजाबेथ दितीय के खाते में मात्र नौ करोड़ 75 लाख रुपल्ली ही रह गये है लिहाजा ब्रिटिश सरकार ने उनकी तन्खवाह में 22 फीसद इजाफे की घोषणा की है..


                                    • Webdunia Hindi

                                      एक व्यक्ति ने टैक्सी ली और ड्रायवर को एक स्थान का नाम बताकर चलने को कहा। जब टैक्सी अपनी रफ्तार से चलने लगी तो पिछली सीट पर सवार व्यक्ति ने कुछ पूछने के लिए ड्रायवर की पीठ पर धीरे से हाथ रखा।

                                      हाथ रखते ही अचानक टैक्सी का संतुलन बिगड़ा और वह लहराने लगी। बड़ी मुश्किल से एक्सीडेंट होते होते बचा। इस पर सवार व्यक्ति बहुत शर्मिन्दा हुआ और ड्रायवर से बोला- माफ कीजिए, मुझे नहीं पता था कि मेरे हाथ रखने से आप इतने विचलित हो जाएंगे।

                                      ड्रायवर- नहीं, आपकी गलती नहीं है। दरअसल टैक्सी चलाने का यह मेरा पहला दिन है। इससे पहले मैं पिछले 17 सालों से मुर्दाघर का वाहन चलाता था। ...


                                    • Poonam Vats Tyagi

                                      प्रिय दीपिका पादुकोण जी,

                                      निवेदन यह है की हमे लगता है की एक

                                      आप ही हैं जो इस देश की जनता को ख़ुशी दे सकती है.

                                      क्यूँ की सबसे पहले आप शाहरुख़खान के साथ फिल्म

                                      बनाये उसके बाद उसकी लगातार कई पिक्चरें पिट गयी

                                      युवराज सिंह की जिंदगी में आई उस वक़्त उसके

                                      करियर की वाट लग गयी थी .....

                                      फिर आप बी एस एन एल में आई ...उस वाक्क्त

                                      बी एस एन एल की भी वाट लग गयी ....

                                      फिरआप किंगफिशर में आई तो खबर आ रही है

                                      की किंग फिशर बर्बाद हो गया है एवं बंद होने

                                      की कगार पर है ....

                                      सो हमारा आपसे अनुरोध हैकी कृपया आप

                                      Congress में शामिल हो जाएँ बड़ी मेहरबानी होगी

                                      आपके जवाब की प्रतीक्षा में समस्त देशवासी.


                                    • Rashmi Nambiar

                                      प्रेम ,

                                      तरल है

                                      पलती है उसमें ,

                                      एहसासों की सुनहरी मछलियाँ !

                                      जब देना होता है प्रेम को आकार

                                      रख देनी होती है

                                      इन मछलियों के मुख में अग्नि

                                      और बहा देना होता है

                                      इन्हें ऐसी जगह

                                      जहाँ का खारापन

                                      दे जाता उन्हें एक नया जीवन !

                                      मुखाग्नि उगली जाती हैं

                                      समुद्र धरातल में, और ;

                                      उठ आती है विशाल लहरें

                                      जो दावानल की भूख लिए

                                      खा जाती हैं किनारे बैठे हर विकल्प को ...

                                      तब ;

                                      हवाएं जान जाती है कि

                                      लहरें उठाना अब उनका काम नहीं

                                      आश्वस्त हो ,खेलने चली जाती है

                                      पहाड़ी की मंदिर में..

                                      एक बार फिर बज उठती है घंटियाँ....

                                      और ;

                                      तुम कहते हो ..........

                                      “आरती का वक़्त हो गया “!!!