आप सभी को ABP News की तरफ से क्रिसमस की शुभकामनाएं..!!
बेचैन आत्मा shared चित्रों का आनंद's photo.
पानी में सीप जइसे प्यासल हर आत्मा
प्यास बुझी कउने जल से ? ...केहू जाने ना।
ओहरे...
सो जा प्यारे नहीं तो ईमानदार आ जाएंगे।
आज मिल गए हौजखास चौराहे से पहले की लालबत्ती पर अजहर और आलिया ,एक के पैर में स्टील के जूते तो एक के पास दो बैसाखियाँ ,दोनों अपने कई पहियों वाले स्कूटर पर |भीड़ में तेजी से नई इनफिल्ड से आगे बढ़ रहे एक लड़के ने पटरी से थोडा आगे खड़े एक बच्चे को जैसे ही धक्का मारा ,अजहर तेजी से चिलाया अब्बे साले रुक तो ..आवाज का जोर देखने लायक था ,खैर बच्चे को चोट नहीं आयी ,अजहर की आवाज ने थोडा काम किया आगे खड़े ट्रेफिक पुलिस वाले ने बाकी बचा काम पूरा कर दिया गया |बड़ा शहर कमजोर और ताकतवर का फासला कम कर देता है |
खुद को ताउम्र सहन करना
बने रहना ख़ुद के साथ हमेशा
कभी खुद को भूला न पाए
कभी खुद की याद न आये
अपने को खोजना दरअसल घुप्प अँधेरे में सुई खोजने नहीं
वो है अँधेरा खोजना
अपना होना बाकी सब की अनुपस्थिति मात्र है
इससे अधिक कुछ नहीं
इतना सा भी नहीं
कान बंद करके सुना जा सकता है जिसे
आँख बंद करके देखा जा सकता है उसे
महसूस किया जा सकता है जिसका स्पर्श
सारी सम्वेदनाओं को नकार के
असत्य है ये कथन कि मैं उदास हूँ
मैं खुद को खुद ही उदास करता हूँ,
मेरे पास मेरा कोई विकल्प नहीं
मृत्य भी नहीं
आत्महत्या करना भी खुद की उम्मीद करना ही है
अपने को स्वीकारना.
कुछ लिखने या कहने से अधिक बड़ी अभिव्यक्ति
रोना और चार सौ कविताएँ पढना
अन्यथा कुछ भी तो न पढ़ता
और अगर पढ़ता तो
कोई कविता अधूरी पढ़े बिना नहीं छोड़ता
और जब मैं अपने को जानने के बावज़ूद
प्रेम कर सकता हूँ अपने से
तो कोई कारण नहीं कि फिर मैं किसी और से प्रेम न करूं.
बाकी सब तो फिर भी अपेक्षाकृत कम 'मैं' हैं.
जहाँ तक मुझे याद है लगभग 30 वर्ष पहले के दिनों में घर में एक अदद कमबख्त टेलीफोन की डायरेक्टरी होना एक अच्छा खासा स्टेटस सिम्बल हुआ करता था चाहे घर में किसी को देखनी आये या न आये.....इतनी हिमाकत की डायरेक्टरी में अपना या अपने बापू का नाम देख कर मेट्रिक की मेरिट लिस्ट वाली सूची भी छोटी दिखती थी......इस विषय पर कल विस्तार से लिखूंगा.....अपने यादों के झरोंखों से कुछ इसमें दराज करवाना हो तो बतायेगा।
आज कोहरा कम है। माल गाड़ियां कुछ ठीक चलने की सम्भावना है। गाना गुनगुनाने का मन हो रहा है।
वर्ना आई-बकुली हेराई हुई थी!
खुदा हमको ऐसी खुदाई न दे कि अपने सिवा कुछ दिखाई न दे
बीती रात लाल टोपी वाला बाबा मेरे तकिये के पास बड़ा क़ीमती तोहफ़ा रख गया. इस तोहफ़े को 'सबक' कहते हैं.
माँ ने कहा - "ब्रह्म मुहूर्त में मिला सबक तेरे जीवन के युद्ध का ब्रह्मास्त्र बने, बाबुषा ! "
कल मेरी 'बड़ी रात' थी. आज मेरा 'बड़ा दिन' है.
[25 दिसम्बर, 13 की डायरी]
बहुत सर्दी है
मखमल के पुराने शाल में
इया अपने को लपेटती
लिपट जाती कम्बखत बेटे की याद
बुझती बोरसी की आग
फिर से सुलग जाती
इया कोई गीत गुनगुनाती
दूर निर्जन रास्तों पर
दौड़ते पैरों के निशाँ है
फिर भागता शहर भी है आगे
एक दस्तक की आस में इया
बार बार बंद सांकल खोलती
उदासी बंद हो जाती
उनकी चुनौटी की डिबिया में
सफेदी बनकर
दर्द बेजुबान होता है इया
लाल बोरसी के करीब रखी हथेलियाँ
अब नही जलती
फफोले सखत पर्दों में है .....
लोकप्रियता की खातिर अपने सिद्धांत न बेचें वरना आप पूरी तरह से दिवालिया हो जाएंगें !!!
कुछ लोगों के रिव्यु से मैं इस निष्कर्ष पर आई हूँ कि कुछेक लोग दिमाग से फ़िल्म या जीवन को नहीं देखते, गन्दगी को वे घृणित भाव से नहीं देखते - अचानक मुझे ऐसे लोगों में दिलचस्पी हुई … दिलचस्पी यानि अच्छा लगा कि ये ज़िन्दगी को कितने समभाव से हाहाहाहाहा करके गुजार लेते हैं - प्रॉब्लम तो तब होगी न जब दिमाग लगाया जाए और उसे सॉल्व करने के लिए अपनी जगह से उठा जाये !!!
दामन पे न कोई छींटे,न खंजर पे कोई दाग फ़राज़ !!!!
तुम क़त्ल करते हो , या कि करामात करते हो ?????
मौत के साथ आशिकी होगी,
अब मुकम्मल ये जिंदगी होगी,
उम्र का ये पड़ाव अंतिम है,
सांस कोई भी आखिरी होगी,
आज छोड़ेगा दर्द भी दामन,
आज हासिल मुझे ख़ुशी होगी,
नीर नैनों में मत खुदा देना,
सब्र होगा अगर हँसी होगी,
आखिरी वक्त है अमावस का,
जल्द हर रात चाँदनी होगी.
भूख ही सबसे बड़ा धर्म है, सबसे बड़ा देवता है
कलीमुद्दीन तो भूख की भट्ठी में
खाक हो गया था
..............................नागार्जुन
कौन कहता है आसमाँ पर छेद नहीँ होता
ओजोन परत को एक दफा देख तो लो यारोँ
:))
आपकी इस ब्लॉग-प्रस्तुति को हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ कड़ियाँ (26 दिसंबर, 2013) में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,,सादर …. आभार।।
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