चेहरे जो बयां करते हैं
मेरी आदत खराब है...
मैं कमेन्ट करते वक्त जब भी कभी कई शे'र लिखता हूँ, तो शायर का नाम नहीं लिखता...
वज़ह ये कि कई मर्तबा शे'र याद होता है - पर शायर का नाम नहीं...
और दूसरी वज़ह ये कि मुझे अपनी बात कहना होती है...
.सबसे ज़रूरी बात ये कि मेरी शायरी तो तमाम शायरों की हीरों सी चमकती शायरी के बीच कोयले सी अलग ही दिखाई दे जाती है... इसलिए अपने शे'र (?) में भी अपना नाम नहीं लिखता!!
अरसा हुआ ,हिचकी नहीं आई ।
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इस जहां की नहीं हैं तुम्हारी आंखें ............... (मने कुछ एलियन टाइप का मामला है का?)
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समागम में जाने की जहमत उठाने के बजाय सीधे टीवी देखते रहने से कृपा आनी शुरु हो जाती है..अब भी अलग से ये बताने की जरुरत है कि टेलीविजन पाखंड और अंधविश्वास की वर्कशॉप चलाने का काम करता है.
मैं जगा-जगा सोता था.....
मेरी पलकों पर
तुम, करवटें बदलती थी,
मैं जहाँ कहीं होता था,
तुम्हारी सांस,
मेरी
सांसों में, चलती थी......
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हाल सुमन बेहाल है, किसको कहें कलेश।
दत्तक बेटा रो रहा, माता गयीं विदेश।।
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रात का आखिरी पहर है .... शायद सुबह होने को है .... कभी सुना था ... रात का ढलना उसकी नियति है ...!
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गरज-बरस प्यासी धरती पर....
आहा! एक हफ्ते की तेज गर्मी के बाद बारिश.. भीगने का मन हो रहा है।
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शेर को तुम्हारे करीब आने दो। जैसे ही वह तुम्हारे करीब आ जाए, उसे पकड़ लो!
शेर का तब तक पीछा करो, जब तक कि वह थक न जाए। जैसे ही वह थक जाए, उसे पकड़ लो!
भारतीय मीडिया का तरीकाबिल्ली को पकड़ो और उसे तब तक न्यूज में दिखाते रहो , जब तक कि वह देखने वाले तंग होकर उसे शेर ना मान ले !
बताइये भला?
चोर फाइलें लौटाने की सोच भी रहा हो तो बड़े आदमी की इतनी बड़ी धमकी के बाद कैसे लौटाये? लौटा कर मरना है क्या?
कोयला आवंटन घोटाले से जुड़ी महत्वपूर्ण फाइलों के गायब होने के मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज राज्यसभा में कहा कि सरकार कुछ नहीं छिपा रही. अगर किसी ने फाइलें गायब की हैं तो उन्हें सजा मिलेगी.
मिसाइल सीरिया की तरफ जाती है और शेयर बाजार धराशायी हो जाता है ! ये चक्कर क्या है ?
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हमारे एक जानने वाले है , थोडा सा बाबा लोगों में और ज्यादा बाबागिरी में भरोसा है उन्हें l पिछले कुछ दिनों से बडे परेसान से है , जिस बाबा की शरण में जाते है उसी बाबा की पोल खुल जाती हैं .... मने पिछले एक साल से तीन तस्वीरें बदल चुकी हैं उनके पूजा घर में l सोच रहीं हूँ कल जाकर पता करूँ कि अब किस बाबा का नंबर है वैसे बता दूँ पिछली बार आसाराम की फोटू देखा था और इस पर थोडा शास्त्रार्थ भी हो गया था
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महत्वाकांक्षा का मोती निष्ठुरता की सीपी में पलता है ....... हमने तो पढ़ा था ; डी डी वंजारा साहेब ने नहीं पढ़ा शायद !
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VK Boss
चलो जानू अब ..........झगड़ा खत्म भी करो !
झाड़ू पोचा मेने कर दिया पानी अब तुम भरो !!
आजकल हरेक टीवी चेनल पर फटाफट खबरों जैसे 30 सेकंड मे 100खबरे,200खबरे आदि का प्रसारण सुनकरयेसा लगता है की ये न्यूज़ वाले दर्शको को नादान समझते है।समाचारके एक वाक्य= एकखबर प्रसारण ऐसा की सरदर्द हो जाए। क्या यह उचित है?
प्यार प्यार तो सब कहते हैं करता कोई नहीं
मरता मरता सब कहते हैं मरता कोई नहीं ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मधु गुप्ता ,,,,,
खूबसूरत थी जिन्दगी जब हाथो में हाथ था तुम्हारा
खूबसूरत थी जिंदगी जब प्यार भरा साथ था तुम्हारा
दे कर दर्द कहाँ चले गए हमे अपनी यादों में छोड़ के
पाते है हम चैन औ सुकून ख्याल आता है जब तुम्हारा
रेखा जोशी
Prashant Priyadarshi
आओ चलो तारों का क़त्ल कर कुछ दुआ मांगते हैं!!!
Bs Pabla
घरेलू और वैश्विक समस्यायों को 'रि-सेट' करने के लिए एक विश्वयापी युद्ध तो अवश्यंभावी लग रहा
पाकिस्तान प्रधानमंत्री को ISI चलाती है,
अमरीकी राष्ट्रपति को कौन .... (?)
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साधू को नारी से निश्चित दूरी बना कर रहना चाहिए। वह चाहे बहन हो, माँ हो, बेटी हो या फिर पोती। नीयत का क्या है! कभी भी डोल सकता है।
...हरि ओम बोलना पड़ेगा। कानून को मानना पड़ेगा।
"असत्यमेव लभते" - "याss बेईमानी तेरा आसरा" - वाले आखिर कब तक झूठमूठ का "सत्यमेव जयते" का नकाब लगा कर रखते ?नकाब की जिन्दगी की भी कोई मियाद होती है या नहीं ?नकाब पुराना होने पर सड़ कर बदबू तो मारेगा ही और फिर सड़े गले नकाब से बीमारी होने के पहले उसे उतार फेंकना बिलकुल समझदारी का काम है |
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वो बोली की मीठी गोलियों के व्यापारी हमें सतरंगी गोलियाँ पकड़ाते हैं और हम उसे चूसते मगनमन उन तमाम दो कौड़ी के बाबाओं, नेताओं को बिना उनका चरित्र परखे अपना हीरो, अपना भाग्यविधाता बना सैकड़ों हजारों करोड़ का स्वामी बना देते हैं..
और मिडिया,, उसके लिए तो दोनों ही हाल में खेल मुनाफे का है.नाम/ब्राण्ड बना उसे भी भुनाती है और फिर बदनाम बना उससे कमा लेती है..और अंततः इन तमाम फ़ाइव स्टार फादरों,इमामों, बाबाओं ने जो विस्तृत अंधभक्त साम्राज्य खड़ा किया है,उसका उपयोग बड़ी ही सरलता से राजनेता अपने व्यक्तिगत हित साधना के लिए करते हैं..
दूर-दूर और
सब कुछ दूर
होते-होते
हो गया इंसान
खुद से दूर
अब कितना होगा दूर
देखते रहिये
पहले घर-परिवार
गाँव-जवार
अंचल-क़स्बा
नगर-बाज़ार
अपने निजी रिश्ते-नाते से ...
बचा क्या..?
केवल...
...बातें बेवजह...बेचैन दिल-दिमाग का हाल...
डॉ.सुनीता
लगता तो नहीं है कि उनकी या उन-जैसे धर्मोपदेशकों का "आध्यात्मिक स्तर" ऊँचा उठा हुआ है- मुझे तो ये लोग बहुत ही मामूली लगते हैं- आध्यात्मिकता के नजरिये से... पता नहीं लोगों को इनमें क्या खासियत नजर आती है कि इनके पीछे भागते रहते हैं...
तभी अभी अभी हिचकी आई ,आपने जो याद किया और यहाँ सहेज लिया , आभार अजय जी ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अमित भाई
हटाएंवाह। हम भी हैं।
जवाब देंहटाएंवाह! बड़ा मजेदार पृष्ठ बनाया है.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सुभाष जी
हटाएंयह जबरदस्त आइडिया है आपका.
जवाब देंहटाएं- Subhash Sharma/ निंदक नियरे राखिये.
टिप्पणी देने और प्रोत्साहन केल इए आपका आभार
हटाएंकलम की धार में बाकी चुभन है !
जवाब देंहटाएंशुक्रिया प्रतिभा जी
हटाएंबहुत खूब ! बधाई स्वीकार करें !
जवाब देंहटाएंहिंदी
फोरम एग्रीगेटर पर करिए अपने ब्लॉग का प्रचार !
शुक्रिया राजेश जी
हटाएंआप भी ना अजय बाबू, कमाल करते हैं!! कमालो ऐसन कि धन्यबाद कहने में भी नहीं बनता है!! जीते रहिये भाई!!
जवाब देंहटाएंआप धन्यवाद मत कहा करिए सर , खाली आशीर्वाद दीजीए और स्नेह बनाए रखिए । यही मेरी उर्जा को बनाए रखता है
हटाएंशुक्रिया हर्ष :)
जवाब देंहटाएंफेसबुक का तापमान यहां पर मिल गया।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया प्रवीण भाई
हटाएंगज्ज़ब.....लाजवाब !!!!
जवाब देंहटाएंचुन चुन कर समेट लिया और बताया भी नहीं ...
आभार और आशीर्वाद, दोनों ही बनता है :)
:) :) । स्नेह और आशीष , यही तो मेरी उर्जा है दीदी । बनाए रखिएगा
हटाएंshaandar..
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