Followers

गुरुवार, 28 मार्च 2013

फ़ेसबुकिया फ़ागुन

 

 

ताऊ टीवी चैनल से ताऊ जी से मिला होली का पिरसाद …..ग्रहण करिए

पिछले कुछ सालों में होली के आसपास लकडी पानी बचाने का घनघोर नारा लगाने का रिवाज़ चल निकला है , तो इसका भी तोड है न म्हारे फ़ोडू के पास , देखिए हमारे सूरमाओं ने होली पे हो हल्ला मचा के रख दिया है ..झेलिए इस फ़ेसबुकिया फ़ागुन को …………….

  
  • DrKavita Vachaknavee
    रंगों से खेले लगभग 15 वर्ष हो गए.... और चाह कर भी खेलना संभव नहीं। यहाँ तो अभी कल व परसों भी हिमपात का दिन है।
    होली आप सब के जीवन में अनन्त खुशियों के रंग भरे।
    अपने मित्रों परिजनों के साथ आप सौ बरस और रंग खेलें और आप पर बीस-पचास रंग हर बरस डलते रहें ... :) रंग भरी शुभकामनाएँ
      
  • Mridula Shukla
    सुबह से होली की धूम रही
    हम एक दुसरे के गालों पर लगा कर
    काले, हरे ,सियाह रंग
    एक दुसरे के चेहरों को कर बदरंग
    नाचते रहे ढोलकी की थाप पर
    ढोलकी भी गाता रहा
    "चिपका ले सैयां फेविकोल से "
    और बेचारा फाग
    दूर उदास खड़ा हमें देखता रहा
    मैंने बात की तो कहने लगा .......................
    अफ़सोस करूँ ये की मुझे भूल गए सब
    या यूँ कहूं की लोग मुझे जानते नहीं
    फाग .....(फागुन मैं होली पर गाया जाने एक विशेष गीत )
    मृदुला
      
  • अजय कुमार झा
    पी के भांग , खा के पुआ , इससे पहिले कि हम हो जाएं लमलेट , और हो जाए लेट,
    आप सबको होली ही रंगारंग मुबारकबाद है हो , अब चाहे घोलट जाए इंटरनेट ,
    साला पिछली तीन दिन से नाटक पसारे हुए ससुरा ..........
      
  • देवेन्द्र बेचैन आत्मा
    होली खेलकर आये तो देखा फेसबुक इतना धीमा चल रहा है कि एक फोटो लोड करने मे आधा घंटा लग जा रहा है। बोर हो गये अपन तो..:(
      
  • Sangita Puri
    बिहार और झारखंड में नॉनवेज खाने की होली आज है .. पूए और मिठाई खाने की कल
  • Anup Shukla
    "रंग बरसे भीगे चुनर वाली" इतने दिनों से बज रहा है कि सही में ऐसा होता तो गोरी को डबल निमोनिया हो गया होता। :)
       
          • Vandana Singh
            एक बर्फीली परत हट जाए तो नव निर्माण या नव सृजन की सम्भावना अवश्यम्भावी है ।
            क्या सचमुच....?
            शायद होली का उत्सव ऐसी संभावनाओं का आधार है... जिसमें संभावनाओं और संबंधों की पुनर्स्थापना और नव स्थापना के साथ साथ स्वय पर आच्छादित हिम आवरण को त्याग कर एक संतुलन और तादात्म्य स्थापित किया जा सकता है । जीवन में रंग भरे जा सकते हैं ।
            रंगोत्सव की अशेष शुभकामनाएं.....
              
      • Chandi Dutt Shukla
        तमाम शोर, हुल्लड़, उल्लास और जोश के बीच उदासी कहीं दूर नहीं जाती। नीचे की ओर मुंह धंसाकर दिल के किसी कोने में कैद भर हो जाती है। जैसे ही, बैठे, अकेले - यादें, तनहाई और उदासी ख़तरनाक तरीके से तलवारें घुमाते आ जाते हैं, कतरा-कतरा चीरने :(
              •   
                Pramod Mishra
                नशेड़ियो आज 28 तारीख की सुबह हो गई होली गई अब तो होश में आ जाओ
                 
      • DrArvind Mishra
        होली के फुटकर संस्मरण
        बात अंतर्जाल युग की ही है। मौसम भी कुछ ऐसा ही खुशनुमा था . एक शहर में कुछ काम था -पहुंचा तो मित्रों ने एक गेट टुगेदर रख लिया . कई उपस्थित हुए मगर किसी की अनुपस्थिति प्रमुख बन गयी .उनका कहना था कि उन्हें लोगों की भीड़ में मिलना पसंद नहीं ....बात आयी गयी हो गयी -फिर बहारे आयीं तो मैं अकेला उसी शहर पहुंचा . वे तब भी नहीं आयीं -फिर बात आयी गयी हुई . काफी बाद में उनसे मैंने पूछा क्या इतना विश्वास नहीं है मुझ पर तो बताया कि नहीं मुझ पर तो पूरा विश्वास है मगर उन्हें खुद पर ही भरोसा नहीं था -कहीं भटक जातीं तो ? लीजिये अब इस बात का भी कोई जवाब है ! :-) इस तरह एक फलसफे का अंत हो गया! :-)

        रविवार, 24 मार्च 2013

        किताबें बहुत पढी होंगी तुमने ,कभी कोई चेहरा भी तुमने पढा है



        सोचता हूं कि इस  कंप्यूटर और उस पर उपलब्ध इन मंचों ने हमें खुद को अभिव्यक्त करने का न सिर्फ़ मौका दिया है बल्कि उन्हें व्यक्त करने के अलग अलग अंदाज़ भी दिए हैं । फ़ेसबुक पर हम स्टेटस और फ़ोटो भी भुकभुक कर देते हैं , ट्विट्ट एक चालीस की लोकल कट्टर है , लिंकदीन अलादीन का भाई है और , एक नयका आया है न क्या तो नाम है ससुरे का..छोडिए जो भी है , तो इन सब भी अपना अलग अलग आनंद है । ब्लॉगिंग का अलग और फ़ेसबुक का अलग ..जब फ़ेसबुक पर हम अपने तमाम ब्लॉग्स और पोस्ट को साझा कर सकते हैं तो फ़िर ब्लॉग्स पर फ़ेसबुक को क्यों नहीं , बस यही सोच कर इस ठिकाने को बना लिया । चलिए अब आपको दिखाते पढाते हैं कि फ़गुआ से पहले कौन क्या कह सुन रहा है ....


        रंगरेज़ मेरे तू रंग दे ...
        हाँ एक रंग में रंग दे ..
        सब प्रेम रंग में रंग दे ...
        --
        होली है ....

         
        जिसको पाया ही नहीं..उसको खोने से क्या डरना
         
         
        ये मैच ढाई दिन मे खत्म हो गया अगर बाकी बचे ढाई दिन में एक और मैच खेल लिया जाए तो आस्ट्रलिया चार मैचों की सीरीज पांच शून्य से भी हार सकता है।
         
         
        • हिंदी टप्पा
          ======
          उद्घाटन की पड़ी आजकल,.....उनको ऐसी चाट।
          बीवी की चोटी का फीता, कभी कभी-कभी दें काट॥
          कि मैं कोई झूठ बोलया? कि मैं कोई कुफर तोलिया?
          कोई... न!! भाई कोई न...!! भाई कोई न...!!
          ============
          सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

         


        अजीबोगरीब स्थिति हो गयी है मेरी ,अभी देखहरू बन कर एक जने के यहाँ जाना है लड़का पसंद करने ,जबकि ये सब काम मुझे बेहद नापसंद है ,बहुत जरुरी है विवाह का अधिकार परिजनों के हाँथ से निकलकर लड़के -लड़कियों के हाँथ में चला जाए ,सारी टीटीमेबाजी तो ख़त्म होगी ही ,विवाह से जुडी विसंगतियां भी दक्खिन लग जाएँगी |
         

         

        मंज़िल जरा भी दूर नही थी उस निशान से,
        थक के गिरा था जहाँ परिन्दा उड़ान से,
        बारिश की दुआ इसलिए मैं माँगता नही कि-
        दरिया बहुत क़रीब है मेरे मकान से,
         
         
        जोली एल एल बी .....सच्चाई को दिखाती मूवी .....पास है जी पास
         

         

         

         

        अभी अभी एक मित्र ने बताया कि इटली ने दोनों नौसैनिकों को इसलिए वापस भेजा क्योंकि भारत की तरफ से धमकी दी गई थी कि अगर दोनों को तुरंत वापस नहीं भेजा गया तो भारत काटजू और बेनी प्रसाद वर्मा को वहां भेज रहा है ।इटली इतना बड़ा जोखिम लेने की स्थिति में नहीं था :-) :-)
         

         

         
        दिग्विजय सिंह का कहना है कि 33 साल के संजय ने जब अपराध किया तब वो बच्चे थे। मैं सोचता हूं राहुल गांधी ने किस हद तक बच्चों की परिभाषा बदल दी है।

        होली हो या दिवाली
        बढाती है हमारी ही जिम्मेदारी ,
        सब कुछ हो चाहे बंद
        हमारी वर्कशॉप (रसोई) में
        बढ़ जाती है कलाकारी .
        प्रोडक्शन और सप्लाई

        ओवर टाइम भी शुरू हो जाता .

        बदले में कुछ नहीं चाहिए ,

        सबको होली की शुभकामनाएं !

         
         
        • मैं सोना चाहता हूँ।
          ऐसी नींद जो आगोश में भर ले मुझे
          दीन-दुनिया की खबर हो ना मुझे,
          आँख से हर ख़्वाब खोना चाहता हूँ
          मैं सोना चाहता हूँ,मैं खोना चाहता हूँ।।

        •  
           

           

           

          ऐसा तो कही नही होता है
          उल्फत में एक ही रोता है
           हर हाल में इंसा सिसकेगा
          गर दर्द उसका इकलौता है

         
        लगभग एक साल से साइट पर लिखते रहने के बावजूद अभी तक ब्लॉग पर लिखने मोह बना हुआ है , मैंने ब्लॉग्स पर लिखना बिल्कुल बंद कर दिया था और तमाम ब्लॉग्स को भी रिडायरेक्ट करके साइट की तरफ़ मोड दिया गया था , किंतु पिछले दिनों से महसूस हो रहा है कि उस दुनिया को यूं छोडना ठीक नहीं है , जल्दी ही सभी ब्लॉग्स को पुन: सक्रिय करके वापसी करने का विचार बना रहा हूं और उससे भी ज्यादा ब्लॉग्स को पढने और उन पर टीपने की आदत को मांजने की भी ...ब्लॉगिंग जिंदाबाद , ब्लॉगर जिंदाबाद , ब्लॉग्स जिंदाबाद ।