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बुधवार, 17 सितंबर 2014

तुम्हारा चेहरा मैं रोज़ पढता हूं ………….

 

    फ़ेसबुक पर साथी दोस्त मित्र सक्रिय रहते हैं , अपने अपने मिज़ाज़ और अपने अपने अंदाज़ में , दोस्तों को पढने का भी अपना ही एक मज़ा है और फ़िर इसे तो मुखपुस्तक कहा जाता है , तो मैं इन चेहरों को रोज़ पढता हूं और उनमें से कुछ चुनिंदा को यहां इस कोने पर सहेज़ लेता हूं , देखिए आप भी इन दिलचस्प अभिव्यक्तियों को …………

    अर्चना चावजी

    ये बनाया Jyotsana Shekhawat मेडम ने ....

    ये बनाया Jyotsana Shekhawat मेडम  ने ....

     

     

    Geeta Shree

    ना मैं सपना हूं ना कोई राज हूं,

    एक दर्द भरी आवाज हूं..."

    -दुश्मन हैं हजारो यहां जान के,

    जरा मिलना नजर पहचान के..

    कई रुप में है कातिल..."

    बताइए किस गाने का अंतरा है??

     

        Ranjana Singh

        भैंसिया को चाहे केतनो रगड़ के गमकौआ साबुन सैम्पू से नहलाके, एसनो पौडर काजल लाली लगाके एकदम साफ़ झकाझक संगमरमर के फर्श पर बैठाय दो, छूटते ही वो कादो कीचड में लोटांने निकल जाएगी।

        जय हो लोकतंत्रीय भैंस/मतदाता की(स्पेशली फ्रॉम उत्त पदेस) !!!

         

         

        Anjule Elujna

        मौसम बदल गए तो जमाने बदल गए,

        लम्हों में दोस्त बरसों पुराने बदल गए।

        दिन भर जो रहे मेरी मोहब्बत की छांव में,

        वो लोग धूप ढलते ही ठिकाने बदल गए।

        कल जिनके लफ्ज-लफ्ज में चाहत थी, प्यार था,

        लो आज उन लबों के तराने बदल गए।

        एक शख्स क्या गया मेरा शहर छोड़ के,

        जीने के सारे ढंग पुराने बदल गए।

        अब वो न वो रहा है, ना मैं ही मैं रहा,

        सारे ही जिंदगी के फसाने बदल गए।

        - अज्ञात

        (शायर का नाम पता हो तो कमेंट बॉक्स में बताते जाईयेगा)

         

         

        Anshu Mali Rastogi

        जिनपिंग ने मोदी से इच्छा जाहिर की है, एक बार वे भी Comedy Nights with Kapil में जाना चाहते हैं।

         

         

        Anju Choudhary feeling crazy

        तैरते तिनके झुलाती धार है

        डूबता कंकड़ बहुत लाचार है

        अमीरों और सौन्दर्य की दुनिया में

        क्यों लगता है यारों बाकि सब बेकार हैं

        ******:)

        एवें ही एक ख़याल दिमाग का (मैं तो ऐसी ही हूँ :P)

         

         

        Anulata Raj Nair

        बुन रही हूँ ज़िन्दगी

        कि दुःख का ताना और सुख का बाना है

        तागे टूट टूट जाते हैं...

        ताने बाने एक से हों

        तब न मुकम्मल हो कताई !

        ~अनुलता ~

         

         

        Chandidutt Shukla Sagar

        - अगर भाषा की बाजीगरी ही सब कुछ होती तो निर्मल वर्मा यकीनन प्रेमचंद और मंटो से बड़े रचयिता होते। इसका मतलब ये नहीं कि निर्मल अच्छे लेखक नहीं हैं, लेकिन उनकी ताकत अलग तरीके की है और लिखने-पढ़ने के इलाके भी हैं ज़ुदा!

        - कहना ज़रूरी नहीं होता। कभी-कभी सिर्फ दिखा भर देने से बहुत कुछ कहना मुमकिन हो जाता है।

        - हम अपने समय पर गहरी नज़र रखें और उसे लिख पाएं तो वह लिखना सार्थक है।

        - नए नज़रिए के बिना कुछ भी लिखना खुद को ही दोहराने जैसा है...

        __________ हां, मुंबई में भागती लोकल के बीच भी ऐसी बातचीत मुमकिन है !

         

         

        Isht Deo Sankrityaayan

        मोदी जी उधर सौ सैनिक घिरे हुए हैं और इधर आप प्रोटोकॉल तोड़ने जा रहे हैं. यानी आप फिर उसी रीति-नीति पर आ गए. पहले 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' फिर तिब्बत और 62 का मामला. मने ई पटेल की धरती से नेहरू........ क्या ज़रूरत थी यार!

         

         

        Santosh Jha

        अरे भाई श्री राजनाथ सिंह जी को लव जिहाद का मतलब समझ में आया की नहीं ?

         

         

        Pramod Mishra

        --------

        कौन हे अपना कौन पराया देखा सब संसार

        वक्त आये बुरा तो पड़ोसन भी देती हे मार !!

         

         

        सतीश आहुजा

        दरअसल चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग बस यह खुलासा करने भारत आए हैं कि........

        .

        असल में भारत में चाइनीज़ फ़ूड की लॉरियों पर जो बन्दे चाऊमीन बना रहे हैं उनमें से 99% नेपाली हैं, चीनी नहीं

         

         

        आचार्य रामपलट दास

        इधर देखना फिर उधर देखना

        मेरी छत सुबह दोपहर देखना

        दिखाना कि यों जैसे देखा न हो

        झुकाकर तुम्हारा नज़र देखना

         

         

        हंसराज सुज्ञ feeling चिंतन

        (10) बुद्धि अंतर........

        नकारात्मक वाणी :-

        यह उचित अवसर नहीं, जिसका मुझे इंतज़ार है।

        सकारात्मक वाणी :-

        यही वो अवसर है जिसे मैं अनुकूल बना सकता हूँ।

         

         

        ब्रजभूषण झा

        इश्क लडाने या करने के लिये लडकियों की कमी नहीं है, लेकिन ये ज़रूरी नहीं कि जो लडकी तुमसे इश्क करे वह शादी भी करेगी. इश्क का तअल्लुक दिलों से होता है और शादी का तनखाहों से. जैसी तनखाह होगी वैसी बीवी मिलेगी..

        डा. राही मासूम रज़ा

        (टोपी शुक्ला से...)

         

        Shahnawaz Siddiqui

        उप-चुनाव के 'नतीजों' को 'अच्छे दिनों' से जोड़ कर नहीं देखना चाहिए... ज़रूरी तो नहीं कि हवा हमेशा सुखद ही लगे!

         

         

        वसुन्धरा पाण्डेय

        रिश्ते जिंदगी के साथ-साथ नहीं चलते....

        रिश्ते एक बार बनते हैं फिर जिंदगी साथ चलती है .. .. !

         

         

        Rekha Joshi

        मत कर तू अभिमान बंदे जीवन है छलावा

        करनी अपनी छुपा कर मत करना तुम दिखावा

        जीवन में जैसा करे गा वैसा ही भरे गा

        पाये सब कर्मो का फल काहे का पछतावा

        रेखा जोशी

         

         

         

        Sagar Suman

        खनक उठती उमीदो की मुझे अब भी सताती है

        मेरे खेतों को बारिश भी यहाँ अक्सर रुलाती है

        यहाँ होती सहर फांको बता दो वक़्त की रोटी

        तुम्हे देखे बिना हमको नहीं अब नींद आती है

         

         

         

        मनीष के झा

        बहुत हो गयी दूसरों की नौकरी अब तो गावं वापस लौटकर किसान बन जाने का दिल करता है

         

         

        Nand Lal

        कल के चुनाव परिणाम के बाद प्रकाश झा की फ़िल्म चक्रव्यूह फ़िल्म का यह गाना बार- बार होठो पर मचल रहा है जिसे जनता की प्रतिक्रिया कह सक्ते है । क्रिया की प्रतिक्रिया को ही गुजरात माडल कहते है " भइया देख लिया है बहुत तेरी सरदारी रे , अब तो अपनी बारी रे न्। महंगाई की महामारी ने हमरा भट्ठा बिठा दिया , चले हटाने गरीबी, गरीबो को हटा दिया , शर्बत की तरह देश को गटका है गटागट-आम आदमी की जेब हो गयी है सफ़ाचट । बिड़ला हो या टाटा , अम्बानी को या बाटा , अपने-अपने चक्कर में देश को है बाटा, हमरे ही खून से इनका ईंजन, चले है धक्काधक , अब तो नही चलेगी तेरी ये रंगदारी रे , अब तो हमरी बारी रे न" और गोरख पाण्डेय का वो मशहूर अभियान गीत जिसे" इंडियन ओसन " पाप ग्रुप ने भी गया " जनता के चले पलटनिया , हिलेले झकह्जोर दुनिया" पर यार इस देश की जनता क्या वाकई इतनी नाराज है , मोदी जी से जनम दिन की खुशी छीन ली । अब किस मुह से चीनी राषट्रपति का स्वागत करेंगे और किस कलेजे से अमेरिका में भाषण देंगे ।

         

         

         

        ऋता शेखर 'मधु'

        काग़ज़ की कश्ती में बादशाहत का ताज था|

        बचपन की हस्ती में मुस्कुराहट का नाज था|

        शनै शनै ये ताजो' नाज छूटते चले गए,

        अब वक्त की रवानगी में अनुभव का राज था|

        *ऋता शेखर 'मधु'*

         

         

        Ghughuti Basuti

        आसमान में उड़ने वाले धरती पर उतारे जाएँगे!

        कभी सोचा न था कि पाकिस्तानी राह दिखाएँगे!

         

        दिनेशराय द्विवेदी

        उन्हों ने अपने अंगरेज गुरुओं से सीखा कि रियाया को धर्म और मजहब के नाम पर लड़ा कर कैसे राज किया जाता है। पर वे भूल गए कि अंग्रेजों को चुनाव नहीं लड़ने पड़ते थे।

         

         

        Amitabh Meet

        आह ! और अब ये मेरा तकियाकलाम सा ही समझिये ....... सुकून यहीं हैं ……

        'छत पर, आकाश अगोरते ..........

        "हारे को हरिनाम" ………

        कभी तो सुनेगा, जब नामे "हरि" रखिस है ???

         

         

        Sunita Samant

        बनना काफ़िर मंजूर है लेकिन....

        सज़दे उसके नहीं जो रब नहीं मेरा

         

         

        Richa Srivastava feeling confused

        कुछ साल पहले हम लोग सिक्किम और अरुणांचल प्रदेश घूमने गए थे। वहां के बच्चे छोटी छोटी टोलियों में ये नारा लगाते घूम रहे थे

        चाईना का माल लेना नहीं

        लेने के बाद धोना नहीं

        धोने के बाद रोना नहीं।

        आज हमारे देश में चीनी निवेश और चीनी राष्ट्रपति के आगमन की बड़ी चर्चा है ,,तो जाने क्यों ये नारा मेरे कानों में गूँज रहा !!!!

         

         

        Beji Jaison

        मैं इतनी बार तुमसे इस फूल का जिक्र सुन चुकी थी. चूँकि मैं इसे पहचानती नहीं थी, मेरी कल्पना में हर बार इसे नया रूप मिलता. मैं इसकी पँखुडियों के बारे में सोचती. कभी इसकी गँध के बारे में. तुमने कहा कि पूरा आसमान इन फूलों से खिला हुआ सा था. मैं बादल को इन फूलों के आकार में सोचती. इतने दुर्लभ इन फूलों के साथ उनसे भी दुर्लभ तुम्हारी याद के बारे में सोचती. मैं पूरे साल में उनका एक बार खिलना देखती. तुम्हारी आँखों में आई उस खुशी को पकड़ती. फिर उनका सिंहपर्णी के फूलों की तरह बिखर कर उड़ जाना देखती. हर सफेद फूल में मैं एक झलक इनकी देखती. मोगरा, चम्पा, चमेली, पारिजात... कभी कपास के फूलों में तो रजनीगँधा की खुशबू में. मेरी कल्पना के खाके में इनका आकार बनता बिगड़ता.

        आज इसका पौधा मेरे हाथ आया. गमले में लगाते हुए कोई रंग रूप मन में नहीं था. था तो बस तुम्हारी आँखें, तुम्हारी नज़र और तुम्हारा सुकून.

        सुकून जो शायद मेरे फूल के खिलने के इंतज़ार भर करने से हासिल था.

      मंगलवार, 16 सितंबर 2014

      न कागज़ गीला होता है न स्याही सूखती है!..(फ़ेसबुकनामा)

       

       

      Rahul Singh

      अपने आसपास ही क्‍या-क्‍या नहीं.

      Indian Cormorant<br />Shankar Nagar, Raipur, Chhattisgarh<br />15 September 2014

       

       

       

      Anshu Mali Rastogi

      बरसों पहले हमारे मोहल्ले में एक सज्जन रहा करते थे नाम था- तोतापरी।

       

       

      अजय त्यागी feeling उलझन

       

      आय का क्या अर्थ होता है? खर्च या बचत?

       

       

         

      Mukesh Kapil

      आज का दिन काफी अच्छा जा रहा है ।

      1 थोक महंगाई दर पिछले पांच साल में सबसे कम ।

      2 खाप वाले बाबा जी ने दो बच्चो का फरमान दिया ।

      3 गूगल का नया फ़ोन आया

      4 कोंग्रेस के चाउ चाऊ प्रवक्ताओ से छुटकारा मिला।

      5 शाम तक डीजल भी शायद सस्ता हो जाए ।

      बस एक बुरी खबर एक लडकी ने पापा के पेट में चाक़ू मारा ।

       

       

        

      Sonal Rastogi

      तन्हाई गुनाह है या सज़ा ?

       

       

       

      Isht Deo Sankrityaayan

      हिंदी घरों-बजारों से लेकर दफ्तरों-कचहरियों तक सब फैल जाएगी गुरू जी. बस एक काम करिए. हिंदी माता को तनी कविता-कहानी से ऊपर उठाइए. कुछ ऐसा करिए कि हिंदी में विज्ञान, तकनीक, अभियंत्रण, विधि, वाणिज्य आदि उपलब्ध हो सके. ताकि हिंदी पढ़े-लिखे बच्चे भी सम्मानजनक रोज़गार पा सकें. जब हिंदी में इन विषयों पर किताबै नईं है तो बेचारे ऊ अंगरेजी के शरण में जाते हैं और जब उहां अपने को कमजोर पाते हैं तो अपना मत्था पीट लेते हैं. पहले हीन भावना से ग्रस्त होते हैं और फिर अपने मां-बाप और हिंदी को कोसते हैं. तो अगर आप चाहते हैं कि हिंदी आगे बढ़े तो उठिए. हमें मालूम है कि आप ज्ञान-विज्ञान में मौलिक कुछ नहीं कर सकते, तो उठिए अनुवादै करिए. बिना किसी शर्त के. कम से कम कितबिया त ढंग की आ जाएं. उठिए-उठिए. हिंदी को आप बहुत खा चुके. इतना खाए हैं कि अकेले आप ही उसको चर-खा के खत्म होने के करीब पहुंचा चुके. अब ज़रा हिंदी की खाना शुरू करिए.

       

       

       

      Kajal Kumar

      9 hrs · Edited ·

      जि‍स स्‍टेटस में भाषाई व्‍याकरण की अशुद्धि‍यां होती हैं,

      उसे तो लाइक करने की भी इच्‍छा नहीं होती (कमेंट की कौन कहे)

       

       

      अरुन शर्मा अनन्त

      एक शे'र कुछ ऐसा हुआ.

      जिंदगी ठुकरा चला हूँ,

      मौत के सँग ब्याह करके,

      अरुन शर्मा अनन्त

       

       

      टी एस दराल

      अब एक फ़ेसबुक अवॉर्ड भी घोषित किया जाना चाहिये !

      ज़रा बताएं , कौन कौन हैं उम्मीदवार , ईनाम पाने के हकदार ?

       

       

      Shivam Misra feeling concerned

      सलमान खान BigBoss 8 में हवाई जहाज चलाएंगे।

      इस खबर से फुटपाथ वाले खुश हैं और

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      बुर्ज खलीफा वाले दहशत में हैं।

       

       

      Shailja Pathak

      प्रेम सांवली लडकी के गुलाबी गाल

      प्रेम गुलाबी आँख के आसमानी सवाल

      प्रेम नरम होठ पर खारा समय है

      प्रेम अंगूठी में कसकता मेला है

      प्रेम लम्बे बालों की रेशमी उलझन

      प्रेम हथेली पर जड़ा चुबंन है

      प्रेम घड़ी की नोक पर चुभता हुआ समय है

      प्रेम तुम्हारा जाता हुआ लम्बा रास्ता

      मेरे इंतजार की ढहती धंसती पगडण्डी

      प्रेम खतम हुई बात पर बोलती तुम्हारी आँखें है

      प्रेम तुम पागल हो को मानती मेरी मुस्कराहट

       

       

      Sangita Puri

      यह सत्‍य है कि मच्‍छर के काटने से मलेरिया होता है ... पर कभी मच्‍छरों के बीच सोए रात भर मच्‍छर काटते व्‍यक्ति में भी मलेरिया के लक्षण नहीं दिखते .. और जिसे याद भी नहीं हो कि मच्‍छर ने उसे काटा है मलेरिया हो जाता है ... इसमें H2O की तरह आप कार्य कारण संबंध कैसे दिखाएंगे ... पर यह आधुनिक विज्ञान की बात है तो मानेंगे ही ... और परंपरागत विज्ञान को गणित और भौतिकी जैसे विषयों के मापदंड पर कसेंगे !!

       

       

      बेचैन आत्मा

      दर्द की

      बदकिस्मती देखिये

      ढरक जाता है

      फेसबुक में चुपके से

      न कागज़ गीला होता है

      न स्याही सूखती है!

       

       

      Manisha Pandey

      जनता के सिर से अच्‍छे दिनों का भूत उतर गया क्‍या ?

      इतनी जल्‍दी ?

       

       

      Mani Yagyesh Tripathi

      ईश्वर ने मनुष्य के शरीर में किडनी दो शायद इसलिए दी हैं ताकि एक को बेच के आईफोन 6 ले सकें

       

       

      Sujata Tewatia

      चुस्त टीशर्ट मे जब वह आया

      उसके चेहरे पर से गायब था आदमी

      कुहनी मारकर वे मुझे बोलीं-

      बड़ा औरतबाज़ है ,

      बच कर रहना ,

      तुम्हें औरत होने की तमीज़ नही है।

      और इस तरह धकिया दिया उन्होंने

      भाषा मे बनती औरत को

      थोड़ा और नीचे

      और निश्चिंत हो गईं

      कि अब कुछ गलत नहीं हो सकेगा ।

      लेकिन

      औरत होने की शर्मिंदगी लिए बिना वे

      कभी वापस नहीं जा सकीं घर

      ठीक वैसे जैसे हर सुबह लौटती थीं

      एक ग्लानि लिए घर से ।

       

       

       

      अजय कुमार झा

      कयामतें दस्तक देने लगी हैं यदाकदा अब तो ,

      मिट जाने से पहले बस्तियों को खबरदार किया जाए ,

      कहर टूटा है कुछ हमारे जैसे इन्सानों पर फ़िर एक बार,

      कुछ की जाए तदबीर ऐसी ,हर एक को मददगार किया जाए

      .

      रविवार, 14 सितंबर 2014

      हिंदी हैं हम ………………फ़ेसबुकनामा

      FB 712 - 14 सितम्बर - 'हिन्दी दिवस' है !

       

      Amitabh Bachchan

      FB 712 - 14 सितम्बर - 'हिन्दी दिवस' है !

       

      ऋता शेखर 'मधु'

      हिन्दी भाषा...

      हिन्दी भाषा में उगी, कविताओं की पौध

      सजे हुए हैं शाख पर, पन्त गुप्त हरिऔध

      पन्त गुप्त हरिऔध, महादेवी जयशंकर

      जायसी कालिदास, रहीम सुभद्रा दिनकर

      तुलसी जी के राम, कृष्णलीला कालिन्दी

      पा उन्नत साहित्य, फूलती फलती हिन्दी

      *ऋता शेखर 'मधु' *

       

       

      Kajal Kumar

      इस देश के लि‍ए हिंदी बहुत ज़रूरी है ...

      (जब तक कि‍ मैं ढंग की अंग्रेज़ी बोलना न सीख जाउं)

       

       

      Kamlesh Bhagwati Parsad Verma

      हम हिंदी क्यूँ बोलें ??

      जब हिंदी बोलने वालों को निम्न समझ के "महाराष्ट्र'पंजाब"में उनको एक नये उपनाम से बुलाया जाता है।

      जबकि ये लोग अपनी खुद की मार्तु भाषा को बोल चाल के अलावा कहीं भी सम्मान नही देते।

      फिल्मे टीवी सीरियल या गीत ये और इनकी औरतें बच्चे सब हिंदी ही देखतें हैं।

      यह मेरा पंजाब में रह कर 30 साल के अनुभव के आधार पर लिख रहा हूँ।

      यह व्यवहार यहाँ के समाज की विकृत मानसिकता का द्योतक है।।

       

       

      डॉ. सुनीता

      सम्पूर्ण देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ !!!

      हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर...मुझे याद है आज तक अंग्रेज़ी को छोड़कर बाक़ी कई भाषाओं को लिखना-पढ़ना बेहद पसंद रहा है...मेरी नज़र में मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है... 'ब्रेल' और 'खरोष्ठी' लिपि लिखना और पढ़ना है...भाषा कोई भी हो आदर सम्मान किया जाना चाहिए... लेकिन अपने माँ का निरादर बेहद निंदनीय है...हर भाषा से प्यार कीजिए मगर अपनी माँ को उपेक्षित करके नहीं...

       

       

      Prakash Govind

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      ABP न्यूज़ द्वारा

      हिन्दी दिवस पर ब्लॉगरों का सम्मान

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      दिल्ली के मुकेश तिवारी को राजनीतिक मुद्दों पर लेखन के लिए

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      इंदौर के प्रकाश हिंदुस्तानी को समसामयिकी विषयों पर लेखन के लिए

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      दिल्ली के प्रभात रंजन को हिंदी साहित्य और समाज पर लेखन के लिए

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      दिल्ली की फिरदौस खान को साहित्य के मुद्दों पर लेखन के लिए.

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      फतेहपुर के प्रवीण त्रिवेदी को स्कूली शिक्षा और बच्चों के मुद्दों पर लेखन के लिए

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      लंदन की शिखा वार्ष्णेय को महिला और घरेलू विषयों पर लेखन के लिए

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      मुंबई के अजय ब्रह्मात्मज को सिनेमा व लाइफस्टाइल पर लेखन के लिए

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      दिल्ली की रचना को महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर लेखन के लिए

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      अलवर के शशांक द्विवेदी के विज्ञान के मुद्दों पर लेखन के लिए

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      दिल्ली के पंकज चतुर्वेदी को पर्यावरण मुद्दों के लेखन के लिए

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      Manisha Pandey

      इंसानी दिमाग की किसी भी तरह की बैरीकेडिंग, चौकीदारी खतरनाक है, फिर चाहे चौकीदार दक्षिण खेमे का सिपाही हो, चाहे वाम खेमे का। दिल, दिमाग और अंतरात्‍मा की आजादी में ही उसकी मुक्ति है। हर चश्‍मे से ऊपर उठकर जीवन को देखना, समझना और सबसे पहले खुद को समझना।

       

       

      Richa Srivastava

      दोस्तों ,, "हिंदी दिवस" तो हो लिया!!! आइये किसी दिन "फेसबुक" दिवस मनाते हैं। तारीख आप लोग निर्धारित कर के सूचित करिये !!

       

       

      Kailash Sharma

      माथे की बिंदी

      देश का मान हिंदी

      सदा चमके.

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      अपना देश

      अपनी ही हो भाषा

      वक़्त की मांग.

      ....कैलाश शर्मा

       

       

      Awesh Tiwari

      जानेमन ,तुम्हारा प्यार हिंदी है |

       

       

      Anshu Mali Rastogi feeling awesome

      अभी जब मैंने पनबाडी से सिगरेट मांगी तो उसने देने से मना कर दिया। बोला- सर, आज 'हिंदी डे'। आप 'सिगरेट' नहीं 'धुम्रदंडिका' बोलकर मांगे, तभी मिलेगी।

       

       

      संजीव तिवारी

      हिन्दी हैं हम ... 'हिन्दी भारत की राजभाषा होगी'. 14 सितम्बर, 1949 को संविधान सभा के द्वारा एकमत से यह संकल्प पारित किया गया. राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा के अनुरोध पर 1953 से इस दिन को पूरे भारत में हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह राजनीति को आइना दिखाने का दिन है. 'बिजराने' का दिन है, तुम्हारे नहीं चाहने के बाद भी हमारी हिन्दी समूचे विश्व में छा रही है. @तमंचा रायपुरी

       

       

      Sanjay Bengani

      दिमाग को तेज करना है? तो हिन्दी में पढ़िये.

      -यह क्या तुक हुई?

      है ना तुक. बिलकुल है.

      जब आप हिन्दी में पढ़ते है तब आपके दिमाग के दोनो भाग सक्रिय रहते है, ऐसा देवनागरी लिपि में लगने वाली मात्राओं की वजह से होता है, जो दाएं-बाएं और ऊपर-नीचे लगती है. इस कारण पढ़ते समय दिमाग के दोनो हिस्सों को तालमेल के साथ सक्रिय रहना पड़ता है.

      जब हम हिन्दी में पढ़ रहे होते हैं दिमाग के बाएं भाग में इंसुला, कुजिफोर्म गायरस तथा फ्रंटल गायरस सक्रिय होते हैं और दाएं भाग में मिडल फ्रंटल गायरस और ऑक्सिपिटल क्षेत्र सक्रिय होते हैं. जबकि रोमन लिपि में पढ़ते समय केवल मिडल-फ्रंटल गायरस ही सक्रिय रहता है, क्योंकि रोमन सपाट एक तरफ पढ़ी जाती है.

      कहना का तात्पर्य यह है कि बुद्धू मत बनो, हिन्दी पढ़ो

       

       

      Anju Sharma

      हिंदी मातृभाषा है। कॉमर्स की पढ़ाई और कार्यक्षेत्र की भाषा अंग्रेज़ी रही है। हिंदी कैसे छूटती सारी भरपाई पढ़कर पूरी होती रही। हिंदी से जुड़ाव का असर बच्चों पर भी पड़ा। दोनों बच्चों विशेषकर छोटी बेटी की हिंदी बहुत अच्छी है। आज सुबह से छोटी बेटी शुद्ध हिंदी के वाक्य बोलकर 'हिंदी दिवस' मना रही है। जैसे घर में होनेवाले पेंट का रंग चुनने में हो रही बहस में उसने कहा, 'आप कृपया अपनी बात का आशय स्पष्ट करें।' या 'ओह, फिर से धूल होगी। अर्थात हमारा सफाई का प्रयास तो व्यर्थ ही रहा।' उसकी हिंदी सुनकर सब लोग हंस रहे हैं और मैं समझ नहीं पा रही कि शुद्ध हिंदी बोलती बिटिया की बलैयां लूँ या हिंदी पर हँसे जाने पर दुखी होऊं।

       

       

      Sangita Puri

      अपनी भाषा, अपने ज्ञान विज्ञान, अपनी चिंतन शैली, अपनी चिकित्‍सा प्रणाली के नष्‍ट भ्रष्‍ट किए जाने का जिन्‍हें अफसोस नहीं, वही इनकी तुलना उनभाषा, उन विज्ञानों, उन चिकित्‍सा प्रणालियों से यदा कदा करते रहते हैं , जिनके विकास के लिए पूरा विश्‍व तत्‍पर है, अपनी मां और भाई बहन गरीब हो तो अमीर मां की गोद में बैठ कर अमीर भाई बहन बना लेना कोई बहादुरी का काम तो नहीं ... बहादुरी तो अपनी मां और भाई बंधु को अमीर बनाने में है ... अपने देश की व्‍यवस्‍था सुधारिए और इसपर गर्व कीजिए !!

       

       

      Rekha Joshi

      हिंदी भाषा में बस रही हमारी जान है

      हिंदी भाषा नही यह हमारी पहचान है

      मिले सदा सम्मान हमारी मातृ भाषा को

      हमारे भारत की आन बान और शान है

      रेखा जोशी

       

       

      Alankar Rastogi

      "अच्छा हुआ हिंदी दिवस छुट्टी के दिन पड़ा वरना न जाने कितने बच्चे आज के दिन भी अंग्रेजी स्कूलों में हिंदी बोलने की सज़ा पा जाते."

       

       

      Vijay Sappatti

      दोस्तों , मेरे लिए तो रोज ही हिंदी दिवस है . हिंदी बोलता हूँ , हिंदी सुनता हूँ , हिंदी लिखता हूँ , हिंदी पढता हूँ .. हिंदी ही के चलते , लेखन में थोडा सी जगह मिली है . मैं अहिन्दी भाषी हूँ और हिंदी में लिखता हूँ , यही मेरे लिए सबसे बड़े गर्व की बात है . और हां , एक बात और हिंदी में ही सपने देखता हूँ !

       

       

      Jitendra Jeetu

      हिंदी के लेखकों को अन्य देसी- विदेसी भाषाओ में पढ़कर हिंदी में लिखना चाहिए। ताकि हिंदी में पाठकों को अच्छा साहित्य उपलब्ध हो सके। प्रकाशकों को इन्हें छापने में उसी तरह तत्परता दिखानी चाहिए जैसी वे अंग्रेजी में दिखाते हैं। हिंदी पुस्तकों के प्रचार- प्रसार के लिए मोबाइल कंपनियों से सहयोग लेना चाहिए। एक मोबाइल केसाथ एक किताब हिंदी में मुफ्त। सरकार के लिए भी गुंजायश है। वह प्रधान मंत्री जन धन योजना की तर्ज पर पुस्तक तन- मन-धन योजना चालू कर सकती है। 500 रूपए से ऊपर खाता खोलने पर साथ में एक किताब। सरकार अपनी खाद्य योजना में किताब भी शामिल करे। पढना भी तो भूख ही है।

      आम जनता भी कुछ करे। पुस्तक को सीधे प्रेम से जोड़ दें। जिससे प्रेम करें उसेखूब पुस्तकें भेंट करें। प्यार भी परवान चढ़ेगा और हिंदी पुस्तक पढने की संस्कृति भी। पुस्तके तो हिंदी में ही होंगी न!

      इसकी अलावा काफी कुछ अपनी हिंदी के लिए किया जा सकता है। लेकिन सभी बातें सिर्फ हिंदी दिवस पर ही क्यों??? पूरा वर्ष हिंदी के उत्थान के लिए नहीं है ??

       

       

      अजय कुमार झा

      हिंदी दिवस की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं मित्रों , बनिस्पति इसके कि पिछले दिनों प्रशासन की सर्वोच्च संस्थाओं में से एक न्यायपालिका ने हिंदी को फ़िलहाल हाशिए पर रहने देने का ही निर्णय सुनाया , बनिस्पत इसके कि पिछले ही दिनों सर्वोच्च प्रशासनिक पदों के लिए भी हिंदी के साथ दोयम दर्ज़े का व्यवहार होता रहा , बनिस्पत इसके कि पिछले दिनों तो खूब पिटती पिटाती रही है हिंदी और हिंदी वाले भी , अब अपनी सुन लीजीए , बनिस्पत इसके कि , लगभग तीन वर्ष पहले कार्यालय में राजभाषा हिंदी से संबंधित सारे काम काज देखने का भार मुझे अतिरिक्त भार के रूप में दिया गया था ..इत्ता अतिरिक्त हो गया कि ............ आज तक एक भी काम आधिकारिक रूप से करने को मुझे दिया ही नहीं गया , अलबत्ता अपनी धुन में लगे सरकारी कागज़ों में धर धर के हिंदी बिखेरी अब भी बिखेर रहे हैं , तो इत्ते सारे बनिस्पतों के बावजूद हिंदी दिवस की जय हो .......क्यों ...क्योंकि अबकि अपना सबसे बडा मंत्री जबरदस्त हिंदियास्टिक व्यक्ति हैं ..और फ़िर आज तो हिंदी अंतर्जाल के पुराने पथिक हिंदी ब्लॉगरों को एक टीवी चैनल सार्वजनिक रूप से लोगों से रूबरू करवाते हुए उन्हें सम्मानित करने जा रहा है , अब से ठीक आधे घंटे के बाद ..............तो हिंदी जिंदाबाद , ब्लॉगिरी जिंदाबाद ,ब्लॉगर जिंदाबाद ..सबको ढेरम ढेर शुभकामनाएं जी