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शनिवार, 25 जनवरी 2014

रिपब्लिक बातें ……….


गणतंत्र दिवस की 65 वीं वर्षगांठ पर आप सबको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं ………

 

 

 

निरुपमा मिश्रा

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ,,,,
देश के लिए भी मशविरा करिये,
गुलामी का जख्म नही हरा करिये

शह और मात के खेल तबाहियाँ,
दाँव-पेंच से तो कभी डरा करिये
मत दान में देना देश की अस्मत
फैसला अब तो सही खरा करिये

जान दे दी देशहित में शहीदों ने,
देश के लिए ही जिया-मरा करिये

कैसे दिखेगी ऐसे जमीनी हकीकत,
कभी धरती पर भी उतरा करिये
-------- निरुपमा मिश्रा "नीरु"

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ,,,,<br /><br />देश के लिए भी मशविरा करिये, <br />गुलामी का जख्म नही हरा करिये <br /><br />े<br />शह और मात के खेल तबाहियाँ, <br />दाँव-पेंच से तो  कभी डरा करिये<br /><br />मत दान में देना देश की अस्मत<br />फैसला अब तो सही खरा करिये<br />े<br />जान दे दी देशहित में शहीदों ने, <br />देश के लिए ही जिया-मरा करिये<br />े<br />कैसे दिखेगी ऐसे जमीनी हकीकत, <br />कभी धरती पर भी उतरा करिये <br /> -------- निरुपमा मिश्रा "नीरु"

 

 

 

Dhiru Singh

दूरदर्शन देख रहा हूँ । आज तक मिले सुर मेरा तुम्हारा की टक्कर का एक भी गीत न बन सका । न जाने क्यों ?

 

 

Era Tak

जुल्मों को तेरे हम हँस हँस के सह गये
अब इससे ज्यादा क्या शराफ़त होती है

 

 

Santosh Jha

मेरी आन तिरंगा है
मेरी जान तिरंगा है
मेरी शान तिरंगा है
अभिमान तिरंगा है
स्वाभिमान तिरंगा है

 

 

Shyamal Suman

तहे दिल से तमन्ना है तिरंगा के तरानों का
सभी लोगों को मिल पाते नये अवसर उड़ानों का
मगर अफसोस कितने घर में चूल्हे भी नहीं जलते,
वतन सबका बराबर है नहीं बस कुछ घरानों का

 

 

Geeta Shree

Dushyant Yaad Aa rahe hain gour farmaayiye. Shubhraatri.

 

 

Gyan Dutt Pandey

भारत एक येड़ा प्रधान देश है। जिसपर नॉन येड़ाओं का शासन है।

 

 

Mverma Verma

लोग 'आँख लगने' को
कहते हैं सो जाना
पर
जबसे आँख लगी है
तड़प रहा हूँ मैं सोने को

 

 

Abhay Tiwari

जनता अपना भला नहीं जानती। वो जिस मुद्दे को अहमियत दे रही है, वो असली मुद्दा नहीं है। असली मुद्दा हम जानते हैं। पर जनता हमारी बात नहीं समझती। जनता को शिक्षित करने की ज़रूरत है। जब तक जनता शिक्षित नहीं होती तब तक मैं जनता का विरोध करता हूँ।

 

 

Divya Shukla

न जाने क्या सोच के मुस्कराती
तो कभी आँखे छलछला जाती
दूर छितिज को ताकती नितांत अकेली
वो जीती है कल्पनाओं में वो निजपल
जो कभी आये ही नहीं जीवन में
-----दिव्या

 

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी

मित्रों, आज खूब नारा लगाइए, शपथ लीजिए, भाषण सुनिए-सुनाइए, झाँकी देखिए और पिकनिक मनाइए। कल से फिर काम पर लगना है। आपके लिए गणतंत्र दिवस शुभ हो। हार्दिक शुभकामनाएँ।

 

 

Vivek Rastogi

क्या बिना नहाये गणतंत्र दिवस देखना/ शामिल होना - अपराध है, कहीं भी संविधान में ऐसा लिखा है ?

 

 

Harpal Bhatia

सौ में सत्तर आदमी फ़िलहाल जब नाशाद है
दिल पे रख के हाथ कहिए देश क्या आज़ाद है।# वंदे मातरम्

 

 

Girish Pankaj

बुलंदी पर रहो बेशक धरा पर भी नज़र रखना
यहीं आना है इक दिन ध्यान में तुम ये खबर रखना
जो कहते हो उसे तुम आचरण में भी रखो साथी
ज़माना सिर बिठाएगा हमेशा ये हुनर रखना
अन्धेरा लाख आ जाये मगर टिकता नहीं ज़यादा
ज़रा-सा हौसला रखना, खयालों में 'सहर' रखना
यहाँ हिम्मत है किसकी जो डिगा दे तुमको ईमाँ से
अरे फौलाद हो तुम, एक फौलादी ज़िगर रखना
हमेशा मैं ही मैं करते हुए यह ज़िंदगी कब तक ?
तुम्हारे साथ हैं माँ-बाप उनकी भी फिकर रखना

2 टिप्‍पणियां:

पोस्ट में फ़ेसबुक मित्रों की ताज़ा बतकही को टिप्पणियों के खूबसूरत टुकडों के रूप में सहेज कर रख दिया है , ...अब आप बताइए कि आपको कैसी लगे ..इन चेहरों के ये अफ़साने