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रविवार, 8 जुलाई 2012

कुछ तुम कहो , कुछ हम सुनें .........









आज का सत्यमेव जयते देखने के बाद स्वदेश फिल्म का एक डायलोग याद आ रहा है..
"जो कभी नहीं जाती उसी को जाति कहते हैं..." काश कभी इस पंक्ति को गलत साबित होते हुए देख सकूं...



आया केसर का मौसम :-
चन्दन को केसर के साथ घिसकर इसका लेप माथे पर लगाने से, सिर, नेत्र और मस्तिष्क को शीतलता, शान्ति और ऊर्जा मिलती है, नाक से रक्त गिरना बन्द हो जाता है और सिर दर्द दूर होता है। शिशु को सर्दी हो तो केसर की 1-2 पखड़ी 2-4 बूंद दूध के साथ अच्छी तरह घोंटें, ताकि केसर दूध में घुल-मिल जाए। इसे एक चम्मच दूध में मिलाकर सुबह-शाम पिलाएँ। माथे, नाक, छाती व पीठ पर लगाने के लिए केसर जायफल व लौंग का लेप (पानी में) बनाएँ और रात को सोते समय लेप करें। कृमि नष्ट करने के लिए केसर व कपूर आधी-आधी रत्ती खरल में डालकर 2-4 बूंद दूध टपकाकर घोंटें और एक चम्मच दूध में मिलाकर बच्चे को 2-3 दिन तक पिलाएं। बच्चों को बार-बार पतले दस्त लगने को अतिसार होना कहते हैं। बच्चों को पतले दस्त लगने पर केसर की 1-2 पँखुड़ी खरल में डालकर 2-3 बूंद पानी टपकाकर घोंटें। अलग पत्थर पर पानी के साथ जायफल, आम की गुठली, सौंठ और बच बराबर बार घिसें और इस लेप को केसर में मिला लें। इसे एक चम्मच पानी में मिलाकर शिशु को पिला दें। यह सुबह शाम दें।

अभी अभी तो सन्नाटा था, और अभी अभी है हो-हुल्लड़
अरे, किसके बाप मर गए, औ किसको मिल गए हैं बाप ?


मध्यप्रदेश में निवास करनेवाले साथियों से एक अपील. आज नई दुनिया जागरण ने मेरी पोस्ट "पापा डरी हुई गर्लफ्रैंड की तरह फोन करते हैं" प्रकाशित की है. अखबार बिना बताए न जाने कब और कहां पोस्ट छापते हैं, पता नहीं चलता है. लेकिन यहां मामला पापा से जुड़े इमोशन का है. मैं इसकी हार्ड कॉपी उन्हें पोस्ट करना चाहता हूं. बशर्ते इससे पहले आप मुझे पोस्ट करते हैं. कुल जमा 25 रुपये का खर्चा आएगा लेकिन वर्सुअल स्पेस की इस दोस्ती के आगे 25 रुपये क्या बड़ी चीज है ? वैसे आज सुबह-सुबह अमिता नीरव,नई दुनिया जागरण ने इसकी सॉफ्ट कॉपी मुहैया करा दी. उनका शुक्रिया.





लालू को बधाई! मौजूदा दलों में अन्ना आन्दोलन को कोई श्रेय दे या न दे, मगर लालू महाशय ने "श्रेय" जरुर दिया!! "टाइम" में छपे आलेख के लिए.

लालू के अनुसार "टाइम" में मनमोहन के खिलाफ छपे आमुख कथा के लिए अन्ना आन्दोलन जिम्मेवार! मनमोहन सरकार को "अंडर-एचीवर" बताया है "टाइम" ने.



  • बुरे दिनों का एक अच्छा फायदा है; . .. ... अच्छे - अच्छे दोस्त परखे जातें हैं!


सूरज तुम हमेशा तपते क्यूँ हो?
कभी मेरे साथ बैठ चखो
चाँद की शीतलता का प्याला.....
-अर्चना



‎''हमें लोग भंगी कहते हैं, गन्दा कहते हैं, भंगी समाज तो साफ़-सफाई का काम करता है. फिर यह कैसे हुआ? जो सफाई करने वाले हैं, वे कैसे गंदे हो गए.''

विल्सन



मनुष्य जन्म से शूद्र होता है...


आमिर खान ने इस सप्ताह के सत्यमवे जयते कार्यक्रम में छुआछूत का मसला उठाया. 'रोटी और बेटी' में अब भी दलित वर्ग को छुआछूत का सामना करना पड़ता है. कार्यक्रम में ज़िक्र हुआ कि ये छुआछूत सिर्फ़ हिंदुओं में नहीं बल्कि मुसलमानों, सिखों और ईसाइयों में भी है. क्या आपने ये छुआछूत होते देखा है या अनुभव किया है, यहाँ रखिए अपनी राय. ये एक संवेदनशील मसला है इसलिए सभी पाठकों से अनुरोध है कि राय देते समय भाषा में इस मंच की गरिमा का ख़्याल ज़रूर रखिएगा. इस बहस को आगे बढ़ाइए और साथ में लगे शेयर के बटन को क्लिक करके दोस्तों के बीच भी ये बहस शुरू करिए-
http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2012/07/120708_aamir_satyamev_jayate_ms.shtml


जातिवाद के खिलाफ लिखे किसी भी status को मिले कम like भी समाज में जातिवाद के होने का एक प्रमाण है!


 
तुम
बन जाओ
एक किताब

कहानी की मेरी

मखमली ज़िल्द
और
अलिखित इबारतों वाली

जिसे पढ़ पाऊँ
मैं
सिर्फ मैं

पन्ना दर पन्ना

कहीं मुस्कराऊँ,
कहीं खो जाऊँ और
कहीं आसूँ बहाऊं मैं..
फिर थक कर
तुम्हें छाती से लगाये

सो जाऊँ मैं...

-एक स्थापित लेखक हो जाऊँ मै!!

-कुछ पहचान पा जाऊँ मैं!!

-समीर लाल ’समीर’





घनाक्षरी छंद
प्रथम प्रयास
. . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
दुनियाँ जिसकी शक्ति का करती गुणगान।
देखो सीना तान खड़ा वो भारत देश है॥
हिन्द महासागर को देखो चरण पखारे।
हिम हिमालय माँ की लट और केश है॥
काले गोरे लम्बे नाटे फूल हैं रंग बिरंगे।
भाँति भाँति लोग यहाँ भाँति भाँति वेष है॥
राज्य कई पर हर दिल में हिन्दुस्तानी है।
भाषा कई कई पर होती मीठी पेश है॥


हप्पी होलिडे पर आप सभी मित्रोजनो को नममस्कार कैसे बिता रहे इस छुट्टी को ?


जौन एलिया तुम मर क्यों नहीं जाते :(


दोस्तों, आज मेरी बिटिया अपना पहला वेतन लेकर जब घर आई तो उसके चेहरे की चमक में सब खो गए. और जब उसने वो सभी अपनी दादी को सौपा तो मेरी माँ की चमक में मेरी बिटिया भी खो गयी. .......................मेरे परिवार की ख़ुशी में आप सभी को शामिल करता हूँ ........


 
आज फिर सुबह से ही धूप खिली है. लगता है मानसून भी रविवार को छुट्टी मना रहा है...


फिर सावन रुत की पवन चली, तुम याद आये तुम याद आये
फिर पत्तो की पाजेब बजी तुम याद आये,तुम याद आये...............!



  • ममता ने रीढ़ वाले नेताओं की खत्म होती प्रजाति पर चिंता जताई है !

    ...क्या उन्हें लगने लगा है कि इस दौड़ में भी तगड़ी स्पर्था है !!


2 टिप्‍पणियां:

पोस्ट में फ़ेसबुक मित्रों की ताज़ा बतकही को टिप्पणियों के खूबसूरत टुकडों के रूप में सहेज कर रख दिया है , ...अब आप बताइए कि आपको कैसी लगे ..इन चेहरों के ये अफ़साने