ज़िन्दगी ..................तुम्हे मुझसे गिला और मुझे तुमसे ,फिर भी मुझे तुम्हारी जरुरत है और तुम्हे मेरी !!!!
दिल की बात किसके साथ ?
माँ के साथ , पत्नी के साथ या दोस्त के साथ
उसको थी पसंद शानो-शौकत
मुझे लगा, शायद वो मेरी सादगी पे मरती है
उसको थी पसंद, दौलत, पैसा
मुझे लगा उसे सिर्फ चाहिये मेरे जैसा
उसको थी आती, बातें बनानी
मुझे लगा, वो कहती है दिल की
वो तब भी जी सकती थी मेरे बिना,
मुझे लगा वो अब भी करती है याद मुझे...(क्रमशः )
टीम अन्ना सरकार की तरह कुटिल नहीं है ....उसकी बातों में कोई फेर नहीं है .....उसको बैकफुट पर लाने के लिए फेर ढूंढे जा रहे है या आयतित किये जा रहे है.....जैसा कोई भूखा बिना किसी भूमिका के दो रोटी मांगता है ठीक अन्ना टीम भी भ्रष्टाचार पर अंकुश और शमन के लिए जनहित में लोकपाल ही तो मांग रही है कोई दिल्ली का ताज तो नहीं ....
पिछले 55 साल से रोज पूजा करता हूं, क्योंकि मेरा यकीन है पूजा पर... जब तक जरूरत होगी टीम अन्ना के पक्ष में सड़कों पर उतरता रहूंगा- अनुपम खेर
मुझे डर है अब तिवारी जी गुस्से में आकर कहीं "आल इंडिया पापा कांग्रेस" की स्थापना न कर दें ( दरसल वे पहले भी अपनी एक अलग कांग्रेस बना चुके हैं... ' तिवारी कांग्रेस' )
गुटखा पर प्रतिबंध शराब पर क्यों नहीं ?
क्योंकि गुटखा गरीब खाता है शराब अमीर पीता है ?
तीन दिन वॉक पर नहीं जाओ तो क्या वजन बढ़ जाता है क्या ?
यह आंदोलन है "जनलोकपाल" के लिए, "भीड" के लिए नही । इस आंदोलन का एकमात्र मकसद है "जनलोकपाल" पास करवाना, "भीड" जुटाना नहीँ ॥
फिर 'भीड' को लेकर इतनी हाय-तौबा क्यूं ??
जिसे 'भीड' की इतनी ही पडी है और बस 'भीड' की ही तलाश है, वो एक 'बंदर' और 'डमरु' लेकर सडक किनारे बैठ जाए..भीड खुद-व-खुद खिँची चली आएगी !!!
गीत मेरे, सन्नाटे चीर जायेंगें, तनहाई में ये तेरे संग गायेंगे, गुनगुनाना जब फुसफुसा के इन्हें, तराने लबों पे तेरे तैर जायेंगें, जो न मुस्कुरा उठो गीत मेरे गा कर, जो तडप उटे न दिल गजल मेरी गा कर, तय है कि गीत मेरे तुझे शायर करेंगें, जब जब भी याद मेरे शेर करोगे, जिंदा हम तेरे वजूद में उतर आयेंगें, क्या हुआ जो हमको तुम न पा सके, जो चलोगे राह मेरी, तुममें सदा हम ही नजर आयेंगें
कुछ बातें ख़ामोशी में ही अच्छी लगती हैं .... जैसे 'हम' और 'तुम' .....
मैं बनूँ खुशबू पारिजात की
महकी-महकी खुली पात की
साँसों में तेरी समाई रहूँ
ख्वाबों में तेरे छाई रहूँ
-अर्चना
हाथों में आने से पहले नाज दिखाएगा प्याला,
अधरों पर आने से पहले अदा दिखाएगी हाला,
बहुतेरे इनकार करेगा साकी आने से पहले;
पथिक,न घबरा जाना,पहले मान करेगी मधुशाला।
(बच्चन)
……………आज भी ताजा है बात।नहीं ?
जिन्दगी और मौत दोनो सहमेँ सहमेँ से हैँ ... दम निकलने न पाये तो मैँ क्या करुँ ...।
face to face .........via face...book
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मुकेश भाई
हटाएंअच्छा प्रयास है..साधुवाद के पात्र हैं आप...
जवाब देंहटाएंआभार डा. साहब
हटाएंवाह सबको उतार दिये ।
जवाब देंहटाएंइस ब्लॉग को पढ़ने से फेसबुक का हाल मिलता रहता है। फेसबुक में समय न दे पाने का अफसोस नहीं रहता।
जवाब देंहटाएंविवेक जी के लिए
जवाब देंहटाएंरोज टहलने से वजन कम हो रहा है का भ्रम बना रहता है :)