कल मैंने एक प्रस्ताव दिया था. कई मित्रों की उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाएं आई हैं. आज उसे थोड़ा स्पष्ट रूप से सामने रख रहा हूँ.
मेरा प्रस्ताव है कि दो वरिष्ठ कवियों के साथ बिलकुल नए कवियों की दो दिन की एक 'कविता-कार्यशाला' लगाई जाय. कार्यशाला में रचना प्रक्रिया, शिल्प, भाषा, परम्परा को लेकर अनौपचारिक माहौल में खुली बातचीत हो. साथ में हिन्दी की महत्वपूर्ण पत्रिकाओं के बारे में जानकारी और कुछ व्यवहारिक बातें भी हों. साथ में अंतिम दिन उन कवियों का एक सार्वजनिक काव्यपाठ भी होगा और ऐसे कुछ प्रयासों के बाद शार्टलिस्ट किये गए कवियों की चयनित कविताओं का एक संकलन भी प्रकाशित किया जाएगा.
कार्यशाला हेतु चयन का तरीका यह कि इच्छुक कवि अपनी दस प्रतिनिधि कवितायें मुझे मेल कर दें जिन्हें मैं और कुछ वरिष्ठ कवि पढेंगे तथा उनमें से संभावनाशील लोगों को शामिल किया जाएगा. इस कार्यशाला का जो भी व्यय होगा वह प्रतिभागियों में बाँट दिया जाएगा.
इच्छुक कवि अपनी रचनाएँ मुझे ashokk34@gmail.com पर भेज सकते हैं. आप सबके सुझाव भी आमंत्रित हैं.
मेरा प्रस्ताव है कि दो वरिष्ठ कवियों के साथ बिलकुल नए कवियों की दो दिन की एक 'कविता-कार्यशाला' लगाई जाय. कार्यशाला में रचना प्रक्रिया, शिल्प, भाषा, परम्परा को लेकर अनौपचारिक माहौल में खुली बातचीत हो. साथ में हिन्दी की महत्वपूर्ण पत्रिकाओं के बारे में जानकारी और कुछ व्यवहारिक बातें भी हों. साथ में अंतिम दिन उन कवियों का एक सार्वजनिक काव्यपाठ भी होगा और ऐसे कुछ प्रयासों के बाद शार्टलिस्ट किये गए कवियों की चयनित कविताओं का एक संकलन भी प्रकाशित किया जाएगा.
कार्यशाला हेतु चयन का तरीका यह कि इच्छुक कवि अपनी दस प्रतिनिधि कवितायें मुझे मेल कर दें जिन्हें मैं और कुछ वरिष्ठ कवि पढेंगे तथा उनमें से संभावनाशील लोगों को शामिल किया जाएगा. इस कार्यशाला का जो भी व्यय होगा वह प्रतिभागियों में बाँट दिया जाएगा.
इच्छुक कवि अपनी रचनाएँ मुझे ashokk34@gmail.com पर भेज सकते हैं. आप सबके सुझाव भी आमंत्रित हैं.
ये कैसा मुल्क है 'उदय', जहां चोर-उचक्कों की बादशाहत है
क्या गरीबों-मजलूमों के सिबाय, यहाँ कोई और नहीं रहता ?
झमाझम बारिश के बीच राष्ट्रीय मीडिया चौपाल 2012 " में भाग लेने के लिए भोपाल जा रहे हैं | रायपुर से गिरीश पंकज, संजीत त्रिपाठी साथ होंगे, रास्ते में काव्य एवं व्यंग्य वर्षा की संभावना है। मिलते हैं एक शार्ट ब्रेक के बाद, कहीं जाईएगा नहीं, आता हूं शीघ्र ही लौट कर :))
खबरिया चैनलों से बाबा रामदेव गायब !!!!
.... क्या जनआंदोलन अप्रासंगिक हो गए ?
.... क्या राजनीति सेटिंग और खरीद फरोख्त का पर्याय बन गयी है ?समझदार मंत्री अपने मुख्य चिंटू अफ़सर को बुलाते हैं. उसे समझाते हैं, "देखो, 2 लाख करोड़ के घपले का मौक़ा है. सबसे पहले स्विस बैंक में अपना खाता खोल लो. और देखो, खाता अपने नाम से नहीं, बीवी या साली के नाम से खोलना. वहीं से एनरूट करवा देंगे तुम्हारे लिए सौ करोड़. बाक़ी का मैडम के खाते में चला जाए, इसक पूरा इंतज़ाम बना देना. चुपचाप, किसी को किसी तरह ख़बर न हो. ख़याल रखना." और सब हो जाता है.उन मंत्रियों के बारे में आप स्वयं राय बनाएं जो मीडिया के सामने अपने अफ़सरों से कह दें, " देखो, काम करो. जनता का काम न रुके तो सौ-पचास तुम भी खा लो. कोई हर्ज नहीं है."मंत्री जी की सलाह के बाद, अब मैं खुलकर दिलों की चोरी किया करूंगा...क्योंकि चोरी करना बुरी आदत नहीं...ट्विटर से यह ऑफीशियल कथन है: माननीय जी कह रहे हैं - कस कर काम करो, थोड़ी चोरी मत करो।(older post)
जाते जाते..
वो कह के गए ..
"खुदा करे ...
हम जैसा कोई ना मिले.."
ऐ खुदा ..
उनकी दुआ कबूल कर..
कि..
उन जैसा कोई ना मिले..
--
"SUMAN"
दोस्तों अपन भी आज रात जयपुर अजमेर बांसवाडा चित्तोड गढ़ उदयपुर अहमदाबाद की यात्रा पर निकल रहे है .. अहमदाबाद में बेंगानी जी का आमंत्रण बहुत पुराना है सो सोचा इस बार कैश करा लिया जाए ....यात्रा सडक मार्ग से ....अनिल पुसदकर जी से प्रेरणा पाकर ....सोचा उनकी आधी यानि २००० किलोमीटर तो हम भी वाहन चालना कर ही डाले ...:)गुडगाँव की उबड खाबड सडको और धुल भरे रास्तो पर कंधे पर लैपटॉप और हाथ मैं आईफोन लिए साइकिल रिक्शे की सवारी , बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर हमारी !दीवाने हैं आपके इस बात से इंकार नहीं
कैसे कहें की हमे आप से प्यार नहीं
कुछ तो कसूर है आपकी अदाओं का
अकेले हम ही तो बस गुनाहकार नहींक्या कहें तुझसे शिकवा बड़ा है जिंदगी
और कहें तो भी फायदा क्या है जिंदगी
माटी है आग है पानी है हवा है जिंदगी
बाकी तो सांसों के सिवा क्या है जिंदगी
रोनके दुनिया होगी ज़माने की सोच मेंमेरे लिए ढाई गज का टुकड़ा है जिंदगी
मोत की किसे मालूम ये सब जानते हैं
साँस जब तक है प्यारे ज़िंदा है जिंदगी
जानता है आदमी पर कभी सोचता नहीं
खाली हाथों के सफर का पता है जिंदगी
ढल गया दिन अँधेरा होने को है आलम
अँधेरे के पार ही तो नूरे खुदा है जिंदगी.लाया जा रहा है नयका संशोधन , परमोसन में भी जिससे मिले रिजभेसन ,
अजबे कानून है साला , कोई पढे पूरा सिलेबस , किसी को दू गो लेसन ,
इहे सब कानून बना बना के तो देस का हाल हो गया है अईसन ..रिजभेसन जिंदाबाद :)
majedar
जवाब देंहटाएंशुक्रिया कुलवंत भाई आपका
हटाएंagain face to face from Facebook fadfada ke ..........
जवाब देंहटाएं:-)
फ़ेसबुक भी चर्चा का विषय हो सकता है, किसने सोचा था कल तक :)
जवाब देंहटाएंबहुत खूब अजय भाई ...
जवाब देंहटाएंपूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम और आप सब की ओर से अमर शहीद खुदीराम बोस जी को शत शत नमन करते हुये आज की ब्लॉग बुलेटिन लगाई है जिस मे शामिल है आपकी यह पोस्ट भी ... और धोती पहनने लगे नौजवान - ब्लॉग बुलेटिन , पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !
..रिजभेसन जिंदाबाद :)
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