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गुरुवार, 15 सितंबर 2016

मेरे दोस्तों की खूबसूरत सी बातें ..



अब ये जरूरी तो नहीं कि दोस्त जो भी कहें उसके लिए उन्हें ब्लॉगपोस्ट तक पहुंचना  ही पड़े | असल में मित्र सूची में इतने गुनी और कमाल की प्रतिभा के मालिक लोग हैं कि मन करता है एक एक शब्द को सहेज लिया जाए , कुछ को साझा कर लेता हूँ अपने और अपने मित्र समूह के लिए , यही सोच कर ब्लॉग्गिंग में भी और ब्लॉग पोस्ट में भी दोस्तों की बतकही , दोस्तों के सपने , दोस्तों की ठिठोली , दोस्तों का गुस्सा , दोस्तों का प्यार सब कुछ सहेज लेता हूँ यदा कदा ...समय समय पर खुद भी पलट के पढूं तो आनंद दूना तिगुना होता जाता है ......मित्रता जिंदाबाद , दोस्त जिंदाबाद



कुल मिलाकर दुनिया में आपका सबसे अच्छा और सच्चा मित्र वहीं है जो iPhone 6S या iPhone 6S Plus गिफ्ट कर दे. आज ही दाम 22 हजार रुपये कम हुआ है. पृथ्वी वीरों से खाली कब रही है!


गंदे पानी में नॉर्मल मच्छर पनपता है। साफ पानी में डेंगू का मच्छर पनपता है। सवाल ये है कि पानी को कितना गंदा रखा जाए कि मच्छर पैदा ही न हो।


Samvedna Duggal feeling awesome.
आज पहली बार बैठी हवाई जहाज़ में ..!!
बादलों के बीच ढूंढती रही अपने सपनों के चाँद, सूरज, तारे ..और ....



"जहाँ ज़रूरत हो माफ़ी माँगो लेकिन माफ़ करने की जगह वहाँ भी रखो जहाँ बहुत ज़रूरी नहीं. संसार के बड़े सारे लेन-देन हैं, सो उन्हें चुकता करते चलो. थप्पड़ तुमने पहले भी बहुतेरों को रसीदे हैं, आगे भी कहीं वक़्त- मौक़ा पड़ जाए तो रसीदने से न हिचकना. ये उस बड़े से लेन-देन का ही छोटा-सा हिस्सा है. क्या हम पहले ही इस बात पर चर्चा नहीं कर चुके हैं कि शाओलिन आत्मरक्षा की विधि नहीं बल्कि ध्यान का ही एक चरण है ? अपने शाओलिन चरणों में सजगता से उतरो.
बाक़ी अपने शान्ति के क्षणों में उन सब को प्रणाम करते चलो जो तुम्हारे लिए ये परिस्थितियाँ गढ़ रहे हैं. आगे भी गढ़ेंगे. सारे लोग, सारी परिस्थितियाँ गुरू हैं. समय गुरू है. सबक पक्की कॉपी में दर्ज करते चलो. सबको धन्यवाद देते चलो."
बीते हफ़्ते माँ ने मुझसे ये बातें कहीं.
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सितम्बर की इस दोपहर मन भरा-भरा और मौसम हरा-हरा है. गणपति को विदाई देती सड़कें भीग रही हैं. इधर मेरे कमरे के झीने अँधेरे को मुंशी खान की आवाज़ की मद्धम रौशनी चीर रही है. हवाओं की ख़बर पर यक़ीन करें तो साँझ ढलने के पहले मुहब्बत का कोई फ़रिश्ता दरवाज़े पर दस्तक देगा. शुक्रिया और सलामी का इससे मुफ़ीद वक़्त भला क्या होगा ?
सभी मित्रों-अमित्रों, कुमित्रों-सुमित्रों व विश्वामित्रों तक बाबुषा का धन्यवाद व प्रणाम पहुँचे.
【मम्मम् शरणम् गच्छामि】




मुलायम- तू हम्मसे चाताका है? (तू हमसे चाहता क्या है?)
अखिलेश- कुन्नैह (कुछ नहीं)



कल मेरे ऑफिस में अमेरीका निवासी जो यहाँ पिछले पाँच साल से रह रहे हैं आये... ब्रॉड स्कोट... जी कुछ देर उनके सवालों का जवाब अंग्रेज़ी में देती रही अचानक उन्होंने पूछा,"आप कहाँ की रहने वाली हैं, इंडिया में वाइफ़ को पति का सरनेम लिखना होता है लेकिन आपने अपना नाम सुनीता शानू बताया है मिसेज पवन, आपने एेसा क्यूँ किया? सबसे पहले तो यह सवाल मेरे लिये अप्रत्याशित था, दूसरे किसी अंग्रेज़ के मुँह से इतनी अच्छी हिन्दी सुनना सचमुच बहुत अच्छा लगा, मैने कहा मेरी मर्ज़ी है मै सुनीता चोटिया लिखूँ या शानू लिखू...शायद मेरी मर्ज़ी शब्द उन्हे रूचिकर नहीं लगा, या पहली बार सुना हो, कई बार मेरे शब्दों को दोहराते हुये उन्होंने कहा... आई लव इंडिया, मुझे बहुत पसंद है... तो ठीक है चाय के साथ बिस्कुट चलाइये कहें तो छोले भटूरे भी मँगवा दें, कोई हमारी माँ से प्रेम करे तो मेहमान नवाजी में हर भारतीय पीछे नहीं हटते... जय हिन्दी।


'मृत्युंजय पढ़ते हुए एक ख्याल आया था ....इसमें जिक्र है कि कर्ण रोज स्नान करने के बाद हीरे, मोती,जवाहरात दान किया करते थे ।
जब वे युद्ध मैदान में घायल पड़े थे और मृत्यु के समीप थे तो उन्होंने सुना..एक वृद्ध रोते हुए कह रहा था ,' मैं युद्ध में शहीद अपने पुत्र का अंतिम संस्कार कैसे करूँ, मेरे पास कुछ भी नहीं है ...कर्ण होते तो उनसे धन मांग लेता ।उनसे कई बार धन दान लिया है '
कर्ण भी वृद्ध को पहचान गए ।उन्होंने कई बार उस वृद्ध को दान दिया था ।पर अभी उनके पास कुछ नहीं था ।उन्होंने अपने पुत्र से कहा कि एक पत्थर लेकर मेरा दांत तोड़ दो और उसमें लगा सोना उस वृद्ध को दे दो ।ऐसा ही किया गया ।
कर्ण की दानशीलता प्रसिद्ध है पर एक सवाल उठता है मन में ।बार बार दान लेने के बाद भी कोई गरीब कैसे बना रह सकता है ।और राजा को रोज धन दान करने से बेहतर ये उपाय नहीं करने चाहिए थे कि कोई गरीब ही ना रहे ।किसी को हाथ ही ना फैलाना पड़े ।
एक पुरानी पोस्ट जिसमें जिक्र है कि एक सज्जन सड़क पर रहने वाली एक बूढी महिला को रोज चाय नाश्ता देते हैं ।कई वर्षों से सड़क पर रहते कुछ वृद्ध -वृद्धाओं को लगातार देख रही हूँ ।वे साफ़ कपड़ों में स्वस्थ दिखते हैं ।इसका अर्थ हमारी कॉलोनी वाले उनका अच्छी तरह ख्याल रख रहे हैं ।अब राजा तो हैं नहीं कि उन्हें घर और कारोबार मुहैया करवाएं ।हम लोग बस इतना ही कर सकते हैं ।




दिल्ली की ज़ीरो-सीट पार्टी की छटपटाहट ग़ज़ब है
बेचारे माकन को हर रोज़ कोई नया बहाना ढूंढना होता है टीवी पर दिखने का.
और अभी चुनाव भी इतने दूर हैं कि लगता है, तब तक तो पूरा ख़र्च हो लेगा ये


"मुद्दते बीत गई ख्वाब सुहाना देखे;
जगता रहता है हर नींद में बिस्तर मेरा!"



खबर: एप्पल के स्टोर पर बुधवार से ही लोग बोरा बिस्तर और तंबू लेकर लाइन में लग जाएंगे ताकि शुक्रवार को फोन पा सकें....
वाकई में सही बात है कि जब तक सलीमा और मोबाइल रहेगा... लोग बेवकूफ बनते रहेंगे... (रमाधीर सिंह साहब से क्षमा सहित ;) )





 
ज़िन्दगी.... एक चिट्ठी से दूसरी चिट्ठी तक का इंतज़ार भी होती है.....!



घर का कम्प्यूटर बिगड़ जाए
तो माता-पिता कहते हैं
बच्चों ने बिगाड़ा है
और अगर बच्चे बिगड़ जाएं
तो कहते हैँ
कम्प्यूटर ने बिगाड़ा है।



मने शिवपालगंज के कुसहर प्रसाद को उनके बेटे छोटे पहलवान ने परंपरानुसार फिर एक लाठी जमा ही दी। महीने में एक दो बार टुर्र-पुर्र के चलते लाठी जमाने की फ्रिकवेंसी बरकरार है। कुसहर घायल होने से हाहू हाहू करते चले जा रहे हैं.....तिस पर अपने बेटे की ताकत का बखान सुन प्रसन्न भी हो रहे हैं।
.....और छोटे पहलवान कह रहे हैं -
"गुरु, बाप जैसा बाप हो, तब तो एक बात भी है" !


समाचार चैनलों को देखते हुए जब स्पीड न्यूज, बुलेट न्यूज, एक मिनट में 5 न्यूज 10 न्यूज.. टाइप कार्यक्रमों से पाला पड़ता है तब फिल्म 'अमर अकबर एंथोनी' का यह डॉयलॉग खूब याद आता है-
"ऐसा तो आदमी लाइफ में दोइच टाइम भागता है, ओलंपिक का रेस हो या पुलिस का केस हो । "


उनके बीच मतभेद इस कदर बढ गये कि उन्होंने बयान जारी कर दिया - ’हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है ।’


इक गुज़ारिश है अगर मानो तो
क्या हक़ीक़त है पहले जानो तो
दर-ए-ख़ुल्द वा है आप ही के दर से
अपने अंदर के ख़ुदा की जो मानो तो.... विजय "अंजुमन"



इस दुनिया में जो भी चीज़ें दिखती हैं / विद्दमान हैं ,उन्हें या तो 'ईश्वर' ने बनाया है या 'इंजीनियर्स' ने । अब आगे क्या कहें ,बधाई तो बनती है 'आज' की ।


इसी सप्ताहांत से बहुत समय से बंद पड़े कालम "ब्लॉग बातें " ..जिसमें किसी एक विषय पर लिखी गयी बहुत सारी ब्लॉग पोस्टों की उन ब्लोग्स के पते और ब्लोगर के नाम के साथ ,उद्देश्य सिर्फ आम पाठकों ,प्रिंट व् अन्य माध्यमों ,तक ब्लॉग सूत्रों को पहुंचाना .....एक तरह की लघु रिपोर्ट ...साप्ताहिक रहेगी ..फिलहाल हिंदी दिवस और हिंदी पर लिखी पोस्टों की कतरनों को संभाल रहा हूँ ....हिंदी ब्लोगिंग के लिए लिए बहुत कुछ किया जाना शेष है , जिसमें सबसे पहला है ,,,हिंदी में ब्लॉग्गिंग करना ....ब्लॉग पोस्ट तो हम लिख ही रहे हैं .....मगर ब्लॉग्गिंग में फर्क है .....फिर हिंदी में तो अभी हम वर्गीकृत भी नहीं हुए हैं विशेषज्ञता तो बहुत दूर की बात है ....

4 टिप्‍पणियां:

पोस्ट में फ़ेसबुक मित्रों की ताज़ा बतकही को टिप्पणियों के खूबसूरत टुकडों के रूप में सहेज कर रख दिया है , ...अब आप बताइए कि आपको कैसी लगे ..इन चेहरों के ये अफ़साने