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बुधवार, 28 जून 2017

खूबसूरत किस्से दोस्तों के



फेसबुक पर लगातार रोचक टिप्पणियाँ करते मित्र अक्सर इतनी सुन्दर और सहेजनीय बात कह जाते हैं कि, उनका संग्रहण और ब्लॉग जगत के लिए सम्प्रेषण आवश्यक सा लगता है | भविष्य में जब अंतरजाल पर हिंदी पढने वालों की संख्या करोड़ों में पहुंचेगी , तब अंतरजाल पर पठनीय सामग्रियों के तलाश में पहुँचने वाली पीढी ,जब यहाँ पहुँच कर दोस्तों की बतकही पढेगी , सुनेगी और बहसियाएगी ,तब इनकी सार्थकता सिद्ध होगी .......




बड़े लोगों के यहाँ टिप्पणी करने की भूल के पश्चात further notification off करना न भूलें।
(जनहित में जारी)

दिन तो जैसे भी हों गुजर ही जाते हैं
कुछ लोग मगर दिल से उतर जाते हैं


हर तरफ मासूम नाम है जिसका,
वो करके हर गुनाह अक्सर भूल जाता है।
न उसे कत्ल याद है, न अपना एक भी झूठ,
वो करके हर साजिश भी अक्सर भूल जाता है।

बोल यह अभिशाप कैसा
जो उजाला खा गया है,
लहुलुहान कर वतन को
जो धुएं सा छा गया है..!!

इस दौर में इंसान का चेहरा नहीं मिलता
कब से मैं नक़ाबों की तहें खोल रहा हूँ !


ज़िन्दगी रास न आये तो क्या कीजे
दर्द दिल में न संभल पाए तो क्या कीजे

भावनाओं का प्रबंधन भी सीखना चाहिए। भावनाओं का कुप्रबंधन बहुत सारी चीजों को बिगाड़ कर रख देता है।


लेखक अपनी मीठी ग़लतफ़हमियों के दम पर लेखक बनता है,दूसरे की प्रशंसा के भरोसे पर नहीं।---शरद जोशी


जो कुछ भी माँगोगे दूँगा ये सपने तो परमहंस हैं
मुझको नंगे पाँव धार पर आँखें मूँद भागना होगा
-------------------------------------------- / रामावतार त्यागी


स्सा बनाया. बाद में मुड़े-चुड़े धोती कुरता वाले चन्द्रशेखर प्रधानमंत्री बने जो अंग्रेजी धाराप्रवाह बोलते तो थे लेकिन भोजपुरी लहजे में. उनसे एक बड़े टीवी पत्रकार ने इंटरव्यू में पूछ लिया था कि जब आप इस तरह के कपड़े पहन कर सार्वजनिक स्थानों पर जाते हैं तो क्या आपको नहीं लगता कि इससे भारत की छवि खराब होती है. चंद्रशेखर जी ने जवाब दिया था कि आप अपने देश के प्रधानमंत्री से ऐसे सवाल पूछकर बड़े पत्रकार नहीं बन जायेंगे. मैं देश के वर्तमान प्रधानमंत्री का कोई प्रशंसक नहीं हूँ लेकिन वे जब भी विदेश जाते हैं तो सोशल मीडिया पर उनके बोलचाल के लहजे, उनके मैनरिज्म को लेकर टीका टिप्पणियां शुरू हो जाती हैं. इस भेड़चाल में कुछ अंग्रेजी अखबार भी शामिल हो जाते हैं. यह एक मानसिकता है. जो यह मानता है कि भारत का प्रधानमंत्री वही हो सकता है जो अचूक अंग्रेजी बोलता हो.
हिंदी हीन भावना और अंग्रेजी मतलब उच्च संस्कार- यह मानसिकता के अलावा और कुछ नहीं है. हिंदी का विस्तार हो रहा है लेकिन हमारी मानसिकता न जाने कब बदलेगी?

मोदी जी
दो-चार दिन बिदेस क्या गए...
टमाटर तू इतना लाल हो गया !!! 😠 

पति पत्नी का रिश्ता 'विश्वास' और 'समझ' पे टिका होता है...
"पत्नी कभी विश्वास नहीं करती,
*और पति को कुछ समझ नहीं आता...😂😂


😂





2 टिप्‍पणियां:

पोस्ट में फ़ेसबुक मित्रों की ताज़ा बतकही को टिप्पणियों के खूबसूरत टुकडों के रूप में सहेज कर रख दिया है , ...अब आप बताइए कि आपको कैसी लगे ..इन चेहरों के ये अफ़साने