इन दिनों फ़ेसबुक पर तेज़ी से बदलते घटनाक्रमों पर लोग अपनी बात रख रहे हैं , लिख रहे हैं , बहस कर रहे हैं और एक पूरी ज़मात तो बगावत पर उतर आई है । देखिए न वे बगावती चेहरे क्या कैसे कह रहे हैं ??
क्या आर.एस.एस. और बी.जे.पी. को भ्रष्टाचार पर बोलने का अधिकार नहीं है?
सुनील कुमार को जिन पत्रकारों ने बेरहमी से पीटा है,हम चाहते हैं कि हमारे पत्रकार साथी उनके नाम हम तक पहुंचाएं। हम उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने की मांग करना चाहते हैं। सुनील कुमार ने जूते दिखाए तो उन पर दर्जनों केस लाद दिए गए और जिन पत्रकारों ने जमकर पीटा,वो मसीहा बनकर घूम रहे हैं,ऐसा कैसे चलेगा?
आज स्टार न्यूज़ पर दिग्विजय सिंह बाबा रामदेव को बड़ी इज्जत बख्स रहे हैं. रामदेव कहते - कहते अब बाबा रामदेव कह रहे हैं. भाषाई मर्यादा में बात कर रहे हैं. विश्वास ही नहीं हो रहा कि ये यही दिग्विजय सिंह है. असली कॉंग्रेसी नेता हैं.
भारत सरकार ने शर्त रखी है कि "लोक-पल बिल" के लिए, कम से कम 25 करोड़ लोगों का समर्थन होना अनिवार्य है....आप सब से अनुरोध है, कि ऊपर दिए गए नंबर पर कॉल करें (नि:शुल्क), और अपना समर्थन दें, यह सिर्फ मिस कॉल होगी...मैंने कॉल कर दी है, अब आपकी बारी है....
जूतम-पैजार के इस माहौल में मुझे सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी कि लिखी यह कविता बहुत याद आ रही है..
जूता
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उसने कहा-मेरे जूते की पालिश में
तुम अपना चेहरा देख सकते हो।
मैंने तिलमिलाकर सोचा
वे लोग खुशनसीब हैं
जिनके चेहरे नहीं हैं।
फिर ख्याल आया
नहीं वे लोग भले आदमी हैं
जो जूते नहीं पहनते।
और अब कुछ अपनी बातें
आज देश को कुछ लोगों ने बारूद के ढेर पर बिठा दिया है , और वो सोच रहे हैं कि विस्फ़ोट की आग से उन्हें सियासत बचा सकेगी शायद वे भूल रहे हैं कि आग की तपिश , ऊपर नीचे का फ़र्क नहीं किया करती
चिंगारी सुलग चुकी है और इसे हवा देने वाले भी अपना काम बखूबी कर रहे हैं अब हमारा ये कर्तव्य बनता है कि उनका पुरज़ोर समर्थन इस रूप में करें कि वो सरकार और उससे जुडे हर भ्रष्टाचार के खिलाफ़ इतनी मजबूती से खडे हो सकें कि न सिर्फ़ भ्रष्टाचार बल्कि सरकार भी तिनके की तरह उड जाए , मैं हर मोर्चे , हर मोड और हर मुद्दे पर उनके साथ खडा हूं ..और आप
अब समय आ गया है कि नेताओं/मंत्रियों को टीवी स्टूडियोज़ से बाहर निकल कर आम जनता के सामने आकर अपनी बात कहने , बहस करने , और आम लोगों के प्रश्नों का उत्तर देने के लिए बाध्य किया जाए , खुली बहस हो , विमर्श हो
16 अगस्त के बाद तो जो होगा वो होगा ही , लेकिन ये बहुत जरूरी हो जाता है कि , तब तक इस चिंगारी को अब बुझने न दिया जाए और हो सके तो इसे हवा देने का एक भी मौका न गंवाया जाए ...मैं खुद सोच रहा हूं कि बहुत जल्द अंतर्जालिक मित्रों को एक बार आपस में मिलने का मौका दिया जाए , ताकि सब ट्विट्टरिए , फ़ेसबुकिए , और ब्लॉगर्स ..एक शक्तिशाली स्तंभ के रूप में सामने आकर ,चुनौती की तरह सरकार को चुभ सके
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गुरुवार, 9 जून 2011
ये चेहरे तो बगावत पे उतर आते हैं ..happy facebooking
इन दिनों फ़ेसबुक पर तेज़ी से बदलते घटनाक्रमों पर लोग अपनी बात रख रहे हैं , लिख रहे हैं , बहस कर रहे हैं और एक पूरी ज़मात तो बगावत पर उतर आई है । देखिए न वे बगावती चेहरे क्या कैसे कह रहे हैं ??
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एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
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कहे तो हम भी बहुत कुछ थे ... लगता है आप सुने ही नहीं ... बाकी भाइयो की कही सुनाने के लिए ... बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंअरे शिवम भाई , सर फ़ुडा के थक गए मगर फ़ेसबुक से फ़ोटो कैसे चेपी जाती है पोस्ट पर ई नहीं सुझाया ससुरा ..आखिरकार नहीं ही हुआ । सो रह गया , चलिए हैप्पी फ़ेसबुकिंग को ज़ारी रखिए
जवाब देंहटाएंलिंक सहित काहे नहीं चेंपा करते ??
जवाब देंहटाएंजिससे पाठक पूरा हिस्सा पढ़ सके !
कौनो हेल्प की जरुरत .....तो नहीं ??
फ़ौरन टूसन शुरू करिए मा स्साब । अरे जरूरत है महाराज ..घनघोर जरूरत है
जवाब देंहटाएंट्यूशन खुले में ??
जवाब देंहटाएंनहीं आ रहे हैं आपके ई-मेल बॉक्स में !
" maja aagaya sir ..ye chingari aisi hi sulagati rahe ...
जवाब देंहटाएंkhabar mili hai ki DMK aaj apana congress ko support vapis le rahi hai
chingari ko bujane mat dena ..
यहीं से जब लतियाया जायेगा तो एक-आध को महसूस भी होगा !
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