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रविवार, 9 जून 2013

मुख-पुस्तक के कुछ मुखडे ……..

 

 

  • Gyan Dutt Pandey
    वो कहते हैं कि एक रोटी कम खाओ और एक मील रोज और चलो तो दस साल ज्यादा जियोगे। आईडिया बुरा नहीं है!

  • सनातन कालयात्री
    कल घंटा भर एक सज्जन को सुनने के पश्चात अचानक यह अनुभव किया कि पूर्वार्द्ध में जिन माँगों को लेकर वे बहुत ही अधीर थे, उत्तरार्द्ध में उन सबको एक एक कर खारिज कर दिये। मैं केवल उतना ही बोला जितना कि वार्तालाप के जारी रहने के लिये आवश्यक हो और आवश्यक रुचि भी दिखाई। जाते समय बहुत ही संतुष्ट दिखे जब कि मैं अब तक शॉक में हूँ कि वे किस लिये आये थे? कहीं सज्जनता में मैं टाइमपासी का शिकार तो नहीं हो गया!

  • Neeraj Badhwar
    क्या पवन बंसल का भांजा आडवाणी साहब का 'पीएम इन वेटिंग' कंफर्म करवा सकता है?

  • Prashant Priyadarshi
    सिनेमा अच्छी होनी चाहिए, मशालेदार तो चिली चिकेन भी होता है!!!

  • Abhishek Kumar
    निमिषा : तुम जब से ब्लॉग बनाये हो तो कुछ भी लिख देते हो और हमको कभी समझ में नहीं आता... ट्रैफिक के शोर में प्यार के तीन शब्द???...हे भगवान..इसका मतलब क्या हुआ?क्यों लिखे थे ये? कौन बोलता है ये शब्द...और कैसा कौन सा शब्द....ट्रैफिक में तो खाली होर्न सुनाई देता है...तुम शब्द कहाँ से सुन लेते हो भैया?..तुम्हारा ब्लॉग सब कैसे पढ़ लेता है..ये सब फ़ालतू बात को पढ़कर तुम्हारा ब्लॉग पर इत्ता लोग कुछ कुछ लिखता भी है....हमको तो टाईम बर्बाद करना लगता है...
    मैं : तुमको समझ में नहीं आएगा बाबु....अभी तो तुम बच्ची हो न रे..
    निमिषा : हम अभी अभी बड़े हुए हैं..हमको पता चल जाएगा तुम बताओ चुपचाप
    मैं : तुम अभी बड़ी हुई है या बड़ी हो रही है?
    निमिषा : चुप रहो...हम बड़े हो नहीं रहे..(फिर कुछ देर सोचकर कहती है)हम बड़े हो चुके हैं..हम अकेले ऑटो पे बैठ कर जा सकते हैं....वहां(वनस्थली, उसका कॉलेज) सारा काम अकेले करते हैं...और भी बहुत कुछ करते हैं तो हम बड़े हो चुके हैं तुम हमको बच्ची मत बोलो नहीं तो बात नहीं करेंगे.
    __________________________________________
    (पिछले साल की एक बात)


  • Prabhat Ranjan
    जिस आदमी के नेता बनने की खबर मात्र से एक पार्टी में इस कदर अफरा-तफरी मच गई हो, सोचिये अगर वह कहीं धोखे से प्रधानमन्त्री बन गया तो देश का क्या हाल होगा!


  • Amitabh Meet
    शेर मेरे भी हैं पुरदर्द, वलेकिन 'हसरत' !
    'मीर' का शेवा-ए-गुफ़्तार कहाँ से लाऊँ ?

  • Suresh Chiplunkar
    जो "बुद्धिजीवी" आज नरेंद्र मोदी और भाजपा का रास्ता रोकने की कोशिश कर रहे हैं...
    यही लोग कल UPA-3 के भ्रष्टाचार और आतंकवाद पर घड़ियाली आँसू भरे स्टेटस लिखते दिखाई देंगे...
    ============
    नोट :- बुद्धिजीवी = अपनी बुद्धि बेचकर (या गिरवी रखकर) जीविका कमाने वाले...
    सुप्रभात मित्रों...

  • Vani Geet
    यह पहेली भी खूब रही कि नदी ने पत्थरों को तराशा या नदी को पत्थरों ने किनारों में बाँधा !

  • Vandana Gupta
    यूँ तो पी जाती गरल भी
    और रह जाती ज़िन्दा भी
    मगर
    बरसेगी कभी तो कोई बूँद मेरे नाम की
    इस आस में युग युगान्तरों से बैठी है
    मेरी प्यास .....ओक बन ...........मोहब्बत के मुहाने पर
    क्योंकि
    ये कोई सूदखोर का ब्याज नहीं जो चुकाने पर खत्म हो जाये
    मोहब्बत की किश्तें तो जितनी चुकाओ उतनी ही बढा करती हैं

  • Sunita Shanoo
    कुछ देर उनसे बात हो
    ख्वाबों में ही सही,
    बस मुलाकात हो
    सुप्रभात दोस्तों

  • Anup Shukla
    फ़ेसबुक पर किसी भी स्टेटस पर आत्मविश्वासपूर्वक सटीक टिप्पणी/लाइक करने का एकमात्र उपाय है कि आप टिप्पणी/लाइक करने के तुरंत बाद उस पोस्ट को पढ़ना शुरु कर दें। पहले पढ़कर टिप्पणी/लाइक करने में पढ़ने के साथ आपका आत्मविश्वास कम होता जायेगा।

  • Suman Pathak
    पहले लगता था ..
    अपनी इच्छाओं को मारकर एक खुबसूरत रिश्ता तो बनाया जा सकता है पर एक खुबसूरत ज़िन्दगी नहीं ..
    पर अब लगता है कि अपनी इच्छाओं के साथ जीकर खुश होने से अगर अपनों को दुःख पहुंचे तो शायद उस ख़ुशी का भी कोई महत्व नहीं ...
    सच है के इन्सान को कुछ सीखने के लिए दूसरों के पास जाने की ज़रुरत नहीं ... समय के साथ हर ज्ञान खुद बा खुद इन्सान में आ जाता है .. ..

  • Deepti Sharma
    यू. पी. बोर्ड दसवीँ में तीन लाख 42 हज़ार छात्र हिन्दी में फेल ।
    उफ़...

  • Kajal Kumar
    लगता है कि‍ आडवाणी, केंद्र के केशुभाई बनने की तैयारी में हैं

  • Kailash Sharma
    कितना सूना है घर का हर कोना,
    एक आवाज़ को तरसता है.
    ....कैलाश शर्मा



  • Vivek Singh
    आडवाणी जी का नाम प्रधानमंत्रियों की लिस्ट में यूँ ही लिखवाकर मामला रफादफा क्यों नहीं कर देते.......

  • Abhishek Cartoonist
    आदमी का उतावलापन तो देखो ... ज्येष्ठ माह में ही बरसात मांग रहा है ..... हे भगवान् !

  • देवेन्द्र बेचैन आत्मा
    आज सुबह चार बजे उठे। आस पास के पाँच और लोगों को जो रोज मार्निंग वॉक करने जाते हैं, जुटाकर तीन मोटर साइकिल से सूर्योदय से पहले दशाश्वमेध घाट गये। दशास्वमेध से तुलसी घाट तक पैदल वॉक किया। खूब जमकर फोटोग्राफी करी। गंगा स्नान किया। तैराकी की। (अधिक नहीं तैर पाया..चलने के बाद थक चुका था। :( ) नहाकर बाबा विश्वनाथ का दर्शन किया। दर्शन के बाद चौक चौराहे में कचौड़ी-जिलेबी का नाश्ता किया, मगही पान जमाया और साढ़े नौ बजे तक सारनाथ वापस।
    कोई लाख कहे गंगा घाट पर खूब गंदगी है, गंगा मैली हो गई है लेकिन आज भी सूर्योदय से पहले घाटों पर टहलने और गंगा स्नान करने में जो आनंद है उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। ऑपरेशन 'सुबहे बनारस' सफल रहा।

  • Girish Mukul
    मेरे महबूब का साथ मिला जब से मुझे
    मेरे होने का एहसास मिला तब से मुझे !
    दूर आती पाजेब की सुन के छन छन-
    उसके आने का आभास मिला तब से मुझे !!

  • Ajit Wadnerkar
    दूषत जैन सदा शुभगंगा।
    छोड़ हुगे यह तुंग तरंगा।।
    महाकवि केशवदास की उक्त पंक्ति का भाव है कि जैनी अगर गंगा की निन्दा करते हैं तो करते रहें, सिर्फ इसी वजह से क्या हम उत्ताल लहरों वाली गंगा को पूजना छोड़ देंगें? मैं नहीं जानता कि जैन वांङ्मय की किस धारा में गंगा की निन्दा है। हाँ, गंगा तीरे यानी काशी में तेईसवे तीर्थंकर पार्श्वनाथ हुए थे। अहिंसा विचार के मद्देनज़र देखे रामायण का एक प्रसंग है कि तो वनगमन के दौरान सीता ने गंगा पार करते वक्त भयवश देवी गंगा यह प्रार्थना की थी कि सकुशल लौट आने पर वे उन्हें मांस का चढ़ावा देंगी। क्या यह वजह है निन्दा की ? जैन, बौद्ध और अनादि काल से चले आ रहे जातियों के सांस्कृतिक संघर्ष में न जाने कितनी हिंसा हुई, लहू से गंगा गाढ़ी नहीं हुई, बल्कि हिंसा की गहनता को तरह बना दिया। सागर की अतल गहराई में पहुँचा दिया। गंगा तो आज खुद हिंसा की शिकार है। हजारों साल पहले की पुण्य सलिला की निंदा भी क्या हिंसा नहीं ? अगर हिंसा ही वजह थी तब आज की गंगा को प्रदुषित करने वाले तमाम धर्मावलम्बियों के विरुद्ध कैसी कार्रवाई होनी चाहिए?

  • Xitija Singh
    देवदार पुकार रहे हैं ... :)))))))))))))) — feeling excited at off to SHIMLA ... .

  • Awesh Tiwari
    मैदान चाहे क्रिकेट का हो या फिर राजनीति का ,विदाई एक ही तरीके से होती है ,आडवाणी को देखकर मुझे गांगुली और अजहर याद आ रहे हैं

  • Geeta Gaba Geet
    मेरे महबूब का साथ मिला मुझे जब से
    खुश रहने के बहाने मिले तब से ..

  • Bhawesh Jha
    हम भी तम्हें उँचाइयों पर दिख गए होते..
    अगर हम भी थोड़ा-सा बिक गए होते

  • Mayank Saxena
    कभी बारिश, कभी मिट्टी में मैं सन जाता हूं
    तुम्हारे पास आ के बच्चा बन जाता हूं
    हज़ार बार मैं इनकार करता हूं सबको
    तुम्हारी आंख झपकने से ही मन जाता हूं
  • 5 टिप्‍पणियां:

    पोस्ट में फ़ेसबुक मित्रों की ताज़ा बतकही को टिप्पणियों के खूबसूरत टुकडों के रूप में सहेज कर रख दिया है , ...अब आप बताइए कि आपको कैसी लगे ..इन चेहरों के ये अफ़साने