"हरिशंकर परसाई को मुकम्मल जानना आसान नहीं है। इसका दावा करना भी असम्भव है। इसमें समाजशास्त्र , सौंदर्यशास्त्र और आलोचना-कर्म की बहुतेरी जटिलतायें हैं।"
-ज्ञानरंजन
घुघनी+पूड़ी+ठेचा=उत्तम आहार...
ई लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी के सफाई अभियान की आलोचना की
- सब दिखावा है !
दिखावा ही सही …
आपने और हमने क्यूँ नहीं किया ?
हम तो गंदगी फैलाते हैं
हमारा तठस्थ कार्य यही है
कहीं भी पान का थूक
कागज़ के टुकड़े
केले के छिलके फेंककर
हम शान से आगे बढ़ जाते हैं
अपरोक्ष रूप से यही तठस्थ संस्कार
अपने आनेवाले कल को देते हैं …
मोदी ने बच्चों को एक उचित मार्ग दिखाया
'दिखावा है' कहकर
अपने बच्चों को बड़बोला ना बनायें
एक बार झाड़ू उठायें
प्रदूषण को दूर भगायें
३२ तो केवल न्यूज़ में है .... असल में कितने होंगे ये तो बलि लेने वाली माई ही जानती होगी....
पटना, पटना, पटना....
हर तरफ़ से पटना ही पटना, चूहा, दारू, घूस, मुआवज़ा, राजनीति....
ओफ्ह!
मानव! तुम मानवों की मदद करना!
अब सारे रावण जल गए, कोई नहीं आएगा मदद को! सारे रावण लिख्खाड़ होकर फ़ेसबुक पर आ गए साइबर रावण बनकर ।
राखी सावंत, शाहिद कपूर चुंबन, कॉमिडी शोज़ और बिग बॉस के क्लिप दिखाने वाले नीच स्तर के चैनलों ने कभी भी इस बात पर विमर्श किया कि एक सूबे का मुख्यमंत्री दस साल तक पब्लिक ब्रॉडकास्टर पर बैन क्यों था। नामुरादो तुम रावण लाइव दिखाओ, साई बाबा को दीवार पर दिखाओ, हनुमान के आंसू दिखाओ...पुनर्जन्म की कहानियां, स्वर्ग की सीढ़ी...भूत-प्रेत की कहानियां दिखाओ...बिना ड्राइवर की कार...हर सुबह राशिफल दिखलाओ...कोई प्रश्न नहीं पूछ सकता। लेकिन किसी चैनल को क्या दिखाना है यह उसके ऊपर छोड़ दो।
सच ही कहा है...
राम तुम्हारे युग का रावण अच्छा था।
दस के दस चेहरे सब बाहर रखता था।।
-प्रताप सोमवंशी
खादी !
आनंदम्......आनंदम्....!
घर में छुट्टियाँ बिताना आनन्द से मायूसी की ओर एक यात्रा है। उसके अंत में एक मायूस आनन्द हाथ लगता है।
सु- मन reading मन
हायकु
गम की आँधी
झर रहे सुमन
जीवन तरु ।
सु-मन
कभी अपने 'गिरेबान' में भी निगाह डालकर देखिए, वहां भी बहुत कुछ 'वायरल' होता हुआ-सा नजर आएगा।
भगवान राम के समय अगर प्रतिभा पाटिल राष्ट्रपति होती तो आज तक रावण की दया याचिका उनके पास सुरक्षित होती और हम कभी भी दशहरा न मना पाते।
आदर्शों के देश में , संघर्षों की बात
चन्दा की अठखेलियाँ , पानी भरी परात ।
जला कर तालियाँ बजाने को ही सही
हम हर साल हजार रावण बनाते हैं...
जब भी जी चाहा,
ढेरों इलज़ाम धर दिया,
जब भी जी चाहा,
सर पर बिठा लिया..
'सच्ची कहो न',
'ये' कैसी प्रीत है 'पिया' !!अनुश्री!!
Sagar Nahar feeling sad
उफ उफ! धर्म के नाम पर इतनी जीव हत्या सिर्फ एक दिन में! खासकर मंदिरों के अन्दर-बाहर!
मन इतना खराब है कि शुभकामनाएं देने वाले कितने सारे मित्रों से बचता रहा कि कहीं उन पर गुस्सा ना निकल जाए।
इस देश को सम्मोहित कर सकने की हद तक मोटिवेट करने वाली शख्सियतों की बहुत जरूरत रही है हमेशा से , शायद यही वजह है कि परिवर्तन को तत्पर आज का भारत हर नई सोच , नए विकल्प , नए प्रयास को न सिर्फ़ पूरी संज़ीदगी से ले रहा है बल्कि उसे भली भांति आत्मसात करने का मन भी बना रहा है । ऐसे में ये निश्चित रूप से बहुत ही अच्छी बात है कि सभी क्षेत्रों के अगुआ लोग अपने अपने स्तर से आम जनमानस को प्रेरित करने में लगे हैं , अभी हाल ही में नवनियुक्त प्रधानमंत्री का देश को स्वच्छ बनाने के लिए नागरिकों के योगदान का आह्वान फ़िर आमिर खान जैसे लोकप्रिय और प्रयोगधर्मी अभिनेता का सत्यमेव जयते जैसे सार्थक कार्यक्रम के माध्यम से देश के सामने खेल और खिलाडी की भावना की शक्ति और प्रयोग की पहचान , इसी देश के गुमनाम हीरोज़ से मुलाकात , लोगों को बेहतर और सकारात्मक सोचने के लिए विवश कर रहा है , खेल , राजनीति, सिनेमा , कैरियर , ............बदलाव सबमें दिख रहा है
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