जहां चेहरे कहते रहते हैं ,जहां चेहरे सुनते रहते हैं ,
कई रातों को जागा करते हैं ,कई सपने बुनते रहते हैं ...........।
देखिए कि मित्र मंडली , फ़ेसबुक पर क्या कह सुन रही है .
एक तन पर सोने के तार खिंचे, एक तन पर सूत के तार नहीं
इसलिये बगावत करता हूं, ये अन्याय मुझे स्वीकार नहीं..
देखा जब नहीं उनको और हमने गीत
नहीं गाया
जमाना हमसे ये बोला की फागुन
क्यों नहीं आया
फागुन गुम हुआ कैसे ,क्या तुमको कुछ
चला मालूम
कहा हमने ज़माने से की हमको कुछ
नहीं मालूम
पाकर के जिसे दिल में ,हुए हम खुद से बेगाने
उनका पास न आना ,ये हमसे तुम जरा पुछो
बसेरा जिनकी सूरत का हमेशा आँख में रहता
उनका न नजर आना, ये हमसे तुम जरा पूछो
जीवितं है तो जीने का मजा सब लोग ले
सकते
जीवितं रहके, मरने का मजा हमसे
जरा पूछो
रोशन है जहाँ सारा मुहब्बत की बदौलत
ही
अँधेरा दिन में दिख जाना ,ये हमसे तुम
जरा पूछो
खुदा की बंदगी करके अपनी मन्नत पूरी सब
करते
इबादत में सजा पाना, ये हमसे तुम
जरा पूछो
तमन्ना सबकी रहती है, की जन्नत
उनको मिल जाए
जन्नत रस ना आना ये हमसे तुम जरा पूछो
सांसों के जनाजें को, तो सबने
जिंदगी जाना
दो पल की जिंदगी पाना, ये हमसे तुम
जरा पूछो
नहीं गाया
जमाना हमसे ये बोला की फागुन
क्यों नहीं आया
फागुन गुम हुआ कैसे ,क्या तुमको कुछ
चला मालूम
कहा हमने ज़माने से की हमको कुछ
नहीं मालूम
पाकर के जिसे दिल में ,हुए हम खुद से बेगाने
उनका पास न आना ,ये हमसे तुम जरा पुछो
बसेरा जिनकी सूरत का हमेशा आँख में रहता
उनका न नजर आना, ये हमसे तुम जरा पूछो
जीवितं है तो जीने का मजा सब लोग ले
सकते
जीवितं रहके, मरने का मजा हमसे
जरा पूछो
रोशन है जहाँ सारा मुहब्बत की बदौलत
ही
अँधेरा दिन में दिख जाना ,ये हमसे तुम
जरा पूछो
खुदा की बंदगी करके अपनी मन्नत पूरी सब
करते
इबादत में सजा पाना, ये हमसे तुम
जरा पूछो
तमन्ना सबकी रहती है, की जन्नत
उनको मिल जाए
जन्नत रस ना आना ये हमसे तुम जरा पूछो
सांसों के जनाजें को, तो सबने
जिंदगी जाना
दो पल की जिंदगी पाना, ये हमसे तुम
जरा पूछो
बधाई....!!!! लड़ कर जीते कटक मे ....
मेरी ज़िन्दगी ने तो मौत से दोस्ती कर ली,
अब मौत की खुशी की खातिर मौत ही सही !!
स्व.
राजीव गांधी के तीन खास सपने ... जो हमें उस वक्त बहुत पसंद थे ... पहला
... नौकरियों में डिग्रियों की अनिवार्यता खत्म हो .... दूसरा .. गॉंव
गॉंव और बच्चे बच्चे तक सूचना प्रौद्योगिकी पहुँचे .... मीडिया निष्पक्ष ,
सिस्टम पारदर्शी एवं स्वच्छ तथा हर देशवासी उच्च शिक्षित बने, हर आदमी
को रोजगार, काम धंधा मिले और देश में हर एक को रोजी व रोटी मुनासिब मयस्सर
हो, संप्रदायिकता व धर्मांधता, गरीबी व अशिक्षा
मुक्त भारत हो, देश की नदियां प्रदूषण मुक्त हों, प्रदूषण से मुक्त
स्वचछ पर्यावरण हो, देश में नई हरित व श्वेत क्रांति हो, ग्लोबलाइजेशन
के दौर में भारत नंबर 1 हो, विश्वमंच पर भारत सर्व सम्मानित प्रमुख
स्थान ग्रहण करे ..... उम्मीद है कांग्रेस राजीव जी के कम से कम ये तीन
सपने कभी नहीं भूलेगी..... हमें नहीं पता कि आज कितने कांग्रेसी राजीव जी
के इन सपनों को हकीकत में बदलने के पथ पर अग्रसर हैं .... हालांकि उस वक्त
राजीव जी के निधन के वक्त सभी कांग्रेसियों ने बयान जारी कर उनके अधूरे
कामों और सपनों को पूरा करने का देश से वायदा अवश्य किया था ... किंतु जब
युवा कांग्रेस का सम्मेलन हुआ है तो हमें राजीव जी के सपने को याद दिलाना
कुछ उचित प्रतीत हुआ ... उनके सपने के जिक्र बगैर युवा कांग्रेस सम्मेलन
की बात अधूरी रह जाती क्योंकि राजीव जी की पहचान देश के युवा नेता के रूप
में ही थी ....
प्रसिद्ध कथाकार उदयप्रकाश ने सवाल उठाए हैं - साहित्य क्या पीड़ाओं, यंत्रणाओं और अन्यायों कोछुपाने के लिए शब्दों की कला-संयोजनाओं का भाषिक- क्षेत्र है ? या साहित्य की कोई मानवीय प्रतिश्रुति है?
न मंदिर में सनम होते, न मस्जिद में खुदा होता
हमीं से यह तमाशा है, न हम होते तो क्या होता
यूँ तरस मत खाइए हम वक़्त के मारे नहीं हैं ....
जंग हारे हों भले हम होंसला हारे नहीं हैं
दीप दिल में इक तुम्हारे प्यार का जलता रहे बस
फिर नहीं गम भाग्य में ये चाँद ये तारे नहीं हैं
...
हाथ में ले कर दुधारा हम समर में हों खड़े पर ...
ये यकीं रखना हमारे वार दोधारे नहीं हैं ...............
हम अगर बागी हुए तो ताज होंगे ठोकरों में .....
हम फकत खामोश हैं हम लोग बेचारे नहीं हैं ....
कामना तो ताकती है आज भी रस्ता तुम्हारा
हाँ मगर इस देह के अरमान अब कुंवारे नहीं हैं
जंग हारे हों भले हम होंसला हारे नहीं हैं
दीप दिल में इक तुम्हारे प्यार का जलता रहे बस
फिर नहीं गम भाग्य में ये चाँद ये तारे नहीं हैं
...
हाथ में ले कर दुधारा हम समर में हों खड़े पर ...
ये यकीं रखना हमारे वार दोधारे नहीं हैं ...............
हम अगर बागी हुए तो ताज होंगे ठोकरों में .....
हम फकत खामोश हैं हम लोग बेचारे नहीं हैं ....
कामना तो ताकती है आज भी रस्ता तुम्हारा
हाँ मगर इस देह के अरमान अब कुंवारे नहीं हैं
... पियक्कड़ अगर दिल्ली के रामलीला मैदान में डट जाएं तो अन्ना का मामला इस बार कुछ जम सकता है लेकिन अन्ना की टाम को पहले पियक्कड़ों का आहवान करना होगा। चीयर्स...जय हो।
कांग्रेस के हाथ को मरोड़ने के लिए चश्मे पर मोहर लगाना भाई लोग.....आदमपुर और रतिया उपचुनाव के लिए मेरे प्रिय मित्रों को शुभकामनाएं...
बधाई....!!!! लड़ कर जीते कटक मे ....
राखी सावंत भारत की किराना दुकान है और सनी लिओन वॉल मार्ट! अब आप बताईए FDI के पक्ष में हैं या नहीं!
ऐ मुँह मोड़ के जाने वाली, जाते में मुसकाती जा
मन नगरी की उजड़ी गलियाँ सूने धाम बसाती जा
दीवानों का रूप न धारें या धारें बतलाती जा
मारें हमें या ईंट न मारें लोगों से फ़रमाती जा
और बहुत से रिश्ते तेरे और बहुत से तेरे नाम
आज तो एक हमारे रिश्ते मेहबूबा कहलाती जा
पूरे चाँद की रात वो सागर जिस सागर का ओर न छोर
या हम आज डुबो दें तुझको या तू हमें बचाती जा
हम लोगों की आँखें पलकें राहों में कुछ और नहीं
शरमाती घबराती गोरी इतराती इठलाती जा
दिलवालों की दूर पहुँच है ज़ाहिर की औक़ात न देख
एक नज़र बख़शिश में दे के लाख सवाब कमाती जा
और तो फ़ैज़ नहीं कुछ तुझसे ऐ बेहासिल ऐ बेमेहर
इंशाजी से नज़में ग़ज़लें गीत कबत लिखवाती जा
IBNE INSHA
मन नगरी की उजड़ी गलियाँ सूने धाम बसाती जा
दीवानों का रूप न धारें या धारें बतलाती जा
मारें हमें या ईंट न मारें लोगों से फ़रमाती जा
और बहुत से रिश्ते तेरे और बहुत से तेरे नाम
आज तो एक हमारे रिश्ते मेहबूबा कहलाती जा
पूरे चाँद की रात वो सागर जिस सागर का ओर न छोर
या हम आज डुबो दें तुझको या तू हमें बचाती जा
हम लोगों की आँखें पलकें राहों में कुछ और नहीं
शरमाती घबराती गोरी इतराती इठलाती जा
दिलवालों की दूर पहुँच है ज़ाहिर की औक़ात न देख
एक नज़र बख़शिश में दे के लाख सवाब कमाती जा
और तो फ़ैज़ नहीं कुछ तुझसे ऐ बेहासिल ऐ बेमेहर
इंशाजी से नज़में ग़ज़लें गीत कबत लिखवाती जा
IBNE INSHA
मित्रता में कोई स्वार्थ नहीं होता। जहां स्वार्थ होता है, वहां मित्रता नहीं होती।
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इन अनमोल शुभकामनाओ के लिए आप सभी का हार्दिक आभार!!!!!
आप सभी की ये शुभकामनायें और स्नेह मेरे विचारों को क्षण- प्रतिक्षण और
अधिक सशक्त बनाएगे...ऐसा मेरा विश्वास है !!!!!!!!!!!----माधवी .
अब कुछ मीठा हो जाये -----------गाजर का हलुवा !!!!
दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
मिल जाए तो मिटटी है,खो जाए तो सोना है
- एक बार एक स्वास्थ्य मंत्री एक मनोरोगियों के अस्पताल में गया, वह सबसे पहले मुख्य मनोचिकित्सक से मिला फिर उससे पूछने लगा आप कैसे पता लगाते हैं कि एक रोगी बिल्कुल ठीक हो गया है!
मनोचिकित्सक उसे एक कमरे में ले गया जहाँ कुछ रोगी खड़े थे और पास में एक बाथटब पानी से भरा हुआ था मनोचिकित्सक ने कहा, सर हम उन्हें उस बाथटब के पास ले जाते हैं!
और उन्हें एक चम्मच और एक कप देते हैं, और उन्हें बाथटब खाली करने को कहते हैं
हाँ मैं देख रहा हूँ! स्वास्थ्य मंत्री ने कहा! जो बिलकुल ठीक हो जाता है वो तो कप का इस्तेमाल करता होगा ताकि टब जल्दी खाली हो जाए!
मनोचिकित्सक ने कहा, जी नहीं सर!
जो बिलकुल ठीक हो जाता है वो सीधे जाकर इलैक्ट्रिक प्लग दबाता है, जिससे पानी खुद-ब-खुद बाहर चला जाता है!
और बहुत से रिश्ते तेरे और बहुत से तेरे नाम
जवाब देंहटाएंआज तो एक हमारे रिश्ते मेहबूबा कहलाती जा
nahut hi rochak raha ye post agale post ka intezar rahega ab to :)
खूब सुनाई आपने चहरों की कही - अनकही ... जय हो महाराज !
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
जवाब देंहटाएं----------------------------
आज 15/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!