अंत में नागार्जुन जी की एक मजेदार कविता:
पाँच पूत भारत माता के, दुश्मन था खूंखार
गोली खाकर एक मर गया, बाकी रह गये चार
चार पूत भारत माता के, चारों चतुर प्रवीन
देश निकाला मिला एक को, बाकी रह गये तीन
तीन पूत भारत माता के, लड़ने लग गए वो
अलग हो गया उधर एक, अब बाकी बच बच गए दो
दो बेटे भारत माता के, छोड़ पुरानी टेक
चिपक गया है एक गद्दी से, बाकी बच गया है एक
एक पूत भारत माता का, कंधे पर है झंडा
पुलिस पकड़ के जेल ले गई,
बाकी बच गया अंडा!
एक बार फिर आपने काफी सारे चहेरो की बातें बता दी अपने ही एक अलग अंदाज़ में ... आभार !
जवाब देंहटाएंजय हो अजय जी। गजब की झलकियाँ ! मान गए आपकी पसंद को ।
जवाब देंहटाएंअच्छी choice है आपकी :)
जवाब देंहटाएंअरी तोरी के.. यहाँ तो हम भी हैं.. :)
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