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शनिवार, 18 फ़रवरी 2012

फ़ेसबुक के कुछ कतरे ....












‎'' वेस्टइंडीज के किसी विचारक् ने एक बार कहा था कि भाषा का चुनाव अपने लिए एक दुनिया का चुनाव करना होता है और हालांकि मैं किसी दुनिया के ऊपर भाषा के कल्पित प्रभुत्व को नहीं मानता, पर भाषा का चुनाव करते समय ही किसी साहित्यकार के सामने खड़े सबसे अहम् सवाल का जवाब मिल जाता है कि मैं किस के लिए लिख रहा हूँ. मेरा पाठक कौन है.
अगर केन्या का कोई लेखक अंग्रेजी में लिखता है तो बेशक उसका कथ्य कितना भी क्रन्तिकारी क्यों न हो, वह निश्चय ही केन्या के किसानों, मजदूरों तक नहीं पहुँच पाता और न उसका इनके साथ सीधा संवाद ही बन पाता है. - न्गूगी वा थ्यांगो ''
Santosh Chaturvedi saab' kee wall se, thanks!
 


आज हमरी रायबरेली मा वोट पर रही है , बहुत मुश्किल है कांगरेस के बरे अबकी दई !
हम तो जा नहीं पायेन मुदा सब लोग नीक मनई क वोट दें !
 


मंजिलों से दूर बेवजह चल पड़े हम मयखाने में
आई पुलिस पड़ा छापा हम मिले तहखाने में
 



  • कान्हा आज भी रोता है कभी-कभी राधा की याद में... :-/
 
 

  • प्रधानमंत्री पद की इससे ज्‍यादा दुगर्ति क्‍या हो सकती है कि जनता सुनने को न आये.. यही अटल की सभा मे लोगो को खड़े होने की जगह नही मिलती थी.. इतने मे भी क्या का्ंग्रेस 22 सीट भी बचा पाने का दावा कर सकती है ? 
     


    काम करो ऐसा, कि पहचान बन जाये;
    हर कदम ऐसा चलो, कि निशान बन जाये!
    यहाँ ज़िन्दगी तो सभी काट लेते हैं;
    ज़िन्दगी जियो ऐसी, कि मिसाल बन जाये!
     


    चंद दिनों पहले sms के जरिये 'एक बच्ची की डायरी' मिली | आप भी पढिये
    : 15 जून - में माँ की कोख में आ गयी हूँ.....|
    : 17 जून - में एक टिशु बन चुकी हूँ.....|
    : 30 जून - माँ ने बाबा से कहा कि तुम बाप बनने वाले हो.....|
    : माँ और बाबा बहुत खुश है...|
    : 15 सितम्बर - में अब अपने दिल कि धडकन महसूस कर सकती हूँ.....|
    : 14 अक्टुबर - अब मेरे नन्हे-नन्हे हाथ-पैर है, मेरा सिर हे.....|
    : 13 नवम्बर - आज मेने खुद को अल्ट्रासाउंड मशीन की स्क्रीन पर खुद को देखा | वाह में एक लडकी हूँ....|
    : 14 नवम्बर - में मर चुकी हूँ | में मार दी गयी, क्योंकि में एक लडकी थी |

    लोग माओं बीबियों और प्रेमिकाओं से मोहब्बत करते है,
    तो फिर बेटियां क्यों कत्ल कर दी जाती है....................?

    डायरी की आखिरी लाइन पढ़ते हुए जो आलम हुआ उसे में बयाँ नही कर सकता हु |

     


    अंत में नागार्जुन जी की एक मजेदार कविता:

    पाँच पूत भारत माता के, दुश्मन था खूंखार
    गोली खाकर एक मर गया, बाकी रह गये चार
    चार पूत भारत माता के, चारों चतुर प्रवीन
    देश निकाला मिला एक को, बाकी रह गये तीन
    तीन पूत भारत माता के, लड़ने लग गए वो
    अलग हो गया उधर एक, अब बाकी बच बच गए दो
    दो बेटे भारत माता के, छोड़ पुरानी टेक
    चिपक गया है एक गद्दी से, बाकी बच गया है एक
    एक पूत भारत माता का, कंधे पर है झंडा
    पुलिस पकड़ के जेल ले गई,
    बाकी बच गया अंडा!
     


    यूपी चुनाव ने एक नई परिभाषा गढ़ी है, पहले खुर्शीद अब बेनी प्रसाद वर्मा के आगे क्या चुनाव आयोग बेचारा साबित हो रहा है या फिर चुनाव आयोग में शेषण जैसे चुनाव आयुक्त की कमी हो गई है जो खुल्ले सांढ़ बनते जा रहे राजनेताओं पर नकेल नहीं कस पा रही है. अपने आप में स्वतंत्र और स्वायत जवाबदेह चुनाव आयोग को नेता हों या मंत्री अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए मतदान और मतगणना तक जानता के प्रति जवाबदेह होते हुए तमाम निर्णय लेने होंगे सामने कोई भी मंत्री संतरी हो,
     

    • जब मालूम हो गया मेरा देवता पत्थर है
      किसलिए माथा रगड़कर मुनाजात करूंगा

      इस जन्म का तो कोटा पूरा हो गया बेचैन
      अब तो अगले जन्म प्यार के ख्यालात करूंगा
     


    बिंदिया चमकेगी .... चूड़ी खनकेगी ...... आसपास कहीं नजदीक ही आर्केस्ट्रा हो रहा है ... कोई लड़की गा रही है .... बहुत गजब का गा रही है .... आवाज, लय और सुर बहुत जोरदार और मस्त है .... हम सुनते हैं .... शुभ रात्रि मित्रवर .... जय श्री कृष्ण ... जय जय श्री राधे
     



    • सबकी सुनता है फिर अपनी कहता हु
      शायद यही गलती करता हु ....सबको सच्चा समझता हु
      सीधीबात कहता हु ...इसी लिए सबको खलता हु
      कल्पनाओ में नही जीता ...तर्क की बाते करता हु ...
      मेरे दोस्त तुम आज नही तो कल समझोगे ....
      में यथार्थ के धरातल पर रहता हु ....शायद यही गलती करता हु ....
      तुम्हे अपना समझता हु ...इसी लिए मुखर हो कहता हु ...
      हजारों मिल जाएँगे दिल्लगी ठिठोली करने वाले .....चोराहे में
      पर दर्पण ना मिलेगा .... .चोराहे में
      तुम्हे अपना समझता हु ...इसी लिए मुखर हो कहता हु ...
      शायद यही गलती करता हु ....****************
     


    जय जवान, जय किसान

    85 %किसानो वाले उत्तर प्रदेश में किसानो के मुद्दे गायब और भारत की 1 प्रतिशत से कम आबादी वाले और उसकी सेना की 10 % हिस्सेदारी वाले उत्तरखंड में सैनिको के मुद्दे गायब थे. वाह री!! राजनीति किसान और जवान दोनों गायब बस हर जगह बेनी, माया, मुलायम, राहुल, उमा व् सलमान है हाजिर, कोई लखनऊ में तो कोई नयी दिल्ली में मौज करेगा,यूँ ही चल रहा है ऐसे ही चलेगा किसान मर रहे देश में और सरहद पर जवान मरेगा!!
     



    • रूह तक नीलाम हो जाती है, बाज़ार-ऐ-इश्क मैं !
      इतना आसान नहीं होता, किसी को अपना बना लेना !!



    वो पूछे हमसे यार ये फसेबूक क्या बवाल है ?????
    हमने भी झन्ना कर बोल दिया ये वो शहर है जो कभी नही सोता और ना सोने देता है ;-)
     

    जिसपर लिखना मुश्किल लगे समझिए सबसे ज्यादा पसंद है.
     

    कल एक षोडशवर्षीय कन्या को "नरसों" शब्द का अर्थ समझाया। दरअसल उसे "परसों" शब्द ही पता नहीं था, तो नरसों क्या खाक समझती। बड़े धैर्य से उसे "Day after tomorrow के बाद आने वाला दिन" कहकर समझाया कि "नरसों" किसे कहते हैं।

    हालांकि वह "या या या, आई नो… आई नो" कहती रही, परन्तु मुझे शक है कि जब कभी उस कन्या को "नरसों" शब्द का उपयोग करने की जरुरत पड़ेगी, तब भी वह वही कहेगी, जैसा मैंने उसे समझाया।

    मेरे सौभाग्य से उसने यह नहीं पूछा कि "क्या नरसों का अगला दिन सरसों" होगा? वरना मुझे "सरसों और नरसों" के बीच का अन्तर समझाने के लिए उसे पंजाब तक ले जाना पड़ता… :)
    ============
    अंग्रेजी के बढ़ते वर्चस्व के कारण आम बोलचाल वाली हिन्दी के कई शब्द विलुप्ति की कगार पर हैं जबकि उर्दू के शब्द तो खत्म ही हो चुके…
     
    तू ने क़सम मैकशी की खाई है "ग़ालिब"
    तेरी क़सम का कुछ ऐतबार नहीं है
     
     

    आदम के हौवा के रिश्तों की दुनिया ओ दुनिया रे!!
    ग़ालिब के मोमिन के ख्वाबों की दुनिया,
    मजाजों के उन इन्क़लाबों की दुनिया..
    फैज़ फिराकों, साहिर मखदूम, मीरे के जौकों की दागों की दुनिया!!
    ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है!!

    मौसम महीना आया बौराने का , कल से सुरताल में फ़कीरा गाएगा ,
    रे फ़ागुन आ गया अंगना मोरे ,कल से जोगी फ़िर , जोगीरा गाएगा ...

    ..तैयारी करिए हो , मंडली , ढोल मंजीरा ले के तैयार रहो
    जी

4 टिप्‍पणियां:

  1. एक बार फिर आपने काफी सारे चहेरो की बातें बता दी अपने ही एक अलग अंदाज़ में ... आभार !

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  2. जय हो अजय जी। गजब की झलकियाँ ! मान गए आपकी पसंद को ।

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  3. अरी तोरी के.. यहाँ तो हम भी हैं.. :)

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