आइए देखें कि , दोस्त इन दिनों , फ़ेसबुक पर क्या लिख पढ और देख सुन रहे हैं ...इन कतरों से जानते हैं
अहद निभाने की ख़ातिर मत आना
अहद निभानेवाले अक्सर मजबूरी या
महजूरी की थकन से लौटा करते हैं
तुम जाओ और दरिया-दरिया प्यास बुझाओ
जिन आँखों में डूबो
जिस दिल में भी उतरो
मेरी तलब आवाज़ न देगी
लेकिन जब मेरी चाहत और मेरी ख़्वाहिश की लौ
इतनी तेज़ और इतनी ऊँची हो जाये
जब दिल रो दे
तब लौट आना
| फराज़भूख से इन्सान पैदा होता है. उम्र भर उसे भूख सताती है- प्रेम की, रोटी की, शांति की. भूख और प्यास हमारे सबसे बड़े भुत हैं. मैं सबसे पहले इन भूतों से मुक्ति पाना चाहता हूँ. दूसरी मुक्ति मुझे आप से आप मिल जाएगी.
- कुर्तुल एन हैदर (आग का दरिया)
मतलब अखबारों के पास रुकता हूं
कुछ खबरें पकड़ता हूं
कुछ खबरों में खुद को जकड़ता हूं
आप सोच रहे होंगे कि
मैं क्यों इतना अकड़ता हूं
अकड़ अकड़ कर हो जाता हूं मैं ढीला
खबरों का मन और मानस में
बनाता हूं एक खूबसूरत मजबूत टीला
फिर उस टीले पर सबको चढ़ाता हूं
मैं तो उतर आता हूं
आप सबको वहीं पर छोड़ आता हूं।
तैयार रहिए
कुछ न कहिए
सुनते रहिए
पसंद करिए
टिप्पणी कहिए
विचारों में करवट
तरावट महसूसिए
पुस्तक मेले की सोचिएमित्रता अनुरोध भेजने वाले उन मित्रों के प्रति खेद है, जिनका आग्रह चाह कर भी स्वीकार कर पाना अनेकानेक कारणों से संभव नहीं।
सबसे पहला तो यह कि गत लगभग साढ़े तीन माह में 2 हज़ार से अधिक लोगों को अनफ़्रेंड करने के बाद भी मेरी मित्रता सूची में 4000 + का आंकड़ा पहले ही पूरा हो चुका है, अधिकतम 5000 तक नहीं ले जा सकती क्योंकि कुछ अवकाश बना रहना चाहिए। ऐसे में मैं चाह कर भी मनवांछित लोगों को पढ़ नहीं पाती।
प्रतिदिन 6-से 10 लोगों को ( जिन्होने वर्ष भर से कभी कोई संवाद नहीं किया या जिनकी प्रोफाईल से कुछ संदिग्ध प्रतीत होता है) को सूची से हटाने के बाद ही किन्हीं नए मित्रों को जोड़ा जा पा रहा है। किन्तु अधिकांश का आग्रह अस्वीकार करना पड़ता है।
ऐसे मित्र बुरा न मानें। वे मित्रतासूची में न होकर भी नेट पर जुड़े रह सकते हैं क्योंकि मेरे अधिकांश अपडेट सार्वजनिक होते हैं, हर कोई उन्हें पढ़ सकता है उन पर अपनी प्रतिक्रिया लिख सकता है। अतः संवाद में कोई समस्या नहीं।
सब्स्क्रिप्शन का विकल्प भी खुला है, इसके द्वारा सभी अपडेट आपको आपकी प्रोफाईल में मिल सकते हैं। सब्स्क्राईब करने में कोई अड़चन अथवा सीमा नहीं है। मैं अपनी प्रोफाईल को पेज़ बनाने अथवा एक और नई प्रोफाईल बनाने के फिलहाल पक्ष में नहीं हूँ। अतः यह मेरी सीमा है। क्षमा कीजिएगा।
बहुत हिट पोस्ट है यह...! खासकर सतीश पंचम का पंच,सुधा जी की 'चुप्पी' और अभिषेक कुमार की कविता !
जवाब देंहटाएंझाजी...आभार !