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शनिवार, 5 मई 2012

चेहरों की बातें ……..फ़ेसबुक






इन दिनों कमाल धमाल रूप से ब्लॉगिंग् में और कहें कि ब्लॉग पोस्टों में इस बात की खूब चर्चा हो रही है कि फ़ेसबुक की तीव्रता और उसकी आक्रामक शैला ने कहीं न कहीं ब्लॉगिंग से उसके धुरंधरों को खींच कर अपनी तरफ़ कर लिया है । जो कभी दिन रात ब्लॉगिंग में रमे उलझे रहते थे अब फ़ेसबुक पर लगाता स्टेटस अपडेट और बहस विमर्श , बतकुच्चन , और टिप्पणियों में व्यस्त हैं । हमने यही सोच कर तो इस ब्लॉग को बनाया था , तो चलिए देखते हैं कि हमारे अंतर्जालिए दोस्त फ़ेसबुक पर आज क्या पढ देख लिख कह रहे हैं ……………



फेसबुक ने करवाई घर में चोरी!!
संभव है ?



आज फ़िर लिट्टी चोखा है, बहुत ही ज्यादा पसंद का हो गया है।


  • Parveen Chopra मैंने इस लिट्टी चोखे के बारे में इतना सुन लिया है..विनोद दुवा के शो में भी ...और भी बहुत जगह पर। मुझे इसे खाने की बहुत इच्छा है। काश, मैं इसे खा पाऊं .... मिलेगा तो दिल्ली में ही मिलेगा। वैसे यह जो खाकी रंग की चीज़ दिख रही है, यह क्या है, यह तो मीठी होगी?

ईमानदारी की तरह घट रही हैं बेटियां
 
 

जीवन का पृष्ठ क्या दिया अपना , तुम तो हाशिये तक फ़ैल गए
मुस्कुराने के चंद शब्द ढूंढे हमने , और शे'र . तुम्हारे सज गए ..


जिसने भी मैगी का आविष्कार किया है मैं उस महानुभाव के लिए नोबेल पुरस्कार की सिफारिश करता हूं। रसोई बनाने में नाकाबिल मुझ जैसे आलसियों के लिए वरदान है मैगी। आह मैगी, वाह मैगी
 

जो धरती से अम्बर जोड़े
उसका नल प्लंबर तोड़े
 

अब खबर वो है जो छपती नहीं,
और जो छपता है, वो यशो गान है.

आप सभी का इतना प्यार और अपनापन पाकर अभिभूत हूं। ईश्वर से एक ही प्रार्थना है कि आने वाले वर्षों में भी आपका प्यार ऐसे ही मेरे जीवन का हिस्सा बने रहे।
 

एक वाकया है जैनेद्र और राहुल सांकृत्यायन में इस बात पर बहस हो रही थूी भगवान है या नहीं , जैनेन्द्र का मानना था भगवान है ,राहुल का कहना था भगवान नहीं है, दोनों ने पक्ष-विपक्ष में खूब तर्कदिए। यह बहस बहुत लंबी चली,घंटों खर्च हो गए। अंत में अज्ञेय ने हस्तक्षेप किया और कहा भगवान था और मर गया। दोनों पक्ष बड़े खुश हुए।


कभी पढ़ा था "सत्यं ब्रूयात, प्रियं ब्रूयात" इसके आगे था "न ब्रूयात सत्यं अप्रियम"...जब सत्य अप्रिय हो तो क्या करना चाहिए? चुप रह जाना चाहिए?
 
कैनवास पर कभी जिंदगी को पेंट करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए ,जिंदगी चलती रहती है ,जबकि पेंटिंग स्थिर होती है |कुछ यूँही जिंदगी भी महज एक कविता नहीं हो सकती !कविता लिख जाने के बाद, समय के किसी छोर पर खामोश बैठी रहती है ,जबकि जिंदगी नयी गजलों ,नए गीतों नए शब्दों की तलाश में आगे बढ़ जाती है

अब तो ई संसद बड़ी मुखर है जी ......छुईमुई जो है सो है :)
Pankaj Dixit के पोस्टर...
 

शहर का आबो-हवा अब कुछ इस कदर बदल गया है ,
कि दुप्पटे की तलाश में ,हवा का दम निकल गया है !!!!
 
कुछ दिन हुए मेरे फोन से सारे कॉन्टेक्ट डिलीट हो गए हैं. अभी मेरे फोन में सिर्फ उनका ही नंबर है जिनसे मुझे बात करनी थी या फिर उनके जिन्हें मुझसे बात करनी थी. सो कृपया उलाहना देना बंद करें कि मैंने उनसे उनका नंबर नहीं माँगा या उन्हें पिछले कुछ दिनों से फोन नहीं किया. क्योंकि इतने दिनों में वे सभी उलाहना देने वाले भी तो मुझे फोन नहीं किये हैं, जरूरत तो आपको भी मेरी नहीं थी!!

मेरा यह स्टेटस उनके लिए नहीं है जिन्हें इस बात की समझ है, और जिन्हें यह पढ़ कर बुरा लग रहा हो, मुझे उनकी परवाह नहीं है.. आजिज आ चुका हूँ ऐसे उलाहने सुन-सुन कर.
 
 

मैं तो हर मोड़ पर तुझको दूँगा सदा
मेरी आवाज़ को दर्द के साज़ को तू सुने ना सुने

मुझे देखकर कह रहे हैं सभी मोहब्बत का हासिल है दीवानगी
प्यार की राह में फूल भी थे मगर मैने काँटे चुने

जहाँ दिल झुका था वहीं सर झुका मुझे कोई सजदों से रोकेगा क्या
काश टूटें ना वो आरज़ू ने मेरी ख़्वाब जो हैं बुने
 

जेठ की दुपहरी

जेठ की तपती दुपहरी
आग जो बरसा रही
बर्फ़ की चादर लपेटे
ठंढ भी शरमा रही ।

स्याह लावा हर सड़क पर
बस पिघलता जा रहा
चीख प्यासे पाखियों की
दिल को अब दहला रही ।

दूर तक दरकी है धरती
घाव बस सहला रही
सोत पानी का दिखा कर
आंख को भरमा रही।

हर नदी अब भाप बन कर
धुंध में मिल जा रही
तलहटी की रेत भी अब
भय से बस थर्रा रही ।
0000
हेमन्त कुमार
 

आप्तवाक्य> फेसबुकीय मूर्खता जन्मसिद्ध अधिकार है; पर उसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिये। शुभ रात्रि।
 

समाज-विज्ञान के नियमानुसार मँहगाई और नैतिकता में व्युत्क्रमानुपाती सम्बन्ध है अर्थात आम जन-जीवन में मँहगाई जितनी बढ़ेगी नैतिकता उसी अनुपात में घटेगी - अतः हे वर्तमान सरकार के कर्णधारों यदि संभव हो तो नैतिक-मूल्यों पर दया करते हुए मँहगाई को घटाने की दिशा में सच्चे मन से कदम उठायें अन्यथा भारतवासी आपलोगों को जल्द ही वर्तमान जिम्मेवारी से मुक्त करते हुए शीघ्र गद्दी से उठा देंगे
 
 
तो आज के लिए इतना ही ...अब मिलेंगे कल कुछ और चेहरों के साथ 

2 टिप्‍पणियां:

  1. इस विधा के तो आप ही माहिर हो ... चहेरो की जुबान आप से ज्यादा कौन पढ़ सकता है ... खूब सुनाई आपने इन चहरों की दास्तान !

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पोस्ट में फ़ेसबुक मित्रों की ताज़ा बतकही को टिप्पणियों के खूबसूरत टुकडों के रूप में सहेज कर रख दिया है , ...अब आप बताइए कि आपको कैसी लगे ..इन चेहरों के ये अफ़साने