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शुक्रवार, 13 सितंबर 2013

चेहरों का फ़ैसला ………

 

    Photo: 13th SEPT.,2013, INDIA KESARI ME PRAKASHIT YE MUKTAK YADI AAPKE MAN KI BHI AWAAZ HAI TO PL APNE VICHAAR ZAROOR DIJIYE - DINESH RAGHUVANSHI - 09811139028 FARIDABAD
    आज सुबह जब मैंने फ़ेसबुक पर मित्रों से पूछा
    आज दिल्ली बलात्कार कांड पर आरोपियों की सज़ा का निर्णय आ सकता है । मौजूदा कानूनों के अनुसार चारों को ही " मृत्युदंड या आजीवन कारावास" में से कोई एक सज़ा सुनाई जाएगी । मैं आप सबसे सिर्फ़ एक सज़ा चुनने को कहूंगा और ये भी कि सिर्फ़ यही सज़ा क्यूं । शाम को , इन्हें सुनाई गई सज़ा और उसका प्रभाव और जो सज़ा इन्हें नहीं दी गई , दोनों पर एक कानूनी पोस्ट लिखूंगा , मैं यहां आप सबकी राय भी लेना चाहता हूं ............आप देंगे न
    • Bhavesh Kumar Jha bhai inko baizzat bari kar do public dekj legi

            Raja Kumarendra Singh Sengar
            फाँसी देने से अपराधियों को उनके कुकृत्य की सही सजा नहीं मिलेगी.....आजीवन कारावास हो ताकि वे पूरी उम्र अपने दुष्कर्म को याद कर अपने हश्र को देख, महसूस कर सकें...

          • Vipin Mehrotra
            Life sentence because themain perpetrator of crime is going virtually scot free.

                  Shivam Misra
                  मैं कोई कानूनी जानकार नहीं हूँ पर मेरी राय मे मृत्युदंड से कुछ भी कम सज़ा देना इस तरह के अपराधियों के हौसले बुलंद करना होगा ! जेल मे वो क़ैद मे तो रहेंगे पर मौज मे रहेंगे ... अपने यहाँ की जेलों मे जिस तरह का माहौल है वो छिपा नहीं है ... पैसे के दम पर सज़ा हाल मज़ा बन जाती है !

                • Dinesh Raghuvanshi
                  AJAY JI, MAINE APNE WALL PAR JO LIKHA HAI VO ZAROOR DEKHNA SIR

                • Ramkumar Kumar
                  No jail no death.. Hath pavan kaat do aur chhod to mathe pe likh ke ............. Main. B...... Ri hun. Agr koi eske baad himat kr le to..

                        Amit Kumar Srivastava
                        सिर्फ और सिर्फ 'मृत्यु दंड'
                        कारण ----जब कोई बलात्कार की घटना होती है तब संजीदे व्यक्ति के मन में तुरंत यह ख्याल आता है ,ऐसा उसकी बहन,बेटी , पत्नी, बहु के साथ भी हो सकता है और इस कल्पना मात्र से ही वह भयभीत और उससे उपजे क्रोध से विचलित / पागल सा हो जाता है । पीड़ित के विषय में घटना का नाट्य क्रम जानकार बस बेबस सा हो जाता है और तुरंत यही इच्छा होती है कि बलात्कारी को जान से मार दिया जाए । जितनी जल्दी हो उतनी जल्दी ऐसे अपराधी को जान से मार देना चाहिए तभी लोगो का नज़रिया बदल सकता है ,अपराधियों का भी और जनता का भी । आजीवन कारावास पाए हुए ,जीवित अपराधी के प्रति धीरे धीरे कहीं न कहीं ऐसा माहौल बनने लगता है ,समय के साथ ,कि उसे सहानुभूति मिलने लगती है । जबकि ऐसे अपराधी के प्रति किसी भी प्रकार की दया दिखाने वाले को भी सजा दी जानी चाहिए ।
                        "एक अलिखित व्यवस्था ऐसी भी होनी चाहिए कि ऐसे मामलों में कोई भी वकील इन अपराधियों की ओर से इनकी पैरवी न करे "।

                        Pradeep Nagar
                        हाथ पाँव काटने या नपुंसक करने की सजा अभी यहाँ नही है। । ।उम्रकैद देने से भी उनको तो सही सजा मिलेगी लेकिन बाकी समाज में सही सन्देश नही जायेगा । । क्यूंकि इस तरह के अपराध में सजा होने में सालो लगते थे । तो सबको ये ही लगता था के अगर रहने की बात है तो जेल में भी रह लेंगे । । और ये ही बात उम्रकैद में है क्यूंकि कोई कितना भी अपंग हो या कैद में हो जीना चाहता है और मेरे हिसाब से इन अपराधियों से जीने का अधिकार ही छीन लिया जाये । । तो मृत्युदंड

                      • Shah Nawaz
                        मृत्यु दंड, क्योंकि यह उस लड़की के साथ न्याय होगा!
                          • Kamlesh Kumar
                            मृत्यु दंड ही क्यों ? क्या इस से बड़ी सजा नहीं सोची जा सकती ?
                            Kamlesh Kumar
                            मेरे सोच के हिसाब से सर मुंडबा के हल्दी चुना और कालिख लगा के जूतें की माला पहना के गधे पर बीठा के एक सहर में घुमाया जय अगर बच गया तो दुसरे सहर में |

                            Suresh Kumar
                            sajaye maut Ajay ji ....
                            q ki esse jo ensaan ke roop me darinde hain unke man me kuch to dar paida hoga.

                            Nivedita Srivastava
                            सिर्फ मृत्यु दंड ...... क्योंकि ऐसा करने से किसी और को ऐसी हरकत करने का साहस नहीं होगा और न्याय व्यवस्था पर भी विश्वास बहाल होगा ...... इसमें भी मैं विशेषकर नाबालिग मान कर कम सजा पाए को तडपा - तडपा कर ....

                            Sumit Saxena
                            मेरा मानना है कि इन चारो को बीच चौराहे पर लटकाकर गोली मार देनी चाहिए जिससे कि जो देखे वह भी एक बार गलत काम करने से सोंच में पड़ जायेगा

                            Ranjana Singh
                            ऐसों को दिए जाने लायक सजा का प्रावधान अपने देश की संविधान में है ही नहीं

                            Darshan Kaur Dhanoe
                            मृत्युदंड XXXXX

                            Pooja Singh
                            mrityudand... kyunki ye ajiwan karawas me to ye log aish karte hain....free me khana, free me rahna... aur jo aise darinde hain unhe koi pachhtawa kabhi nahi hoga...

                            Harish Sharma
                            Aisi saja jo ouro ke liye bhi sabak ban jay - inhe beech chourahe par gaad kar aam public se pitwa pitwa kar marva do.

                            Pallavi Saxena
                            bilkul denge ji aap likhiye to sahi ...

                            Shikha Varshney
                            life imprisonment till death... (उम्र कैद बा मुशक्कत) फांसी तो मुक्ति है.

                            निन्दक नियरे राखिये
                            मृत्युदंड छोड़कर कुछ भी. सीधी बात! जो जीवन दे नहीं सकता, वो जीवन ले भी नहीं सकता

                            इन प्रतिक्रियाओं के अलावा इसी फ़ैसले के बाद और पहले आई और प्रतिक्रियाएं कुछ यूं रहीं


                      • Vineet Kumar
                        मैं ऐसे दर्जनों न्यायप्रिय चेहरे को दानता हूं दो स्त्री आवाज को कुचलने का कोई मौका नहीं छोडते लेकिन बात-बात पर फांसी से कम तो न्याय ही नहीं लगता

                      • दिनेशराय द्विवेदी
                        अभी देश में यह मुद्दा है ही नहीं कि फाँसी की सजा दंडसूची में होनी चाहिए या नहीं। अभी तो वह सर्वोच्च दंड है। इस मामले में इस से कम दिया नहीं जा सकता था। इस कारण जो हुआ वह ठीक है। मुझे लगता है कि अभी जो परिस्थितियाँ हैं उन में फाँसी के दण्ड को दण्ड सूची से हटाना मुद्दआ नहीं बन सकता। अभी तो समाज खुद कितना न्यायपूर्ण है? जब समाज एक स्तर तक न्यायपूर्ण होगा तो फाँसी की सजा को दण्ड सूची से हटाना मुद्दआ बन सकता है औऱ उसे वहाँ से हटाया भी जा सकता है।

                      • Avinash Chandra
                        आज सभी देश की न्याय प्रणाली की गौरव गाथा गा रहे हैं। कोई कह रहा है अब भी देश में कानून जिंदा है, कोई कहता है देश में कानून निष्पक्ष है...
                        कुछ दिनों पहले नाबालिक बलात्कारी को बाल सुधार गृह भेजे जाने के निर्णय पर यही लोग देश की न्यायिक प्रणाली पर लानत भेज रहे थे???


                      • Ghughuti Basuti
                        ओह, निर्भया के अपराधियो, तुमने उसे ही नहीं थोड़ा हमें व हमारी आत्मा को भी मारा है। तुम्हें फाँसी की सजा मिलने पर हमारा संतुष्ट होना यही सिद्ध करता है। तुम हम सबके भी अपराधी हो। काश, तुमने मनुष्य योनि में जन्म न लिया होता। काश, किसी स्त्री ने तुम्हें अपने गर्भ में न पाला होता। तुम मॉन्स्टर किसी स्त्री के पुत्र, भाई, पति या पिता न होते। ताकि कोई स्त्री तुम्हारा पक्ष लेकर और तुम्हारे लिए टसुए बहाकर स्त्री जाति को और अधिक क्षोभ और लज्जा का पात्र न बनाती।

                      • Mukesh Panjiyar
                        मेरी मानो तो मौत से भी भयानक सजा मिलना चाहिए था उन चारो दानवों को . मगर क्या इससे उन लुच्चे लफंगे गली के कुत्तों को कोई फर्क पड़ेगा . आँखों में एक्सरे मशीन लगा कर लड़कियों को घूरने वाले , फब्तियां कसने वाले उन कमीनों को कोई फर्क पड़ेगा ?
                        मुझे नहीं लगता हैं .
                        दामिनी बलात्कार केस में जो फैसला आया है वो सभी पिता और भाई के लिए बहुत बड़ी जीत है मगर आधी .
                        जब तक गलियों में मुहल्लों में स्कुल कॉलेज सार्वजनिक स्थलों पर इनको चिन्हित कर के पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई जायेगी तब तक कुछ नहीं बदलने वाला .
                        साथ ही लड़कियों को भी तैयार रहना पड़ेगा विरोध करने के लिए चाहे वो बात से हो या लात से हो .
                        ऐसे कितने वाकये हैं जिसमें लड़कियाँ अपने परिवार के सदस्यों से उन पिल्लों की शिकायत नहीं कर पाते हैं क्यों की उन्हें डर रहता है खुद के पाबन्दी का भी और पिल्लों से भी .
                        इस लिए हमें अपने घर से ही इसकी शुरुआत करनी होगी अपने बहन को बेटी को बताना होगा की हर परिस्थिति में हम उनके साथ हैं .
                        तब जा कर कुछ बदल सकता है और जीस दिन हमारी बेटियां उन नामुरादों को सबक सिखायेगी उस दिन हमें पूरी जीत मिलेगी .
                        मैं सभी क्रांतिकारी संग मिडिया एवं सोशल मिडिया तथा सामाजिक संगठन का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ की उनलोगों के बदौलत ही हम आज एक परिवर्तन कर सके .



                      • Amit Kumar
                        जैसे कोई बेहतर लिबास हो वैसे ही ये सजा इन घटिया लोगों पर खूब अच्छी लग रही है..मानवता का यैसा भी पैरोकार नहीं की दरिंदो के लिए मौत दूभर लगे.. बल्कि आगे के अपील के लिए इन्हें कोई वकील न मिले वैसा कुछ हो ..लेकिन कोई बेगैरत तो निकल ही आएगा


                      • Haresh Kumar
                        गैंगरेप के चारों आरोपियों को जिला अदालत के द्वारा फांसी की सजा देने का अभी फैसला आया है, ये फिर उच्च न्यायालय में जायेंगे फिर सुप्रीम कोर्ट जायेंगे और फिर राष्ट्रपति के पास जायेंगे। सारा मामला इसे अधिक से अधिक दिन तक खींचने का है।


                      • 4 टिप्‍पणियां:

                        1. बाइज्जत रिहा करें
                          उन चारों के बाहर निकलने के समय पुलिस वहाँ न हो
                          हम उनका स्वागत धूम-धड़ाम से करेंगे

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                          1. यशोदा जी , काश कि ऐसा हो पाता ।प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया

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