जाति-जनगणना के लिए सरकार ने शुरू कर दिया काम,
चलो ,संभालो अपनी ड्यूटी ,बहुत हुआ आराम !!
बाबू सिंह कु ...स्वाहा के लिए गाना....
चल थकेला, चल थकेला, चल थकेलाआआआ..
तेरा हांथी पीछे छूटा बाबू चल थकेला..
''मेरा मानना है कि किसी भी युवा का मूल चरित्र वाम होता है। क्योंकि वह प्रयोगों के लिए सबसे ज्यादा उपजाऊ होता है। आजकल सारे विज्ञापन अगर युवाओं के आसपास केंद्रित हो रहे हैं,तो उसके पीछे उसकी प्रयोगधर्मिता ही है। यही नहीं वह परिवर्तन के लिए सच्चाई से लड़ने वाला योद्धा भी होता है। मुझे तो युवा मिलते हैं,जिनमें प्रयोग का जज्बा तो है,लेकिन सच्चाई या न्याय की नैसर्गिक शर्त पर खुद को थामे रखने की हिम्मत नहीं दिखाई देती है। जिनमें दिखाई देती है,उनके संख्या बल से पूरे देश को युवाओं का देश कहने में हिचक है।''
Rishi Kumar Singh
कभी-कभी जीवन में ऐसे क्षण आते हैं जब लगता है कि अभी के अभी मर जाऊं तो निश्चय ही मुक्ति मिलेगी... कोई इच्छा शेष नहीं रह जाती. काश ! ऐसे ही किसी क्षण मृत्यु से मुलाकात हो... क्योंकि अगले ही पल... नयी इच्छाएं प्रकट होने लगती हैं !
सवाल:- "मेरा हौसला देख
मैं जानता हूँ तू नहीं समझेगा
फिर भी बोलता हूँ!"
जवाब:- "मेरा जज़्बा देख
तेरी बात नहीं माननी है
फिर भी तुमको सुनता हूँ!"
जो ज़ख़्म दिये तूने मुझको,
मैंने खुद को ही भुला दिया ।
होनी अनहोनी में तूने,
कविता करना सीखा दिया ।।
::::"दीप्ति शर्मा "
जिस भाषा के आलोचक सिर्फ मुफ्त में मिली परिचितों की किताबें उलटते-पुलटते हों...वह अगर आलोचकों के कहे पर ध्यान नहीं देती तो हर्ज क्या है?
मैं रहता इस तरफ़ हूँ यार की दीवार के लेकिन
मेरा साया अभी दीवार के उस पार गिरता है
बड़ी कच्ची सरहद एक अपने जिस्मों-जां की है
पांच राज्यों में काला धन कमाने के लिये काला धन खर्च करने का उत्सव क्या शुरु हुआ,
अन्ना को भूल गया देश !
हमे देख कर यह तो कोई भी कह देगा कि हम किसी भी तरह से "राष्ट्रीय शर्म" के मानकों पर फिट नहीं बैठते है ... "राष्ट्रीय गर्व" के मामले में हम पर विचार किया जा सकता है ... और जो हम "राष्ट्रीय गर्व" हो सकते है ... तो काहे नहीं हम को "भारत रत्न" दे देते बे ???
इस भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में सबसे खुशनसीब इंसान वह है जिसकी ज़िन्दगी में कोई ऐसा हो, जो ये कहे कि "मैं तुम्हारा इंतज़ार करूंगा/करूंगी...."
नेता नेता कहे पुकार, खरबूजा हो कटने तैयार
पांच साल में आए हैं, तुझको खा कर जाएंगे !
देव बाबा के भक्त जनों को राम राम....
दिल्ली की एक अदालत फेसबुक के पीछे पड़ गई है कि आपत्तिजनक सन्देश नहीं हटाये तो ब्लाक कर देंगे. फेसबुकिये खुद ही गलत संदेशों को नकार देते हैं. अदालत को परेशान होने की जरुरत नहीं है.
आरोहन अवरोहन के स्वर
गूँज रहे हैं अंतर्मन में।
वेद ऋचाएँ जाग उठी हैं
साँसों के सुरभित उपवन में
जीवन का व्याकरण जटिल है
टूट-टूट जाता है संयम।
(अज्ञात)
लोकतंत्र की अनेको बार हत्या के प्रयासों के साथ अब कोंग्रेस लोगो की हत्या पे तुली है, कमरतोड़ महंगाई, भ्रष्टाचार और तानाशाही, एक आम हिंदी, भारतीय कैसे रहे? आत्मसम्मान के साथ ज़िन्दगी बसर करना कोंग्रेस की नीतिओ एवं रीती की वजह से दुश्वार है, हजारो करोड़ रुपे खा जाने के बाद भी अगर इस रावन राज में कोई इसके खिलाफ आवाज़ भी उठाये तो ठीक अंग्रेजो की तरह उसपे दमन शुरू हो जाते है, अब निर्धार करे, क्या बच्चो को भीख मांगते और "मेडम" को और उनकी फ़ौज को मौज करते देखते रहना है, या जिंदा रहना है और खा के सोना है? अगर आने वाले दिनों में हम में भूख, गरीबी सहने और सडको पे सोने की ताकत है तो चलने दीजिए कोंग्रेस यानि रावन के राज को अन्यथा निर्धार करे के अब बहोत हो चूका, उसे उखाड़ फैकना है.
सही है महाराज ... खूब कान लगाये रखते है आप भी दोस्तों की बातों पर ... जय हो !
जवाब देंहटाएं:) jai ho ajay bhaiya ki...
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