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शुक्रवार, 22 जून 2012

कुछ गलबतियां

 

 

 

आज दोस्तों की बतकहियां , गलबतियां ,चुहल , चुटकियां , कहा सुना सब दिखाते हैं आपको देखिए ……………….

 

 

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    Gyan Dutt Pandey

    अगर यह संशय हो कि फ़लाने नेता सेकुलर हैं या नहीं, तो उनका डीएनए टेस्ट करवा लेना चाहिये - कोर्ट के आदेश पर। शायद उससे तय हो सके!

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    • Lalit Sharma

      बरसात की फ़ूहारों से बीज जाग उठे, अंगडाई ली और कोपलें फ़ूट पड़ी। इस हफ़्ते में धरती हरियाली की चादर ओढ कर सावन की प्रतीक्षा करगी। जब सावनी हिंडोले डलेगें, सावन की फ़ूहारों के साथ पींगे मार मार कर झूलना होगा………… सुप्रभात मित्रों

     

     

     

    • गिरिजेश भोजपुरिया

      Animal Farm में कम्युनिस्ट कुशासन के बारे में पढ़ा था - All are equal but some are MORE EQUAL.

      अब पूँजीवाद प्रतीक फेसबुक सुझा रहा है - All are friends but some are CLOSE FRIENDS. बोले तो 'more friends' ... मलाई काटने वाले एक ही भाषा बोलते हैं।

     

     

     

     

      • Satish Pancham

        इस वक्त बनारस पर आधारित शानदार कार्यक्रम डीडी भारती पर देख रहा हूँ। केदारनाथ सिंह दिख चुके हैं, रांड़, सांड़, सीढ़ी, बीएचयू भी दिख चुके हैं....देखते हैं आगे और कौन नजर आते हैं।

     

     

    • Sudha Upadhyaya
      नहीं
      जानती कौन हूँ मैं ...
      रुदाली या विदूषक ,
      मृत्यु का उत्सव मनाती ,
      बुत की तरह शून्य में ताकते लोगों में संवेदना जगाती
      इस संवेदन शून्य संसार में मुझी से कायम होगा संवाद
      भाषा की पारखी दुनिया में मैं तो केवल
      भाव की भूखी हूँ .....
      फिर फिर कैसे संवाद शून्य संवेदन में भर दूं स्पंदन .....डॉ सुधा उपाध्याय

     

     

      • Dev Kumar Jha

        Mausam mastana....... Chal kahi door nikal jaayein.....

     

     

     

    • अंशुमाली रस्तोगी

      फेसबुक के प्रेमी भी क्या खूब हैं दिन भर इसकी या उसकी दीवार पर चढ़ते-उतरते रहते हैं...बढ़िया है..

     

     

    • Suman Pathak

      चैन से जीने के लिए..."नहीं" बोलना सीखना बहुत ज़रूरी है...हम लोगो का लिहाज करते हुए कभी कभी ना करने में बड़ा हिचकते हैं...ऐसे में लोग हमारा फायदा उठाने लगते हैं... :(

     

     

     

    • Sonal Rastogi

      आँखों की नमी का सबब ना पूछो तो बेहतर

      भाप की बूंदे है जो पलकों पे उभर आती है

      ज़रा मिले तन्हाई तो मचलती है ऐसे

      कोरों को छोड़ कर गालों पर उतर जाती है ...सोनल रस्तोगी

     

     

     

  • Gyan Dutt Pandey

    जेबकतरे पहले जेबकतरे ही हुआ करते थे। अब तो वे सभी व्यवसायों में पैठ गये हैं। और कुछ तो उल्टे उस्तरे से मूड़ने की काबलियत रखते हैं!

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    • Vivek Dutt Mathuria

      डा.बी. आर. अम्बेडकर ने कहा था '' कांग्रेस एक धर्मशाला के सामान है,जो मूर्खों ,धूर्तों, मित्र और शत्रु, साम्प्रदायिक और धर्मनिरपेक्ष, सुधारवादी और कट्टरपंथी, पूंजीवादी और पूंजीवाद विरोधी सभी लोगों के लिए खुली हुई है.''

      राष्ट्रपति पद को लेकर प्रणव मुखर्जी को मिल रहे समर्थन पर डा. अम्बेडकर की उक्ति सटीक बैठ रही है ....

     

     

     

    • Sanjay Bengani

      कथित "हिन्दु हृदय सम्राट" माननीय बाला साहेब ठाकरे ने "हिन्दु और राष्ट्रवादी" विचारों को ताक पर रख कर पिछले राष्ट्रपति चुनावों में संकिर्ण क्षेत्रियवाद के तहत 'मराठी' व्यक्ति का समर्थन किया. और देश ने सबसे बेहुदा राष्ट्रपति झेला. एक बार फिर ठाकरे वैसा ही करने जा रहे है. ठाकरे जी, प्रणव जीते या हारे, इतिहास में आप किस तरफ दिखाई देंगे इस पर विचार किया है?

     

     

     

  • Gautam Rajrishi

    किसी का भी लिया नाम तो आयी याद तू ही तू...

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    • Anil Kumar Yadav

      सड़कों पर भागमभाग किसी को सबर नहीं।

      काफी दिनों से धीरेश सैनी की खबर नहीं।

      बड़बड़ाहटों में छिपे हुए हैं टोटके फिजूल के।

      दो अरब से ऊपर हाथ है पर एक नजर नहीं।

     

     

     

     

  • Yagnyawalky Vashishth

    मत पूछ कि क्‍या हाल है मेरा तेरे आगे ...ये देख कि क्‍या रंग है तेरा मेरे आगे ...

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    • Rajiv Taneja

      गज़ब कि..........तेरे मेरे रिश्तों से ज़माना अनजान है

      शायद आँखें उसकी खुली नहीं और बन्द..दोनों कान हैं

     

     

     

    • Suresh Chiplunkar
      मित्रों… राष्ट्रपति चुनाव में जैसी राजनीति(?) हुई है, वह 2014 का स्पष्ट संकेत है…। और जैसा कि नज़र आ रहा है निम्न दो स्थितियों में से आप कौन सी स्थिति पसन्द करेंगे???
      1) 180-190 सीटों के साथ भाजपा "अपनी हिन्दूवादी शर्तों" के साथ सत्ता का दावा पेश करे, जिसे साथ आना हो आए वरना भाड़ में जाए (अर्थात 180-190 सीटों के साथ भाजपा विपक्ष में बैठे… )
      2) नीतीश, शरद यादव और मुलायम जैसे "लोटे" कांग्रेस के समर्थन से (यानी सोनिया के तलवे चाटते हुए) सत्ता में दिखाई दें… ताकि जल्दी ही मध्यावधि चुनाव हों…
      ==============
      प्रमुख सवाल यह है कि, क्या नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करके, जद(यू) जैसे सेकुलर भाण्डों को लतियाकर, भाजपा 180 सीटें भी नहीं ला सकेग़ी???
      और मान लो कि "हिन्दुत्ववादी राजनीति" करके यदि 180 सीटें आ गईं तो क्या तब भी भाजपा "अछूत" ही रहेगी???

      1 टिप्पणी:

      पोस्ट में फ़ेसबुक मित्रों की ताज़ा बतकही को टिप्पणियों के खूबसूरत टुकडों के रूप में सहेज कर रख दिया है , ...अब आप बताइए कि आपको कैसी लगे ..इन चेहरों के ये अफ़साने