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शनिवार, 21 सितंबर 2013

हर चेहरा कुछ कहता है …….

 

 

    • कि‍सी अनंतमूर्ति‍ ने कहा कि‍ लोकतंत्र के डर से वह देश छोड़ देगा.
      आपको क्‍या लगता है ? कि‍ वो सचमुच चला जाएगा (?)
      यदि‍ हॉं तो like दबाऐं
      यदि‍ नहीं तो comment दि‍खाएं
      यदि‍ गीदड़भभकी है तो share चटकाएं
      यदि‍ बुद्धीजीवी बन रहा है तो kick लगाऐं (लेकि‍न ज़ुकरबर्ग ये ऑप्शन कब लाएगा रे)
     

     

      • Priyanka Rathore
        समझ सके तो समझ ज़िन्दगी की उलझन को
        सवाल उतने नहीं है, जवाब जितने हैं.............
        जाँ निसार अख़्तर
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      • Pushkar Pushp
        मुजफ्फरनगर दंगे का असर अब वहां की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला है। इस कड़ी में 'चीनी उद्योग' पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। क्योंकि जाट और मुस्लिम दोनों ही मुजफ्फरनगर चीनी उद्योग के लिए बेहद अहम् है। जाट लोगों के पास जमीन है तो मुस्लिम लोगों के पास श्रम शक्ति। अब यदि पलायन कर गयी मुस्लिम आबादी वापस नही लौटती है तो वहां के चीनी उद्योग की अर्थव्यवस्था चरमरा सकती है। अर्थव्यवस्था हिन्दू - मुस्लिम में भेद नहीं करती लेकिन राजनीतिज्ञ .............
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      • Ratan Singh Bhagatpura
        समय के साथ सामंतवाद ने भी अपना रूप बदल लिया पहले शासक का बेटा वंशानुगत आधार पर शासक बनता था,
        अब जनता शासक नेताओं के वंशजों को चुनकर शासन सौंपती है मतलब अब सामंतवाद ने लोकतांत्रिक रूप धारण कर लिया !!
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      • Sonali Bose
        चांदनी उतारी है आज खुश्क कलम में, निगाहोँ में ढाला है आसमानी नूर
        हर हर्फ़ में ज़ाहिर है तुम्हारी ही चाहत, आज लिखती हूँ पूरी क़ायनात में तुम्हेँ
        ........सोनाली......
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      • निरुपमा सिंह
        छाया बन के बादल कि दरिया उमड़ पड़ा
        मैं बहती चली गई .. वो समंदर हो गया !!
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      • Piyush Pandey
        लंच बॉक्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिली ख्याति ऑस्कर में उसका दावा मजबूत कर सकती थी लेकिन भारत की तरफ ऑस्कर में नामांकन गुजराती फिल्म द गुड रोड को मिला है। द गुड रोड भी शानदार फिल्म है, जिसे राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है लेकिन लंच बॉक्स को भेजा जाना चाहिए था। अंतरराष्ट्रीय सिनेमा में इरफान की पहचान भी फिल्म के लिए मददगार हो सकती थी। लेकिन, इस बार बड़ी गलती हुई है
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        • Vaibhav Kant Adarsh
          फिल्म "शोले" रमेश सिप्पी और जावेद-सलीम से
          पूछना चाहूँगा जब रामगढ़ गाँव में
          बिजली नहीं थी तो पानी टंकी में पानी कैसे भरते थे
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        • Mukesh Kumar Sinha
          रिश्ते रिस-रिस कर दर्द देते हैं.........
          ____________________________
          उफ़्फ़!! ए जिंदगी !! क्यों नखरे करती हो...................
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        • Rashmi Mishra
          सौरमंडल मे सूर्य तो एक ही जगह स्थित है, घूमती तो पृथ्वी है. और जब धरती सूरज से मुख फेरती है तो उस ओर अँधेरा होता है.
          उसी प्रकार जब हम 'उससे'* मुह फेरते हैं तभी हमारे जीवन मे अन्धकार होता है...!
          ( उससे* , यानी परमात्मा, ईश्वर, खुदा आदि... परमात्मा के रूप और भी हैं, आप जो माने... 'तुझमे रब दीखता है , यारा मैं क्या करूँ..' एक ये भी सही....)
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        • अरुण अरोरा
          ऑस्कर के लिए भेजी गई गुजराती फिल्म 'द गुड रोड' | '
          सेकुलरो ने नाराजगी दिखाते हुए देश छोड़कर जाने की धमकी दी
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        • Gyan Dutt Pandey
          सवा करोड़ में कश्मीर सरकार गिराई जा सकती है तो नुक्कड़ के मशहूर दक्खीलाल कचौड़ीवाले अमरीका सरकार गिरा सकते होंगे।
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        • Amitabh Meet
          चाचा आज भोरे भोरे कहिन हैं :
          "हो गई है ग़ैर की शीरीं बयानी, कारगर
          इश्क़ का उस को गुमाँ हम बेज़बानों पर नहीं"
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        • Geetam Shrivastava
          अपना फोटो लगाके लोग 40 लोगों को क्यों टैग करते हैं समझ नहीं आता.
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        • श्याम कोरी 'उदय'
          उफ़ ! गुमशुदगी दर्ज करा दी है किसी ने.. हमारे नाम की
          सिर्फ हुआ इत्ता कि हम तपते बदन बाहर नहीं निकले ?
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        • Vineet Kumar
          तुम्हारी मां की बड़ी याद आती है शांतनु..उर्मि जब मोबाइल पर शांतनु से बात कर रही थी तो लग रहा था, अब रो देगी..पास अगर शांतनु होता तो पक्का रुला देता..वो बस इतना कहता- देख,देख..अब रोई उर्मि. अब रुकेगी नहीं और उर्मि पहले तो गला दबा दूंगी तेरा कहती और फिर सचमुच रोने लग जाती. लेकिन
          पिछले चार दिनों से मुंबई में फंसा शांतनु फोन पर ऐसा नहीं कर सकता था.उसने पलटकर पूछा- तेरी सास तुझे याद आ रही है और मैं नहीं ?
          शांतनु, सच कहूं..तुम जब भी मुझसे दूर होते हो, तुम्हें मिस्स तो करती हूं लेकिन मांजी की बहुत याद आती है. तुम्हारा कहीं जाना होता कि इसके पांच-सात दिन पहले से मेरे साथ होती. इस बीच तुम कब चले जाते, बहुत पता नहीं चलता. रात होते अपने कमरे में जाती तो देखती कि उन्होंने ऑलआउट लिक्विड हटाकर मच्छरदानी लगा दी है और फिर..आ उर्मि, जरा मूव लगा दूं, घंटों कम्पूटर पर आंख गड़ाए बैठी रहती है.
          अच्छा तो सासू मां की याद इसलिए ज्यादा आती है कि वो सेवा-सत्कार करती थी...सेवा-सत्कार वैसे मैं भी तो कम नहीं करता..सेल्फिश उर्मि..सेल्फिश,सेल्फिश......
        • 13 टिप्‍पणियां:

          1. इस बार सर्वोत्तम: काजल कुमार की.

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          2. क्या बात हैं ! एक साथ इतने लोगो को पढ़ पाना :)) उत्तम

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          3. कई सारा पठनीय छूटा हुआ यहाँ मिल गया ...
            थैंक्स ...

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          4. बहुत ही बढ़िया दमदार प्रस्तुति ।

            मेरी नई रचना :- चलो अवध का धाम

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