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मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

ई प्रेम दिवस है कि प्रेम चोपडा दिवस .कोई समझाओ तो बे ...








  • चारों ओर शोर ,घनघोर , दुनिया मना रही है , भेलनटाईन डे ,
    ई प्रेम दिवस है कि प्रेम चोपडा दिवस .कोई समझाओ तो बे ...

    बहुत चना जोर गरम मना रहा है लोग





सचमुच शादीशुदा इंसान के लिये वैलेंटाईन सैलेंटाईन जैसे सारे उत्सव कोई मायने नहीं रखते। ऑफिस से जल्दी आ गया कि संग चाय वाय पियेंगे, गप्पा गोष्टी करेंगे और घर आकर देखता हूं कि ताला लगा है और श्रीमती जी चक्की पर आटा पिसाने गई हैं :)
 

दुष्ट बादल....huhh

लो आज फिर बारिश होने लगी
जब भी तुम दूर जाते ह़ो
बारिश होने लगती है
माना की मन उदास है
तन्हाई है
तकलीफ भी है
पर ये भी कोई बात है भला
तुम्हारी ग़ैर-हाज़री में
ये बादल
सेंध लगा कर
बस चले आते हैं
ये भी नहीं समझते की
ठण्ड में रुखसार पे
नमकीन पानी
बहुत जलन करता है
दुष्ट बादल....huhh
 

हाँ, नहीं, पता नहीं...
इन चार लफ्जों में गोया हम सबकी ज़िन्दगानियाँ उलझी हुई हैं.
 
  • खाली बगीचे से मन
    हाथों में सुर्ख गुच्छे
    संकीर्ण दिलों के बीच
    बड़ा सा दिल बने तकिये
    महंगे स्वाद हीन पकवान.
    और
    खाली होती जेबों के मध्य
    दिवस तो मन रहा है
    पर
    प्रेम नदारद है.
 
 

अँधेरे में रहने वालो ,अँधेरे का राज़ ना खोलो
कांच के सपने टूट ना जाएँ ,आहिस्ता -आहिस्ता बोलो|
 

माना कि मन की बात लिखना जरुरी है
माना कि जीवन की बात लिखना जरुरी है
पर इन सबसें भी ऊपर उठ कर आशा
अपने वतन की बात लिखना जरुरी है
माना कि सावन की बात लिखना जरुरी है
माना कि बसंत की बात लिखना जरुरी है
पर वक्त की नब्ज को पकड़ कर आशा
अब परजातंत्र की बात लिखना जरुरी है
 
 

ये है हमारी लोकतान्त्रिक संस्थाओ के हाल. देश की सर्वोच्च संस्था हो या किसी शहर की. केंद्र का मंत्री हो या एक पार्षद, सब जगह कमोबेश यही हाल है. कानून और जनता का किसी को डर नहीं . हम को लोकतान्त्रिक परम्परोअ की नाम पर चुप कराने वाला यह वर्ग खुद कितना अनुशाशन हीन और बेखौफ है, सब के सामने है. अपने हक की आवाज उठाने वाले हर सक्श को डरा धमका कर चुप कर दिया जाता है. कोई नहीं चाहता की आम जन की स्तिथि में सुधार हो. गरीबो की भूख मिटे, उन्हें तन ढकने को कपडा और सर छुपाने को आसरा मिले. चुनावो में बरसाती मेंढको की तरह आते नेता, चुनाव ख़त्म होते ही विलुप्त हो जाते है. लम्बे चौड़े वादे और लच्छे दर भाषण, बस यही है लोकतंत्र. और फिर चालू होती है पांच साल तक न ख़तम होने वाली लूट. सब कुछ जानते बूझते भी पंगु बन देखते रहते है हम. क्या जरुरत है इन विधाई संस्थाओ की. जनता के ऊपर बोझ है यह. लोकतंत्र के नाम पर हमारे खून पसीने की कमाई की यूँ बर्बादी क्यों ???
 

उनके जैसा ...
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लाख हिदायतों के बाद भी
हुआ इतना ही है
कि वो
मेरे जैसे नहीं हो जाए
पर, हाँ
उनके कुछ कहे बगैर ही
देखो
मैं बिलकुल उनके जैसा
कठोर, निर्दयी हो गया हूँ !!
 
 

छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश को परस्पर जोड़ने वाली रायपुर-भोपाल महानदी एक्सप्रेस रेल सेवा वर्षों से बंद है. यह उपयोगी रेलगाड़ी फिर शुरू की जानी चाहिए और इसे रायपुर-भोपाल होते हुए इंदौर-उज्जैन तक चलाया जाना चाहिए . इससे दोनों राज्यों के हजारों लोगों को काफी राहत मिलेगी . छत्तीसगढ़ के लोग महाकाल के दर्शनों के लिए रायपुर से सीधे विक्रमादित्य की नगरी उज्जैन पहुँच सकेंगे . अभी रायपुर से इंदौर -उज्जैन के लिए कोई सीधी रेल-सेवा नहीं है. रेल बजट नजदीक आ रहा है. रेलमंत्री से दोनों राज्यों की जनता का अनुरोध है कि महानदी एक्सप्रेस को पुनर्जीवित कर यह सेवा भोपाल से आगे इंदौर-उज्जैन तक बढ़ा दी जाए . रेल मंत्रालय को जरा भी घाटा नहीं होगा ,क्योंकि आज कल हर मौसम में सभी गाडियां खचाखच भरी होती हैं.
 

  • अपने होंठ सिकोड़कर बोलती हो तुम
    -- तुम्हें तो कोई पुजारी होना चाहिए था
    और चली जाती हो झल्लाकर
    धीरे-धीरे पानी भर जाता है
    उन पैरों के निशान में जो अब जा चुके हैं...
 

  • कल उत्तर प्रदेश विधानसभा का तीसरे चरण का मतदान है.आप सभी साथियों! से अपील है कि आप मतदान बूथ तक जाकर मतदान में जरुर हिस्सा लें. याद रखिए, आप मतदान के द्वारा लोकतंत्र के भविष्य को और अधिक बेहतर बना सकते हैं.
     
     

1 टिप्पणी:

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